Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

शिवराज की सफलता का एक और साल

Published

on

Loading

सिंहावलोकन : 2014
भोपाल| सियासत के मैदान में कम ही लोग ऐसे होते हैं, जिनकी झोली में साल दर साल सफलताएं आती जाती हैं। ऐसे लोगों में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम भी शुमार है। बीते साल राजनीति के मैदान में उन्होंने न केवल अपने अंक बढ़ाए हैं, बल्कि विरोधियों को हर मुहाने पर मात दी है।

पिछले साल 2013 में चौहान की अगुवाई में भाजपा ने विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार विजय पताका फहराई थी तो इस वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 29 में से 27 सीटों पर जीत दर्ज कर पार्टी को केंद्र में सत्ता हासिल कराने में अपनी भूमिका निभाई।

एक तरफ जहां भाजपा ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सिर्फ दो दिग्गजों कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही जीतने का अवसर दिया, वहीं नगरीय निकाय चुनाव में रही सही कसर पूरी कर दी। राज्य के दस नगर निगमों के महापौर पद पर भाजपा ने जीत दर्ज की तो अधिकांश नगर पालिकाएं और नगर पंचायतें अपनी झोली में डाल ली। अभी पांच नगर निगमों के चुनाव होना शेष है।

भाजपा के लिए बीते 11 वर्षो में एक भी चुनाव ऐसा नहीं आया है, जब उसे किसी बड़ी हार का सामना करना पड़ा हो। वहीं उसने विरोधी दल कांग्रेस को ठिकाने लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। एक वर्ष के भीतर ही कांग्रेस के तीन विधायकों ने पार्टी का दामन छोड़ने का मन बनाया, उनमें से एक तो संजय पाठक भाजपा के टिकट पर विधायक का चुनाव तक जीत चुके हैं।

भाजपा की रणनीति ने कांग्रेस को हर मौके पर चित करने में सफलता पाई है। लोकसभा चुनाव की ही बात करें तो कांग्रेस के होशंगाबाद से सांसद रहे राव उदय प्रताप सिंह ने ऐन चुनाव से पहले पार्टी को झटका दिया और भाजपा का दामन थाम लिया। इतना ही नहीं, भिंड लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद डा. भागीरथ प्रसाद ने भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने शिवराज सरकार को घेरने की कोशिश नहीं की, मगर कांग्रेस को उसमें ज्यादा सफलता नहीं मिली। विधानसभा में कांग्रेस कभी एकजुट नजर नहीं आई। इसका लाभ भाजपा और शिवराज को मिला। इतना ही नहीं, कांग्रेस ने जब भी शिवराज के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की तब उसे अपनों ने ही दगा दे दिया।

वर्ष 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर राजनीति के क्षितिज पर अचानक अभ्युदय होने वाले शिवराज ने पिछले आठ वर्ष की तरह 2014 में भी अपनी सफलता व उपलब्धियों का क्रम जारी रखा। घोटालों का साया भी हालांकि उनके आसपास मंडराता रहा और नए-नए धनकुबेरों का खुलासा होता रहा।

18+

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

Published

on

Loading

नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

Continue Reading

Trending