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सांसद सार्वजनिक ऋण प्रबंधन एजेंसी को रोकें : आरबीआई संघ

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आरबीआई मुंबई| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कर्मचारी संघों ने सांसदों एवं राज्य के वित्त मंत्रियों से आग्रह किया है कि वे प्रस्तावित सार्वजनिक ऋण प्रबंधन एजेंसी (पीडीएमए) को बनने से रोकें। उनका कहना है कि यह कदम आरबीआई की सरकारी प्रतिभूतियों को नियंत्रित करने के अधिकार को वापस लेने के लिए है, जिसकी सरकार को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। संघों ने इस हफ्ते आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन को अपने उत्तराधिकारी उर्जित पटेल को प्रभार सौंपने से पहले यह पत्र लिखा था।

इसमें कहा गया है, एक विकासशील अर्थव्यवस्था में केंद्रीय बैंक का सरकारी प्रतिभूतियों को रखने का हमेशा फायदेमंद है। सार्वजनिक ऋण प्रबंधन को आरबीआई से अलग करने के लिए दलील हमारी समझ से शायद ही प्रासंगिक है।

अखिल भारतीय रिजर्व बैंक कर्मचारी संघ, ऑल इंडिया रिजर्व बैंक वर्कर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया रिजर्व बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ऑफिसर्स एसोसिएशन ने पत्र में लिखा है, वित्तीय अस्थितरता वाली आज की दुनिया में वित्तीय स्थिरता पाना केवल केवल एक अच्छे ढंग से एक इकाई के रूप में वित्तीय नीति, विनिमय दर नियंत्रण और सार्वजनिक ऋण प्रबंधन के इस्तेमाल से ही आ सकती है और जिसे आरबीआई सबसे प्रभावी ढंग से कर रहा है और जिसके लिए पूरी दुनिया में इसे स्वीकृति दी जा रही है।

इसमें कहा गया है कि यदि इस तरह से इतनी अधिक प्रतिभूतियों को नेशनल सिक्युरिटीज डिपोजिटरी (एनएसडीएल) या सेबी (भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड) को हस्तांतरित किया जाता है तो सरकार को इसकी भारी कीमत देनी होगी, क्योंकि आरबीआई जमा करने वाले काम के लिए कोई पैसा नहीं लेता, जबकि एनएसडीएल या कोई अन्य एजेंसी लेगी, क्योंकि वे मुनाफा कमाने के लिए बनी कंपनियां हैं।

पिछले साल के बजट में केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने विदेशी और घरेलू कर्ज को एक छत के नीचे लाने के लिए वित्त मंत्रालय के अंतर्गत एक अलग स्वायत्तशासी संस्था बनाने का प्रस्ताव दिया था।

मई में इस मुद्दे पर भारी विरोध होने पर सरकार को इससे पीछे हटना पड़ा तो जेटली ने एक पीडीएमए बनाने से जुड़े वित्त विधेयक के प्रावधानों और आरबीआई कानून में संशोधनों को वापस ले लिया।

यूनियनों का कहना है कि जब विदेशी निवेशक देश में बड़े पैमाने पर निवेश करना चाहते हैं तो उन्हें घरेलू संपत्ति खरीदने के लिए उन्हें बहुत अधिक रुपये के बांड खरीदने होंगे। इसके परिणामस्वरूप रुपये का मूल्य बढ़ जाएगा और निर्यात महंगा हो जाएगा, तब इस कमी को पूरा करने के लिए आरबीआई हस्तक्षेप करना होगा और बाजार से अधिक विदेशी मुद्रा को हटाना होगा और इस तरह से रुपये का विनिमय मूल्य बरकरार रहेगा।

आरबीआई उन सरकारी प्रतिभूतियों को बेचता है जिन्हें वह आरक्षित रखता है और बाजार में रुपये की अधिक आपूर्ति को कम करता है। इसके लिए आरबीआई के पास सरकारी प्रतिभूतियों के बड़े स्टॉक की जरूरत होती है।

इस व्यवस्था के तहत आरबीआई एक सात सरकारी कर्ज और विनिमय दर दोनों का प्रबंध कर सकता है।

प्रस्तावित पीडीएमए केवल केंद्र सरकार के कर्जे को देखेगा, लेकिन वह राज्यों के कर्ज लेने वाले कार्यक्रमों पर पूरी तरह मौन है।

पिछले साल रिजर्व बैंक के अफसरों और कर्मचारियों के फोरम ने आरबीआई की शक्ति कम करने के कदम के विरोध में एक दिन काम रोक दिया था।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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