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प्रादेशिक

राजस्थान : कुपोषण व मौत से जूझ रहे सहरिया बच्चे

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बारां| रात ढलनी शुरू हो गई है और कमला बाई अपने आधे बने घर में मिट्टी के चूल्हे पर रखे तवे पर रोटी बना रही है। उनकी उम्र तकरीबन 60 साल है। पिछले महीने ही उनके दो साल के पोते रूप किशोर की मौत हो गई। कमला देवी अपने नाती की मौत से सदमे में रहती हैं।

कमला को सबसे ज्यादा यह बात चुभती है कि किशोर ने कुपोषण के आगे घुटने टेक दिए और सरकार द्वारा वित्तपोषित आंगनवाड़ी केंद्र में सहायिका होने के बावजूद भी वे उसे बचा नहीं सकीं।

राजस्थान के बारां जिले में सहरिया बच्चों में कुपोषण के कारण केवल किशोर की ही मौत नहीं हुई है। 125,000 की आबादी वाली वंचित सहरिया जनजाति के कई लोग 2002 में कुपोषण के कारण मारे गए थे। बारां राजधानी जयपुर से 300 किलोमीटर की दूरी पर पूर्वी राजस्थान में मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है।

कमला बाई ने बारां जिले के कारिरिया गांव में दौरे पर गए आईएएनएएस संवाददाता को बताया कि वह लगभग एक महीने तक अस्पताल (कुपोषण उपचार केंद्र) में भर्ती रहा, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। वह हमेशा बीमार रहता था और उसने ठीक से प्रतिक्रिया देना बंद कर दिया था।

बारां में राजस्थान का गरीब से गरीब वर्ग रहता है। आज से कुछ साल पहले यहां के ज्यादातर लोग बंधुआ मजदूर और उपेक्षा की जिंदगी जीते थे। आज इसमें से तकरीबन सभी लोग दिहाड़ी मजूदरी कर रहे हैं और अमीर किसानों के धान के खेतों में काम कर जीविका कमा रहे हैं।

बारां भारत के पिछड़े जिलों में से एक है। सितंबर माह में दो बच्चों की कुपोषण के कारण मौत हो जाने से यह सुर्खियों में था। इस मामले ने काफी राजनीति गरमाई थी।

आईएएनएस के संवाददाता ने बारां जिले के सहाबाद और किशनगंज ब्लॉक के कई गांवों और बस्तियों का दौरा किया। यहां के सभी बच्चे एक जैसी शारीरिक बनावट के थे, फूला हुआ पेट, पतली टांगे और क्षीण आंखें।

किशोर के पहले कुपोषण के कारण गांव के ही रहने वाले मंगल की 2013 में किरारी में मौत हो गई थी।

बारां में नौ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और एक जिला अस्पताल है।

जनवरी से लेकर सितंबर तक इनमें 1,582 कुपोषित बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया।

स्थानीय गैर सरकारी संघटन का कहना है कि यह संख्या आधिकारिक आंकड़ों से कहीं अधिक है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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