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किताबें और विवाद चले साथ-साथ 

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नई दिल्ली| इस वर्ष किताबों और विवादों का चोली-दामन का साथ रहा। अमेरिकी लेखक वेंडी डॉनिगर की किताब ‘द हिंदू : एन अल्टरनेटिव हिस्ट्री’ पर उपजे विवाद के बीच प्रकाशक पेंगुइन को एक संगठन ‘शिक्षा बचाओ आंदोलन’ (एसबीए) के साथ अदालत से बाहर समझौता करना पड़ा। एसबीए ने इस किताब पर आरोप लगाया था कि यह हिंदुओं का अपमान करती है।

इस विवाद के बाद प्रकाशक ने भारतीय बाजार से किताब को हटा लिया। कई समीक्षकों ने पेंगुइन के इस व्यवहार की यह कहकर आलोचना की कि इससे भारत में अभिव्यक्ति की आजादी पर विपरीत असर पड़ेगा।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की किताब ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर – द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह’ ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया और इस किताब में कई सनसनीखेज खुलासे किए गए, जिसने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं और खासकर पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी खासी नाराज हुईं।

कई लोगों ने इस विवाद को विपणन प्रपंच कह कर आरोप लगाया कि ऐसा बिक्री बढ़ाने के लिए किया गया। इसका हालांकि सचमुच असर देखा गया, क्योंकि विवाद पैदा होने के बाद बाजार में किताबें धराधर बिकती गईं।

बाहरीसंस बुक स्टोर के मैनेजर मिथिलेश सिंह ने आईएएनएस से कहा, “विवाद से निश्चित रूप से किताब की बिक्री बढ़ती है। लोग सोचने लगते हैं कि किताब पर प्रतिबंध लग जाएगा और बाद में यह मिलेगी नहीं।”

इसके तुरंत बाद पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख ने अपनी किताब ‘क्रुसेडर और कंसपिरेटर? कॉलगेट एंड अदर ट्रथ्स’ में प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह की क्षमता पर सवाल उठा दिया।

इसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री नटवर सिंह की एक किताब आई ‘वन लाइफ इज नॉट एनफ’। इस किताब में उन्होंने दावा किया कि सोनिया गांधी ने 2004 में अपने पुत्र राहुल गांधी के दबाव में प्रधानमंत्री पद ठुकरा दिया था।

विवाद से प्रकाशकों को काफी फायदा हुआ। नटवर सिंह की किताब बाजार में आने के एक सप्ताह के भीतर इसकी 65 हजार प्रति बिक गई, जबकि बारू की किताब की कुछ ही सप्ताहों में 75 हजार प्रतियां बिक गईं।

रैंडम हाउस इंडिया के विपणन एवं प्रचार उपाध्यक्ष कैरोलाइन न्यूबरी ने आईएएनएस से कहा, “इस वर्ष कुछ बहुत ही सनसनीखेज प्रकाशन सामने आए, जिसने व्यापक स्तर पर बहस छेड़ा।”

उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं है कि हम विवाद पैदा करने वाली किताबें छापते हैं, लेकिन ऐसी अनकही कहानियां छापने की कोशिश करते हैं, जिन्हें लिखने वाले उस कहानी के बीच से ही हों।”

दुर्भाग्य से इन बहसों के बीच पुस्तक के मुख्य विषय चर्चा से दूर हट गए।

फुल सर्किल और हिंदी पॉकेट बुक्स की निदेशक प्रियंका मल्होत्रा ने आईएएनएस से कहा, “(कथ्य को पहले से ही जगजाहिर करने देने वाली) किताबों का देश के प्रकाशन उद्योग में एक नया चलन देखने को मिल रहा है। अधिकांश मामलों में वे बेस्ट सेलर साबित हुए हैं। सनसनीखेज मुद्दों का उपयोग करना और विवाद पैदा करना एक हथकंडा, जिससे निश्चित रूप से बिक्री बढ़ती है, अन्यथा निश्चित रूप से उन किताबों पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।”

उन्होंने हालांकि राजदीप सरदेसाई की किताब ‘2014 : द इलेक्शन दैट चेंज्ड इंडिया’ का उदाहरण दिया, जिसने कोई विवाद पैदा नहीं किया है, लेकिन जो बाजार में लगातार बिक रही है।

साल के आखिर में एक और प्रमुख किताब आई। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ‘द ड्रमैटिक डिकेड : द इंदिरा गांधी इयर्स’। यह बिना कारण ही विवाद में आ गई, क्योंकि इसके प्रकाशक ने एक ऑनलाइन-रिटेल कंपनी से समझौता कर लिया, जिससे बुक स्टोर संचालकों में नाराजगी व्याप्त हो गई।

2014 की प्रमुख चर्चित पुस्तकें :

– द हिंदू : एन अल्टरनेटिव हिस्ट्री, लेखक : वेंडी डॉनिगर

– द एक्सीडेंटल प्राइममिनिस्टर : द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह, लेखक : संजय बारू

– क्रुसेडर ऑर कांस्पिरेटर? कॉलगेट एंड अदर ट्रथ्स, लेखक : पीसी पारेख

– वन लाइफ इन नॉट एनफ, लेखक : नटवर सिंह

– प्लेइंग इट माई वे, लेखक : सचिन तेंदुलकर और बोरिया मजुमदार

– द ड्रामैटिक डिकेड : द इंदिरा गांधी इयर्स, लेखक : प्रणब मुखर्जी

नेशनल

मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

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नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।

गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।

शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।

 

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