Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

..और पूरा हुआ तेलंगाना का सपना

Published

on

Loading

हैदराबाद| साल 2014 चंद रोज बाद इतिहास में दर्ज हो जाएगा और इसे बार-बार याद किया जाएगा, क्योंकि 58 वर्ष पहले वजूद में आए आंध्र प्रदेश से अलग तेलंगाना राज्य के गठन का सपना इसी साल पूरा हुआ।

आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक के संसद में पारित होने को लेकर दिखे कुछ नाटकीय घटनाक्रम के बाद तेलंगाना दो जून को देश के 29वें राज्य के रूप में सत्ता में आया।

इस पिछड़े इलाके के लोग छह दशक पुराने सपने के पूरे होने पर खुशी से झूम उठे, वहीं आंध्र प्रदेश में कुछ दिनों तक अंधेरा छाया रहा, लेकिन तेलुगूभाषी लोगों ने धीरे-धीरे दो राज्यों के अस्तित्व को स्वीकार कर लिया।

साल 2014 की शुरुआत तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के मई में कार्यकाल पूरा होने से पहले आंध्र प्रदेश के विभाजन की कोशिशों के साथ शुरू हुई। आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक को पिछले दिसंबर में केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी और फिर इसे आंध्र प्रदेश विधानमंडल भेजा गया, जिसे 23 जनवरी तक राय जाहिर करने को कहा गया।

विधेयक को विशेष विमान से हैदराबाद लाया गया, जिसे विधानसभा और विधान परिषद के समक्ष पेश किया गया, जिस दौरान सीमांध्र (रायलसीमा और तटीय आंध्र प्रदेश) और तेलंगाना के सदस्यों ने हंगामा किया। कई दिनों के गतिरोध के बाद अंतत: विधेयक पर चर्चा शुरू हुई।

विभाजन का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी ने सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह कर दिया और विधेयक को खारिज करने वाला प्रस्ताव पेश किया।

गतिरोध के बीच दोनों सदनों ने 30 जनवरी को विधेयक को खारिज करने वाले प्रस्ताव को पारित कर दिया और राष्ट्रपति से मांग की कि वह संसद में इसे न भेजें। रेड्डी ने अपनी मांग को लेकर दिल्ली में धरना भी दिया।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सात फरवरी को विधेयक पारित कर दिया, जो कि संसद के दोनों सदनों में उस अप्रत्याशित घटना के बीच पारित हो गया, जब सीमांध्र से सांसद एल. राजागोपाल ने लोकसभा में मिर्च पाउडर का इस्तेमाल किया।

सरकार ने सीमांध्र नेताओं को शांत करने के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की। हालांकि, रेड्डी ने बावजूद इसके मुख्यमंत्री पद और कांग्रेस सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। केंद्र ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया।

मार्च में राष्ट्रपति ने विधेयक को मंजूरी दे दी, जिसके साथ ही 1956 में गठित हुए आंध्र प्रदेश राज्य दो भागों में बंट गया।

तेलंगाना के गठन के बावजूद कांग्रेस को उस वक्त झटका लगा जब तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) ने आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में इसके साथ गठबंधन करने से इंकार कर दिया।

टीआरएस को राज्य के गठन का राजनीतिक लाभ भी मई में हुए विधानसभा चुनाव में मिला, जब उनकी पार्टी को राज्य में बहुमत मिला और पार्टी प्रमुख के.चंद्रशेखर राव ने दो जून को राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण किया।

इधर, कांग्रेस को सीमांध्र में भी झटका मिला, जहां विधानसभा चुनाव में यह एक भी सीट नहीं जीत पाई। तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के अध्यक्ष एन.चंद्रबाबू नायडू ने आठ जून को आंध्र प्रदेश में सरकार बनाई।

18+

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

Published

on

Loading

नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

Continue Reading

Trending