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प्रादेशिक

शिवपाल को लगेगा एक और झटका, बर्खास्त विप सदस्यों की होगी सपा में वापसी

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mulayam-shivpalलखनऊ। उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता रामगोपाल यादव की वापसी से सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव को तगड़ा झटका लगा है। शिवपाल ने जिस रामगोपाल यादव पर कई गंभीर आरोप लगाकर पार्टी से बाहर कराने में कामयाबी हासिल की थी, वह अब नेताजी (मुलायम) के आशीर्वाद से सपा में वापसी करने में सफल हो गए।

शिवपाल को एक झटका और लगने वाला है, क्योंकि नेताजी जल्द ही सभी बर्खास्त विधान परिषद सदस्यों व युवा नेताओं की वापसी की घोषणा भी कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश में सपा से जुड़े एक विधान परिषद सदस्य ने विशेष बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिन विधान परिषद सदस्यों पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर पार्टी से छह साल के लिए बाहर किया गया है, उनकी जल्द ही वापसी होगी।

उन्होंने कहा, नेताजी को इस बात का अहसास हो चुका है कि पिछले दिनों सपा के भीतर जो कुछ भी चला उससे पार्टी की काफी फजीहत हुई है और आम लोगों के बीच काफी खराब संदेश गया है। इससे चुनाव की तैयारियां भी प्रभावित हो रही हैं। शिवपाल के दौरे के समय अखिलेश के करीबी एमएलसी सुनील सिंह यादव साजन भी दिखाई दिए थे। संभावना है कि इन युवा नेताओं की जल्द पार्टी में वापसी होगी।

सपा के एमएलसी ने बताया कि एमएलसी सुनील साजन, एमएलसी आनंद भदौरिया, यूथ ब्रिगेड के अध्यक्ष मोहम्मद एबाद, समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश अध्यक्ष ब्रजेश यादव, एमएलसी संजय लाठर और यूथ ब्रिगेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरव दुबे की वापसी जल्द हो सकती है।

इसके अलावा रामगोपाल यादव के भतीजे अरविंद प्रताप यादव की भी जल्द सपा में वापसी हो सकती है। समाजवादी पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, रामगोपाल को पार्टी में वापस लिये जाने के बाद अखिलेश यादव खेमा एक बार फिर मजबूती से उभरकर सामने आया है। शिवपाल पार्टी और सरकार के भीतर कमजोर साबित हुए हैं। उन्होंने रामगोपाल पर गंभीर आरोप लगाकर उन्हें बाहर करवाया था। अब रामगोपाल तो पार्टी के भीतर आ गए, लेकिन शिवपाल अभी भी मंत्रिमंडल से बाहर ही हैं।

सूत्रों ने बताया कि मुलायम ने भले ही सार्वजनिक मंचों पर हमेशा शिवपाल की तारीफ की है और संगठन में उनके योगदान का जिक्र बार-बार किया है। लेकिन नेताजी के इस फैसले के बाद शिवपाल संगठन में भी कमजोर साबित हुए हैं।

सूत्र यह भी बताते हैं कि यदि संगठन के भीतर शिवपाल की पकड़ ढीली हुई तो उनके चक्कर में अखिलेश का विरोध करने वाले उनके दर्जन भर समर्थक विधायक भाजपा का दामन थाम सकते हैं, जिससे पार्टी को चुनाव से पहले बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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