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उत्तराखंड

पासपोर्ट मामले में कोर्ट में पेश हुए आचार्य बालकृष्ण

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Balkrishnaदेहरादून। पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण शुक्रवार को फर्जी दस्तावेजों पर एक पासपोर्ट हासिल करने के आरोप के एक मामले में अदालत में उपस्थित हुए। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इससे पहले उन्हें अदालत के समक्ष 30 नवंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया था। लेकिन उनके नेपाल यात्रा की योजना के लिए समय देने के आग्रह पर अदालत ने समय सीमा में विस्तार देने की अनुमति दी।

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (द्वितीय) ने अब अगली सुनवाई के लिए 21 दिसंबर की तारीख तय की है। आचार्य बालकृष्ण योगगुरु के करीबी सहयोगी हैं।

अदालत ने उनके खिलाफ एक गैर-जमानती वारंट जुलाई 2012 में जारी किया था। इसे लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो ने उत्तराखंड के हरिद्वार से उन्हें गिरफ्तार किया था।

उत्तर प्रदेश के खुर्जा कॉलेज के प्राचार्य ने बाद में खुद आत्मसमर्पण कर दिया था, जहां से ये फर्जी दस्तावेज खरीदे गए थे। बालकृष्ण को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 17 अगस्त, 2012 को जमानत पर रिहा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तराखंड कांग्रेस सरकार बदले की भावना से उनको निशाना बना रही है।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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