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प्रादेशिक

देश की जनता को गुमराह कर रहे केजरीवाल : योगेंद्र यादव

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Yogendra yadvनई दिल्ली। आम आदमी पार्टी से अलग होकर नई पार्टी बनाने वाले योगेंद्र यादव फर्जी कंपनियों के सहारे आम आदमी पार्टी को मिलने वाले चंदे पर अरविंद केजरीवाल को घेरे हुए हैं। केजरीवाल पर जनता को मूर्ख बनाने और मूल्यों से भटकने का आरोप लगाते हुए योगेंद्र यादव की पार्टी अगले साल होने वाले दिल्ली नगर निगम चुनाव में उतरने वाली है।

पार्टी का चुनावी घोषणापत्र भी जल्द जारी होने वाला है। हालांकि, उनका मानना है कि पार्टी का हर चुनाव लडऩे का इरादा नहीं है। वह केजरीवाल के झूठ के पुलिंदे को जनता के सामने लाना चाहते हैं।

योगेंद्र ने यह पूछे जाने पर कि आम आदमी पार्टी से निकाले जाने के बाद नई पार्टी बनाने का फैसला बदले की कार्रवाई के अनुरूप लिया गया है, इस पर उन्होंने बताया, हमारा राजनीतिक दल बनाने का विचार पहले दिन से था। स्वराज अभियान के गठन के बाद से ही पार्टी बनाने के बारे में सोचा गया था। इस पर बहस और वोटिंग भी हुई। हमने तीन उद्देश्य पूरे करने का फैसला किया था जिसमें पहला देशभर में अपना जनाधार बनाना। दूसरा, उन आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत बनाना जिनकी वजह से हमें आम आदमी पार्टी में दिक्कतें हुई थीं। तीसरा, अपना एक वैचारिक दस्तावेज पेश करना। हमने सोचा था कि इन सभी कामों को करने में हमें छह से आठ महीने लगेंगे लेकिन इसमें 15 महीने का समय लग गया।

यादव ने कहा, “आप याद कीजिए अरविंद केजरीवाल ने शुरुआत में कहा था कि हम राजनीति में नहीं आएंगे लेकिन फिर भी पार्टी बनी लेकिन हमने तो पार्टी बनाने का पहले दिन से ही फैसला कर लिया था।”

योगेंद्र यादव का कहना है कि उन्हें आम आदमी पार्टी में वैचारिक मतभेदों की वजह से बाहर किया गया। तो आखिर वे किस तरह के मतभेद थे जो स्वराज इंडिया के गठन का कारण बने? योगेंद्र कहते हैं, “आम आदमी पार्टी से हमारा बुनियादी मतभेद यह था कि आप पार्टी जिस विचार और आदर्शो को लेकर चली थी उसने उन सब आदर्शो को तिलांजलि दे दी थी। राजनीति में शुचिता, भले लोगों को लाना, ईमानदारी से व्यवहार करना, जनता के बीच काम करने वाले उम्मीदवार खड़े करना, लोकतांत्रिक तरीके से काम करना, सभी कुछ भुला दिया गया। हमें पार्टी में आवाज उठाने से रोका गया। पार्टी से निकालने की धमकियां दी गई लेकिन हमने मूल्यों से समझौता नहीं किया।”

अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं लेकिन स्वराज इंडिया अगले साल दिल्ली नगर निगम चुनाव में ही उतरने की तैयारी में है। इसके पीछे का कारण बताते हुए यादव कहते हैं, “हर चुनाव लडऩा स्वराज इंडिया का उद्देश्य नहीं है। हमने तय किया है कि हर जगह चुनाव नहीं लड़ेंगे। सोच समझकर जनाधार और तैयारी वाली जगह पर ही चुनाव लड़ा जाएगा। हम सिर्फ वहीं चुनाव लड़ेंगे जहां हम विकल्प देने की स्थिति में है। हमारा ध्यान दिल्ली में अगले साल होने वाले नगर निगम के चुनावों पर है।”

उन्होंने आगे कहा, “स्वराज इंडिया ने 130 जिलों में इकाइयां बनाई हैं। देश के आठ राज्यों के कम से कम एक तिहाई जिलों में हमारी इकाई बन चुकी है। राष्ट्रव्यापी विकल्प खड़ा करना हमारा संकल्प है।”

स्वराज इंडिया बहुत जल्दी अपना चुनाव घोषणापत्र जारी करने जा रही है। इस बार एमसीडी चुनाव में वह किन मुद्दों को उठाने वाली है। योगेंद्र यादव कहते हैं, ” सच्चाई यह है कि दिल्ली एमसीडी चुनाव केवल व्यक्तिगत आधार पर लड़े जाते हैं। हम प्रयास करेंगे कि इस व्यक्तिगत चुनाव को हम बड़े मुद्दों का चुनाव बनाएं। दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के लिए एमसीडी सीधे तौर पर जिम्मेदार है। राजधानी में अभी तक सफाई, प्रदूषण के मामलों को बड़े मामले की तरह नहीं देखा गया। हम दिल्ली के लिए ग्रीन एजेंडा यानी पर्यावरण को बेहतर करने का एजेंडा लेकर आएंगे।”

योगेंद्र यादव दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग के इस्तीफे से उतने ही भौंचक्का हैं जितना कि और कोई। इस बारे में वह कहते हैं, “जंग और केजरीवाल के बीच तनाव व्यक्तियों की टकराहट नहीं बल्कि दो राजनीतिक स्वार्थो की टकराहट थी। एक तरफ जंग केंद्र सरकार के राजनीतिक स्वार्थ के प्रतिनिधि थे वहीं केजरीवाल आप द्वारा पूरी ताकत हथियाने के लालची थे। जंग ने कई बार अलोकतांत्रिक तरीके से एक चुनी गई सरकार के काम में हस्तक्षेप किया तो केजरीवाल संविधान की सीमाओं का उल्लंघन कर अपने लिए असीमित शक्तियां हासिल करना चाहते हैं।”

योगेंद्र यादव मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले को किस तरह देखते हैं। क्या यह कदम भ्रष्टाचार और काले धन पर लगाम लगाने में सफल होगा? इस पर उन्होंने आईएएनएस से कहा, “प्रधानमंत्री ने सही तेवर के साथ नोटबंदी का फैसला तो लिया लेकिन कुछ खास हो नहीं सका। क्योंकि कालाधन दशानन की तरह है जिसके रियल एस्टेट, सोना, प्रॉपर्टी, हवाला जैसे कई सिर हैं। दशानन रूपी भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए उसकी नाभि पर प्रहार करना पड़ेगा और उसकी नाभि है राजनीतिक भ्रष्टाचार जो अभी भी हो रहा है।”

योगेंद्र यादव सही तरीके से लोकपाल बनाए जाने के हिमायती हैं। वह कहते हैं कि सरकार ने जो लोकपाल बनाया था वह आधा-अधूरा था, इसे तरीके से लागू करने की जरूरत है। ढाई साल से लोकपाल लागू ही नहीं हुआ। राहुल गांधी ने मोदी पर भ्रष्टाचार के जो आरोप लगाए हैं अगर लोकपाल होता तो यह मामला उसके पास स्वत: चला जाता।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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