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जनरल विपिन रावत ने संभाला थल सेना प्रमुख का कार्यभार

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जनरल विपिन रावत ने संभाला थल सेना प्रमुख का कार्यभार

नई दिल्ली। 13 लाख की तादाद वाली थल सेना और लगभग डेढ़ लाख कर्मियों की वायुसेना को आज ‘नये सेनापति’ की सपथ ली। थल सेना की कमान जनरल विपिन रावत को मिल गई है। निवर्तमान सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग ने रावत को कमान सौंपी। कमान सौपने से पहले सुहाग ने अंतिम बार सेना की ओर से दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया।

इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए सुहाग ने कहा कि सेना ने इस साल सबसे ज्यादा आतंकियों को मार गिराया है। उन्होंने बताया कि 2012 में 67, 2013 में 65 और इस साल 141 आतंकी जम्मू-कश्मीर में सेना के द्वारा मारे गए हैं।

वहीं  आम तौर पर सेना में ऐसी परंपरा रही है कि सेना प्रमुख बनाते वक्त सीनियरिटी ही पैमाना होता है, लेकिन थलसेना में ऐसा दूसरी बार हुआ कि जब सीनियरिटी को नजरअंदाज कर जूनियर को सेना प्रमुख बनाया जा रहा है। थल सेना प्रमुख बनने जा रहे लेफ्टिनेंट जनरल विपिन रावत से सीनियर लफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हरिज हैं।

अब यह देखना होगा कि जब इन दोनों से जूनियर अधिकारी को सेना प्रमुख बनाया जाता है तो क्या ये अपने जूनियर रहे अधिकारी के मातहत काम करना पसंद करेंगे या फिर अपने पद से इस्तीफा देंगे। अगर ऐसा होता है तो सेना को एक साथ अपने दो काबिल वरिष्ठ अधिकारियों से हाथ धोना पड़ेगा। जो भारतीय सेना के लिए दुखद होगा। अब तक ऐसा होता रहा है कि अगर इतने ऊंचे पद पर किसी जूनियर को प्रमुख बनाया जाता है तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं। फिलहाल लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी पूर्वी कमान के प्रमुख हैं और लफ्टिनेंट जनरल हरिज दक्षिण कमान के प्रमुख हैं।

हालांकि सरकार का तर्क है कि नए सेना प्रमुख की नियुक्ति में मेरिट और काबिलियत को ध्यान में रखा गया है जो मौजूदा चुनौतियों का सामना करने में बेहतर तरीके से सक्षम हैं। अब दुनिया के ज्यादातर देशों की पेशेवर सेनाओं में वरिष्ठता के बजाए प्रोफेशनलिज्म को ध्यान रखा जाता है बात चाहे अमेरिका की हो या फिर चीन की। वहीं साथ ही कुछ विशेषज्ञों को कहना है कि भारतीय सेना में किसी भी अधिकारी के काबिलियत पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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