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प्रादेशिक

उप्र चुनाव : कितनी परवान चढ़ेगी छोटे दलों की उड़ान

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उप्र चुनाव : कितनी परवान चढ़ेगी छोटे दलों की उड़ानलखनऊ | उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए छोटे दलों के क्षत्रपों ने फिर कमर कस ली है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान हालांकि छोटे दलों को कोई खास सफलता नही मिली थी। बावजूद इसके मंजिल की ओर उड़ान के लिए सबकी तैयारी दिख रही है, लेकिन यह कितनी परवान चढ़ेगी यह कह पाना मुश्किल है।

पिछली बार कौमी एकता दल (कौएद) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) एक साथ, जबकि अपना दल और पीस पार्टी एक गठबंधन से चुनाव में उतरे थे। महान दल ने कांग्रेस के साथ साझेदारी की थी, जबकि प्रगतिशील मानव समाज पार्टी (पीएमएसपी) ने भी चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी।

पिछले चुनाव में पीस पार्टी को चार, अपना दल को एक और कौमी एकता दल को दो सीटें मिली थीं। वहीं, सुभासपा का खाता तक नहीं खुल पाया था। इत्तेहाद-ए-मिल्लत कौंसिल (आइइएमसी) को एक सीट मिली थी।

चुनावी लिहाज से देखें तो इस बार समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं। सुभासपा भाजपा के पाले में चली गई है, तो कौएद ने सपा के साथ नजदीकियां बढ़ा ली और बाद में सपा में ही उनका विलय हो गया।

चुनाव में टिकट को लेकर कौएद के राष्ट्रीय सचिव अतर जमाल लारी ने आईएएनएस के साथ बातचीत के दौरान कहा, “सपा में विलय होने के बाद अब हमने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने सीटों की कोई मांग नहीं रखी है। उन्हें जहां से टिकट देना होगा, वहां से देंगे।”

इधर, अपना दल का अनुप्रिया पटेल वाला धड़ा भाजपा के साथ है। अपना दल के एक और सांसद अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष कुंवर हरिवंश सिंह भी अपने पुत्र के टिकट के लिए भाजपा का दरवाजा खटखटा रहे हैं, जबकि अपना दल कृष्णा पटेल गुट दूसरे मोर्चे पर गठबंधन की संभावनाएं तलाश रहा है।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआइएमआइएम) की स्थापना तो बहुत पहले हुई, लेकिन उत्तर प्रदेश में इसका उभार 2014 के लोकसभा चुनाव में हुआ। पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने यहां के खूब दौरे किए हैं। पार्टी ने अभी तक 11 उम्मीदवार घोषित किए हैं।

एआईएमआईएम के लखनऊ प्रभारी साजिद हसमत ने कहा कि इस बार पार्टी का जनाधार बढ़ा है। पार्टी के मुखिया आवैसी ने बहुत सारे जलसे किए हैं और आगे भी कई जलसे आयोजित किए जायेंगे। पार्टी ने चुनाव के लिये रणनीति तैयार कर ली है और उसे उम्मीद से बेहतर सफलता मिलेगी।

उल्लेखनीय है कि 2012 के विधानसभा चुनाव में छोटे दलों की स्थिति पर गौर करें, तो कौमी एकता दल ने पूर्वाचल की 43 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल दो ही सीटों पर उन्हें सफलता मिली थी।

पीस पार्टी पिछले चुनाव में 208 सीटों पर खड़ी हुई थी लेकिन उसके चार उम्मीदवार जीतने में कामयाब रहे।

पिछले विधानसभा चुनाव में अपना दल ने 76 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे और इनका एक प्रत्याशी जीतने में कामयाब रहा था।

सुभासपा का हालांकि पिछले चुनाव में खाता नही खुला। इस पार्टी ने उप्र चुनाव में 52 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए। लेकिन इस पार्टी को महज 0.63 प्रतिशत वोट ही मिल पाया। इसी तरह महान दल ने भी 74 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन इनका भी एक भी उम्मीदवार नहीं जीत पाया।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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