प्रादेशिक
पश्चिमी उप्र : घृणा की राजनीति कब तक?
शामली | पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति हमेशा ही ध्रुवीकरण के पहिए पर घूमती आई है। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद थानाभवन सीट चर्चा में आई थी। इस सीट पर कुल 17 बार चुनाव हो चुके हैं, लेकिन केवल एक ही बार कोई प्रत्याशी अपनी जीत दोहरा पाया। अपने ‘हेट स्पीच’ को लेकर चर्चित भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुरेश राणा पर मगर जीत दोहराने का दबाव है।
विरोधियों का हालांकि साफतौर पर कहना है कि यहां की जनता नफरत फैलाने वाली राजनीति से ऊब चुकी है और इस बार ‘क्लीन पॉलिटिक्स’ की शुरुआत करने का मन बना चुकी है।
सुरेश राणा ध्रुवीकरण के बल पर इस बार फिर मैदान में हैं। सपा ने यहां से लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और राज्य योजना आयोग के सदस्य सुधीर पंवार को अपना प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने यहां से अब्दुल वारिश को टिकट दिया है, जबकि राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) की तरफ से जावेद राव मैदान में हैं।
सपा के उम्मीदवार सुधीर पंवार जानेमाने प्राध्यापक हैं और इस इलाके में उनकी काफी पैठ भी है। उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के काम की बदौलत इस बार यहां जीत जरूर मिलेगी। सुरेश राणा ने पिछले पांच वर्षो में यहां कुछ नहीं किया है। सिर्फ ध्रुवीकरण के सहारे ही उनकी सियासत चलती रही है। मगर इस बार नहीं चलेगी।”
लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पंवार कहते हैं, “थानाभवन सीट का चुनाव अखिलेश यादव की क्लीन पॉलिटिक्स का लिटमस टेस्ट है। एक शिक्षक को चुनाव मैदान में उतारकर उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की है कि अब घृणा की राजनीति नहीं चलेगी। यहां का युवा भी यह मन बना चुका है कि अब हेट स्पीच और ध्रुवीकरण की राजनीति से बाहर निकलकर वोट करना है।”
चुनाव प्रक्रिया शुरू होते ही भाजपा ने पश्चिमी उप्र घृणा की राजनीति में ध्रुवीकरण की राजनीति की शुरुआत भी कर दी है। भाजपा के ‘फायर ब्रांड’ नेता योगी आदित्यनाथ की कई सभाएं इस इलाके में हुई हैं। उनके कट्टरवाद से जनता पूरी तरह वाकिफ है। भाजपा उनकी रैलियों के सहारे माहौल बनाने का प्रयास भी करेगी। अदालत और आयोग को जवाब देने के लिए शब्दों का कोई अकाल थोड़े ही पड़ गया है!
यह पूछे जाने पर कि क्या एक बार फिर पश्चिमी उप्र में हेट स्पीच की पॉलिटिक्स शुरू होगी, तो भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता चंद्रमोहन सिंह ने आईएएनएस से कहा, “हम हेट स्पीच की पॉलिटिक्स पर विश्वास नहीं करते। थानाभवन से विधायक सुरेश राणा ने यहां की जनता के लिए काफी काम किया है। अपने काम के दम पर वह दोबारा जीतेंगे।”
पिछली बार 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में सुरेश राणा को जीत मिली थी। तब उन्होंने 53719 वोट हासिल किए थे। दूसरे नंबर पर रालोद के अशरफ अली खां रहे, जिन्हें 53454 मत मिले थे। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता कि इस सीट पर पिछली बार भी कांटे की टक्कर हुई थी। बसपा के उम्मीदवार अब्दुल वारिश खान को 50001 वोट मिले थे, जबकि सपा के उम्मीदवार किरनपाल कश्यप मात्र 10198 वोट ही पाने में सफल रहे।
बसपा के उम्मीदवार अब्दुल वारिश ने भी अपनी जीत का दावा किया। उन्होंने कहा कि हेट स्पीच की पॉलिटिक्स से यहां की जनता ऊब चुकी है। भाजपा ने यहां के लोगों के लिए कुछ नहीं किया है। सिर्फ नफरत फैलाने वाले बोल और ध्रुवीकरण के सहारे वह राजनीति करते हैं। इस बार यहां की जनता सांप्रदायिक ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देगी।
थानाभवन विधानसभा सीट के इतिहास पर गौर करें तो पहली बार वर्ष 1952 में चुनाव हुआ। इस चुनाव में कांग्रेस के केशव राम गुप्ता ने निर्दलीय प्रत्याशी इंद्रप्रकाश को 12578 मतों से पराजित किया था। इसके बाद वर्ष 1957 में हुए चुनाव में पीएसपी के गयूर अली खान ने कांग्रेस के केशव राम गुप्ता को महज 675 मतों से जीत दर्ज की।
वर्ष 1962 के चुनाव में कांग्रेस के ठाकुर रामचंद्र सिंह ने पीएसपी के गयूर खां को हराया था। इसके बाद रामचंद्र सिंह ने वर्ष 1967 में हुए चुनाव में इसी सीट से दोबारा जीत हासिल की।
इस सीट पर जातिगत समीकरणों पर गौर करें तो यह एक मुस्लिम बहुल सीट है। इस विधानसभा में कुल तीन लाख 15 हजार मतदाता हैं। इनमें मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 95 हजार है। दूसरे नंबर पर दलित वोटर हैं, जिनकी संख्या 60 हजार है। इसके अलावा ठाकुर मतदाताओं की संख्या 20 हजार जाट मतदाताओं की संख्या 43 हजार और सैनी 22 हजार हैं।
पश्चिमी उप्र की जातिगत गणित को नजदीक से जानने वाले पत्रकार अवनीश त्यागी ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान बताया, “थानाभवन सीट पर भाजपा की जीत का फलसफा ही यही रहा कि मुसलमानों का वोट बंट गया। दो उम्मीदवार होने की वजह से उनके वोट में बिखराव हो गया और सुरेश राणा को कम अंतर से जीत मिली थी।”
उन्होंने बताया कि यही स्थिति इस बार भी रहने वाली है। यदि मुस्लिम वोटों में बिखराव नहीं हुआ तो सुरेश राणा के सामने ‘जीत’ कड़ी चुनौती बन जाएगी।
18+
जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
-
उत्तराखंड2 days ago
उत्तराखंड सरकार ने भू-कानून के उल्लंघन पर अपनाया सख्त रुख
-
उत्तराखंड2 days ago
जगद्गुरु रामभद्राचार्य अस्पताल में भर्ती, सांस लेने में तकलीफ
-
राजनीति2 days ago
महाराष्ट्र विस चुनाव: सचिन ने डाला वोट, बोले- सभी लोग बाहर आकर मतदान करें
-
प्रादेशिक2 days ago
यूपी उपचुनाव : मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर सीट पर बवाल, पुलिस ने संभाला मोर्चा
-
मध्य प्रदेश2 days ago
24 से 30 नवंबर तक यूके और जर्मनी प्रवास पर रहेंगे सीएम मोहन यादव, प्रदेश में निवेश लाना है मकसद
-
प्रादेशिक2 days ago
नई दिल्ली में भव्य ‘महाकुंभ कॉन्क्लेव’ का आयोजन करेगी योगी सरकार
-
अन्य राज्य3 days ago
महाराष्ट्र और झारखंड में वोटिंग करने के लिए पीएम मोदी ने की खास अपील
-
बिहार2 days ago
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निकालेंगे महिला संवाद यात्रा, 225 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव