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प्रादेशिक

आर्थिक सर्वेक्षण : सार्वजनिक संपत्तियों के पुनर्गठन के लिए एजेंसी बनेगी

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आर्थिक सर्वेक्षण : सार्वजनिक संपत्तियों के पुनर्गठन के लिए एजेंसी बनेगी

नई दिल्ली | वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 को संसद में प्रस्तुत करते हुए केद्रींकृत सार्वजनिक संपत्ति पुनर्गठन एजेंसी (पारा) के गठन की बात कही है। सर्वेक्षण के मुताबिक, देश इस समय ‘दोहरे बैलैंस शीट (टीबीएस)’ की समस्या से जूझ रहा है। एक तरफ ऋण के बल पर कारोबार कर रही कंपनियां हैं, तो दूसरी तरफ बुरे ऋण देकर फंसे हुए बैंक हैं। यह वैश्विक वित्तीय संकट के आसपास के वर्षो में आई उछाल से मिली विरासत है।

सर्वेक्षण में कहा गया है, “अब तक, वहां सीमित सफलता मिली है। कई समस्याएं जारी हैं, जैसे बैंकिंग प्रणाली (खासतौर से सरकारी बैंकों) में गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (फंसे हुए कर्जे) बढ़ती जा रही हैं, जबकि ऋण देने और निवेश की रफ्तार में कमी आ रही है।”

सर्वेक्षण में कहा गया है, “अब समय आ गया है कि इसे हल करने के लिए अगल दृष्टिकोण अपनाया जाए। इसलिए एक केंद्रीकृत पारा का गठन किया जाएगा, जो कर्ज घटाने के सबसे मुश्किल मामलों पर फैसला करेगी और राजनीतिक रूप से कठिन निर्णय लेगी।”

सर्वेक्षण में बताया गया है, “इस समय भारत के एनपीए का स्तर किसी भी अन्य उभरती अर्थव्यवस्था से अधिक है, जिसमें रूस एक अपवाद है। इससे बैंकों की हालत खस्ताहाल है, जिससे वे जरूरी क्षेत्रों को भी कर्ज नहीं दे पा रहे हैं। इनमें प्रमुख रूप से छोटे व मझोलो उद्योग (एमएसएमई) शामिल हैं। ऐसी स्थिति पिछले दो दशकों में कभी नहीं आई थी।”

सर्वेक्षण में कहा गया है, “ऐसी स्थिति पैदा होने के कारण निजी क्षेत्र और कुल मिलाकर निवेश के क्षेत्र की रफ्तार नकारात्मक हो गई है। इससे पहले कि टीबीएस की समस्या से विकास प्रभावित होने लगे, एक निर्णायक संकल्प की तत्काल जरूरत है।”

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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