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प्रादेशिक

बुंदेलखंड में चुनावी माहौल पर ‘नोटबंदी’ की मार!

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sandeep

झांसी | झांसी-ललितपुर मार्ग पर सड़क किनारे फुटपाथ पर चूड़ी, बिंदी आदि बेचने वाली लीला गोस्वामी (36) के चेहरे पर कारोबार पर छाई मंदी के दर्द को आसानी से पढ़ा जा सकता है, चिंता की लकीरें उसके माथे पर साफ नजर आती हैं, क्योंकि नोटबंदी के बाद उसका कारोबार महज एक चौथाई जो रह गया है।

बुंदेलखंड वह इलाका है, जिसकी देश और दुनिया में सूखा, समस्याग्रस्त इलाके के तौर पर पहचान है। यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश के सात और मध्यप्रदेश के छह जिलों में फैला हुआ है। उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव में इस इलाके के सात जिलों में चुनावी रंग दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है, अगर कुछ नजर आता है तो वह है नोटबंदी से मजदूर, छोटे कारोबारियों और रोज कमाने खाने वालों के कामकाज पर पड़ा असर।

बबीना थाने के करीब सड़क किनारे फुटपाथ पर मनिहारी (महिला श्रृंगार सामग्री) की दुकान लगाए लीला गोस्वामी को हर वक्त ग्राहक का इंतजार रहता है, मगर उसका इंतजार कई कई घंटों में पूरा होता है। वह बताती है कि नोटबंदी से पहले वह दिन भर में हजार रुपये का सामान बेच लिया करती थी, मगर अब बिक्री मुश्किल से ढाई सौ से तीन सौ रुपये तक ही हो पाती है।

वह कहती है कि नोटबंदी का असर सबसे ज्यादा गरीबों पर पड़ा है, क्योंकि एक तरफ उन्हें काम नहीं मिल रहा तो दूसरी ओर उन जैसे दुकानदारों के यहां खरीदार नहीं आ रहे। ऐसा इसलिए, क्योंकि रोज कमाने-खाने वाले ही तो उसके यहां से सामान खरीदते थे।

बुंदेलखंड में विधानसभा की 19 सीटें हैं और यहां मतदान 23 फरवरी को होना है। चुनाव और मतदान को लेकर चर्चा करने पर लीला कहती है, “मैं वोट दूंगी, यह मेरा अधिकार है। उस दिन मुझे अपनी दुकान बंद करनी होगी तो करूंगी, मगर यह नहीं बताऊंगी कि वोट किसे दूंगी।”

मिठाई दुकान के मालिक अनिल गुप्ता भी नोटबंदी का कारोबार पर पड़ने वाले असर को स्वीकारते हैं। उनका कहना है कि नोटबंदी से पहले एक दौर ऐसा था, जब उनकी दुकान का समोसा ठंडा नहीं होता था और बिक जाता था, मगर अब ऐसा नहीं रहा। दुकान पर रखे समोसे के खरीदार कम ही आते हैं, आलम यह है कि मिठाई चार-पांच दिन के अंतर से बनती है।

गुप्ता आगे कहते हैं कि नोटबंदी से लोगों को परेशानी तो है, मगर किसी के प्रति गुस्सा नहीं है, क्योंकि सभी को यह लगता है कि यह फैसला देशहित में लिया गया है।

फुटपाथ पर दुकान लगाने वाला पप्पू लखेरा (40) भी नोटबंदी के बाद कारोबार पर पड़े असर से पीड़ित है। उनका कहना है कि ग्राहक ही कम आते हैं, जिसका नतीजा है कि वे रोज दुकान भी नहीं लगाते। कारोबार तो सबका प्रभावित हुआ है, मगर सबसे बुराहाल रोज कमाने खाने वाले का हुआ है।

नोटबंदी हुए लगभग तीन माह का वक्त होने को आ गया है, मगर बुंदेलखंड में इसका असर अब भी बना हुआ है, क्योंकि यहां की बड़ी आबादी रोज कमाने-खाने पर निर्भर है। इसके अलावा जो परिवार पलायन कर काम की तलाश में दूसरे प्रदेशों को गए थे, उनमें से भी बड़ी संख्या में काम बंद होने से घरों को लौट आए हैं, और अब उन्हें अपने ठेकेदार के संदेश का इंतजार है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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