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विपक्ष का आरोप, केंद्र ने जानबूझकर छिपाई सांसद की मौत की खबर

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e-ahmedनई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सांसद ई.अहमद की मौत ने एक बड़े विवाद की शक्ल ले ली है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि उनकी मौत की जानकारी देने में ‘जान बूझकर’ देरी की गई। कांग्रेस और वामपंथी दलों ने मामले की जांच कराने की मांग की है।

वाम दल रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) ने आरोप लगाया है कि ई.अहमद की सेहत के बारे में जानकारी देने में बेहद देर की गई। पार्टी ने यह भी पूछा है कि अहमद को इंटेनसिव कोरोनेरी केयर यूनिट (आईसीसीयू) से क्यों शिफ्ट किया गया।

राज्यसभा में इस मामले को मार्क्?सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि अहमद के निधन की खबर दबाई गई और इस कोशिश में प्रधानमंत्री कार्यालय भी शामिल था। उन्होंने इसकी जांच कराने की मांग की है।

कांग्रेस नेता मलिकार्जुन खडग़े ने लोकसभा में आरोप लगाया कि लोकसभा में चूंकि बजट पेश किया जाना था, इसलिए जान बूझकर अहमद के निधन के बारे में देर से ऐलान किया गया और इसके लिए सरकार ने आरएमएल पर दबाव डाला। खडग़े ने कहा, “शव अस्पताल में अमानवीय तरीके से रखा गया था। अहमद के परिजनों को घंटों उनसे मिलने की इजाजत नहीं दी गई। सरकार ने चिकित्सकों पर दबाव बनाया ताकि बजट पेश हो सके।”

कांग्रेस नेता ने सरकार से बयान देने और मामले की संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की। आरएसपी के सांसद एन.के.रामचंद्रन ने संवाददाताओं से कहा, “हम अस्पताल में थे। डाक्टरों की बात से ऐसा लगा कि अहमद की मौत संसद में बेहोश होने के फौरन बाद ही हो गई थी। हमें समझ नहीं आ रहा है कि उन्हें आईसीसीयू से ट्रॉमा सेंटर में क्यों शिफ्ट किया गया।”

रामचंद्रन ने लोकसभा में इस मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश किया था जिसे अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कार्यस्थगन के अन्य नोटिस के साथ नामंजूर कर दिया। आरएसपी सांसद की ही तरह कांग्रेस के महासचिव गुलाम नबी आजाद ने भी संवाददाताओं से कहा कि अहमद की मौत उससे ‘काफी पहले’ हो गई थी जब अस्पताल ने इसका ऐलान किया। सरकार बजट पेश होने तक खबर को दबाना चाहती थी। इसलिए किसी को अहमद से मिलने नहीं दिया गया।

अहमद का निधन पहली फरवरी को हुआ। इसी दिन लोकसभा में आम बजट पेश किया गया था। लोकसभा सदस्य ई.टी. मोहम्मद बशीर ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री ई.अहमद के परिजनों समेत उनके साथ गए तमाम लोगों को आरएमएल ने उनकी सेहत के बारे में जानकारी देने में बेहद देरी की। बशीर ने कहा, “डाक्टर किसी को भी ट्रॉमा सेंटर में नहीं जाने दे रहे थे, जहां अहमद को रखा गया था। कोई डाक्टर वहां से बाहर भी नहीं आ रहा था और अहमद की सेहत को लेकर कोई जानकारी भी नहीं दी जा रही थी।”

अहमद को गत मंगलवार को उस वक्त दिल का गंभीर दौरा पड़ा जब वह संसद में राष्ट्रपति का अभिभाषण सुन रहे थे। उनके साथ अस्पताल जाने वालों में बशीर भी थे। उन्होंने अस्पताल में बिताए समय को भयावह बताया। बशीर का कहना है कि डाक्टर और सुरक्षाकर्मी वहां आने वाले सांसदों और अहमद के परिजनों तक से अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे थे। अस्पताल पहुंचने वालों में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी व राहुल गांधी भी थे।

उन्होंने कहा, “रात 8, 8.30 बजे अहमद की बेटी और दामाद आए। दोनों डाक्टर हैं। बेटी ने पिता को देखने की इच्छा जताई लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। हम सब परेशान हो उठे थे।” बशीर ने कहा, “इसके बाद हम अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट (एमएस) से मिले। उन्हें बताया कि अहमद की बेटी डाक्टर है। वह मर्ज और इलाज को समझ सकेगी। कम से कम उसे अंदर जाने दिया जाए। एमएस ने सहमति जताई और कहा कि हम लोग जाएं, वह स्टाफ को कह देंगे कि हमें अंदर जाने दे।”

उन्होंने कहा, “लेकिन, हम जब वहां पहुंचे तो सुरक्षाकर्मी ने हमें रोक दिया। उसने कहा कि एमएस से कोई निर्देश नहीं मिला है। हमने एमएस को फोन मिलाया, उन्होंने फोन नहीं उठाया। मैं फिर भागकर एमएस के दफ्तर में गया, वहां कोई नहीं था।” उन्होंने कहा कि आधी रात के बाद एक डाक्टर आया और उसने परिजनों से कहा कि एक टेस्ट यह देखने के लिए हो रहा है कि ‘क्या दिमाग जीवित है’। इसके बाद डेढ़ घंटे तक कुछ नहीं बताया गया।

बशीर ने कहा, “रात का कोई डेढ़ बजे रहा था। एक डाक्टर आया और अहमद की बेटी को अंदर ले गया। बेटी ने उन्हें देखा। वह जा चुके थे।” बशीर ने पूछा, “मुझे यकीन है कि वह पहले ही मर चुके थे, फिर उन्होंने हमें कुछ बताया क्यों नहीं?” उधर आरएमएल ने शुक्रवार को इस आरोप को गलत बताया कि उसने सांसद ई. अहमद के निधन की खबर को दबाने की कोशिश की थी।

आरएमएल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट (एमएस) ए.के.गडपाएले ने बताया, “हम पर कोई राजनैतिक दबाव नहीं था। प्रोटोकॉल इस बात की इजाजत नहीं देता कि उपचार के दौरान किसी को आईसीयू में जाने दिया जाए। अहमद उस वक्त जीवित थे, जब अस्पताल लाए गए थे। उनका निधन तडक़े 2.15 पर हुआ। आरोपों से मुझे तकलीफ पहुंची है।” गडपाएले के मुताबिक, अहमद की बेटी (जोकि डॉक्टर हैं) को मॉनीटर दिखाया गया था। पिता के बारे में मिली जानकारियों से वह ‘बहुत संतुष्ट’ थीं।

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नेशनल

PM इंटर्नशिप योजना लॉन्च, कहां और कैसे करें रजिस्ट्रेशन? मिलेंगे हर माह 5000 रुपए

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नई दिल्ली। भारत सरकार की इंटर्नशिप स्कीम, पीएम इंटर्नशिप योजना 2024 लांच कर दी गई है। पीएम इंटर्नशिप योजना का उद्देश्य अगले पांच वर्षों में शीर्ष 500 कंपनियों में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करना है। योजना के अनुसार, जो युवा पीएम इंटर्नशिप स्कीम सेलेक्शन प्रॉसेस के जरिए चुने जाएंगे, उन्हें हर महीने 5 हजार रुपये और साल में 6000 रुपये मिलेंगे। पहले दिन 3 अक्टूबर को ही पोर्टल पर इंटर्नशिप के लिए विभिन्न कंपनियों की ओर से कुल 1077 पदों के लिए रजिस्ट्रेशन किया गया। इनमें एग्रीकल्चर, ऑटोमोबाइल और फाॅर्म से जुड़ी कंपनियां शामिल हैं। इस योजना के तहत युवाओं को मौजूदा कारोबारी माहौल से रूबरू कराकर उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ाया जाएगा, जिससे की युवाओं को आसानी से नौकरियां मिल सकें। इंटर्नशिप के पहले बैच के लिए एप्लीकेशन विंडो 25 अक्टूबर तक ओपन रहेगी।

सरकार की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया है कि पीएम इंटर्नशिप पायलट परियोजना का पहला चरण दिसंबर के पहले सप्ताह में पूरी होने की उम्मीद है. उसके बाद इसे पूर्ण रूप से लागू किया जाएगा। केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण का नियम इस योजना में भी लागू होगा। परियोजना के संचालन के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला ऑटोनोमस बॉडी बीआईएसएजी-एन (भास्कराचार्य नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर स्पेश एप्लिकेशंस एंड जियो इंफॉर्मेटिक्स) के साथ भागीदारी की गई है।

युवाओं के खाते में 4,500 रुपये डालेगी सरकार

पीएम इंटर्नशिप पोर्टल के माध्यम से भागीदार कंपनियां इंटर्नशिप के अवसर प्रदान कर सकती हैं। पायलट परियोजना के लिए टॉप कंपनियों की पहचान पिछले तीन साल में उनके सीएसआर (कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व) व्यय के औसत के आधार पर की गई है। कोई भी दूसरी कंपनी, बैंक या वित्तीय संस्थान मंत्रालय की मंजूरी से इस योजना में भाग ले सकते हैं। प्रशिक्षुओं को हर महीने 5,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इस कुल राशि में से 4,500 रुपये सरकार सीधे चयनित उम्मीदवार के बैंक खाते में डालेगी, जबकि 500 रुपये कंपनी अपने सीएसआर कोष से भुगतान करेगी। योजना के तहत प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण से जुड़ा खर्च कंपनी अपने सीएसआर कोष से उठाएगी।

पीएम इंटर्नशिप के लिए पात्रता

पूर्णकालिक नौकरी और पढ़ाई नहीं कर रहे 21 साल से 24 साल के युवा इसके लिए पोर्टल के जरिये आवेदन कर सकते हैं.
ऑनलाइन या डिस्टेंस एजुकेशन प्रोग्राम से जुड़े उम्मीदवार आवेदन करने के पात्र हैं.
जिन उम्मीदवारों ने हाई स्कूल, उच्च माध्यमिक स्कूल से परीक्षा उत्तीर्ण की है, आईटीआई का सर्टिफिकेट है, पॉलिटेक्निक संस्थान से डिप्लोमा है या बीए, बीएससी, बी.कॉम, बीसीए, बीबीए, बी.फार्मा जैसी डिग्री के साथ स्नातक हैं, वे सभी इसके लिए पात्र होंगे.
इसमें कुछ ऐसे मानदंड भी हैं, जिन्हें पूरा करने वाले योजना में शामिल नहीं हो पाएंगे.
इसमें जिन उम्मीदवारों के परिवार में किसी सदस्य की सालाना आय 2023-24 में 8 लाख रुपये से अधिक थी, उन्हें योजना शामिल नहीं किया जाएगा.

पीएम इंटर्नशिप के लिए ऐसे करें अप्लाई

पात्र उम्मीदवार पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. वहां उनके विवरण का इस्तेमाल ‘बायोडाटा’ तैयार करने के लिए किया जाएगा.
उम्मीदवार अपने पसंदीदा क्षेत्रों, भूमिकाओं और स्थानों के आधार पर इंटर्नशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं.
मामले में कोई शिकायत आने पर संबंधित कंपनी का नोडल अधिकारी इसका निपटान करेगा। जबकि कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय योजना पर नजर रखेगा.
पीएम इंटर्नशिप योजना में रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन पोर्टल www.pminternship.mca.gov.in पर किया जाएगा.
इंटर्नशिप 2दिसंबर से शुरू होगी और 12 महीने के लिए होगी.
इंटर्नशिप के लिए चयनित युवाओं को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत बीमा कवर दिया जाएगा.
इसके लिए प्रीमियम का भुगतान सरकार करेगी.
कंपनियां चयनित उम्मीदवार को अतिरिक्त दुर्घटना बीमा उपलब्ध करा सकती हैं.

 

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