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प्रादेशिक

मप्र में सरकारें नहीं बांट पाई भूदान में मिली जमीन

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मप्र में सरकारें नहीं बांट पाई भूदान में मिली जमीन

भोपाल | मध्यप्रदेश के गठन के बाद से कई सरकारें आईं और गईं। सभी ने अपने को बढ़-चढ़कर गरीब हिमायती बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सभी ने भूमिहीनों को भूमि देने के वादे और दावे भी किए, मगर हकीकत इससे इतर है, क्योंकि विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में मिली जमीन को ही सरकार बांट नहीं पाई है।

राज्य में बड़ी आबादी अब भी सिर के ऊपर छत के लिए तरसती है तो दूसरी ओर बड़े वर्ग के पास जमीन ही नहीं है। सरकारी और निजी भूमि की क्या स्थिति है, इस बात की तहकीकात के लिए सरकार ने 25 अगस्त, 2015 में राज्य भूमि सुधार आयोग का गठन किया।

वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी इंद्रनील शंकर दाणी की अध्यक्षता में बने इस आयोग का पहला प्रतिवेदन जनवरी में आया है, जो इस बात का खुलासा करता है कि विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में मिली 31 हजार 500 हेक्टेयर में से प्रदेश गठन 1956 के बाद से अब तक 21 हजार 300 हेक्टेयर जमीन ही बांटी जा सकी है। साढ़े नौ हजार हेक्टेयर जमीन अब भी बांटी नहीं जा सकी है।

आयोग की पहले प्रतिवेदन पर एकता परिषद के अध्यक्ष रन सिंह परमार सवाल उठाते हुए कहते हैं कि सरकार एक तरफ भूदान आंदोलन में मिली जमीन ही नहीं बांट पाई और जिन जमीनों को भूमिहीनों को बांटा गया है, वह उनके पास है भी या नहीं, इस बात का पता करना आयोग ने लाजिमी नहीं समझा।

सरकारों का रवैया इसी बात से जाहिर होता है कि जब दान की जमीन ही नहीं बंटी तो सरकारी जमीन कितनों को मिल पाई होगी, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

आयोग के प्रतिवेदन से पता चलता है कि विनोबा भावे ने 1951 में आर्थिक-सामाजिक विषमता को कम करने के लिए भूदान आंदोलन शुरू किया। इस आंदोलन का मकसद बड़े भूस्वामियों से जमीन दान में लेकर निर्धन भूमिहीनों को वितरित करना था। वर्ष 1955 तक आते यह आंदोलन वृहद रूप ले चुका था।

राज्य का गठन 1956 में हुआ और 1968 में मध्यप्रदेश भूदान यज्ञ अधिनियम बनाया गया, इसके तहत भूदान यज्ञ बोर्ड बनाया गया। इसमें प्रावधान किया गया कि विनोबा भावे की इच्छा के अनुरूप दान की गई जमीन को तीन वर्ष तक के लिए पट्टे पर दी जाएगी।

भूदान यज्ञ अधिनियम में 1992 में संशोधन किया गया, जिसमें सरकार के अधीन आई जमीनों को भूमिहीनों निर्धनों को वितरित किए जाने का प्रावधान किया गया। इसमें शर्त वितरित जमीन पर खेती करने की रखी गई।

राज्य सरकार ने राज्य भूमि सुधार आयोग का गठन करते हुए शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों की सरकारी व निजी भूमियों के प्रबंधन की समीक्षा कर अपनी अनुशंसाएं सौंपने की जिम्मेदारी दी है। इस आयोग को कुल पांच प्रमुख बिंदुओं पर प्रतिवेदन देना है, पहला प्रतिवेदन ‘राज्य में भूदान भूमियां और भूदान धारकों की स्थिति और भविष्य की स्थिति’ को लेकर तैयार किया है, जिससे पता चलता है कि विनोबा भावे के भूदान आंदोलन को मिली कुल भूमि में से 30 प्रतिशत से ज्यादा जमीन अब भी अवितरित है।

इस प्रतिवदेन में बताया गया है कि भूदान आंदोलन में मिली जमीन में से जो अवितरित साढ़े नौ हजार हेक्टेयर जमीन है, उसमें से 8718 हेक्टेयर भूमि सिर्फ तीन जिलों गुना, शिवपुरी व मुरैना में है। आयोग ने सरकार को सुझाव दिया है कि दान में मिली अवितरित जमीन को वितरित करने के लिए उपखंड स्तर पर राजस्व अधिकारी की अध्यक्षता में दलों का गठन किया जाए।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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