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प्रादेशिक

कश्मीर: भाजपा और क्षेत्रीय दलों के गठबंधन के विरोधी हैं इंकिलाबी

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श्रीनगर| जम्मू एवं कश्मीर में विद्रोह और हिंसा की आग भड़काने का अगुवा माने जाने वाला व्यक्ति आज इलाके में शांति और वार्ता का पक्षधर हो चला है। मोहम्मद आजम इंकिलाबी हालांकि घाटी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और किसी क्षेत्रीय दल के बीच गठबंधन के धुर विरोधी भी हैं और इसे राज्य के हित में नहीं मानते। इंकिलाबी पाक अधिकृत कश्मीर के सक्रिय आतंकवादियों के सामूहिक संगठन ‘युनाइटेड जिहाद काउंसिल’ (यूजीसी) के संस्थापक अध्यक्ष हैं।

जम्मू एवं कश्मीर में अलगाववादी विद्रोह के 1989 में शुरू होने से अब तक इंकिलाबी आठ बार सीमा पार कर पाकिस्तान जाने का दावा करते हैं। इंकिलाबी हालांकि अच्छाई के लिए अब हिंसा का रास्ता छोड़ चुके हैं। हिंसा से नाराज 68 वर्षीय इंकिलाबी अब भारत और पाकिस्तान से जुड़े कश्मीर और कश्मीर की अवाम के मुद्दों की शांतिपूर्ण तरीके से वार्ता के जरिए समाधान निकाले जाने की बात करने लगे हैं। श्रीनगर के एक ईसाई मिशनरी स्कूल से शिक्षाप्राप्त इंकिलाबी अलगाववादी राजनीतिक संगठन ‘महज-ए-आजादी’ के भी अध्यक्ष हैं।

इंकिलाबी ने कहा, “मैं भाजपा और कश्मीर की किसी क्षेत्रीय पार्टी के बीच गठबंधन के विरुद्ध हूं। मैं चाहता हूं की क्षेत्रीय पार्टियां कश्मीर, कश्मीरियत, अनुच्छेद 370, मुस्लिमों के हित और राज्य के विशेष दर्जे को कायम रखने के अपने मुद्दों पर टिकी रहें।”
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता है, जिसे भाजपा हटाना चाहती है। इंकिलाबी ने राज्य में सरकार गठित करने के लिए सभी क्षेत्रीय दलों के आपस में गठबंधन करने का सुझाव भी दिया।

गौरतलब है कि इंकिलाबी की यह टिप्पणी उसी दिन आई है, जिस दिन त्रिशंकु विधानसभा वाले जम्मू एवं कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया। इंकिलाबी के अनुसार, “भाजपा का कश्मीर को लेकर अपना एजेंडा है। भाजपा पाकिस्तान के साथ बातचीत की पक्षधर नहीं है..कश्मीरी नेताओं को इस पर डटे रहना चाहिए, चाहे वो आजादी के समर्थक हों या.. क्षेत्रीय पार्टियां।”
इंकिलाबी ने यहां तक कहा कि कश्मीर मुद्दे पर कांग्रेस भी भाजपा की ही तरह है। इसके अलावा इंकिलाबी ने 1987 के विधानसभा चुनाव के बाद मुस्लिम युनाइटेड फ्रंट (एमयूएफ) का विघटन को गलती के रूप में स्वीकार किया।

उन्होंने कहा, “एमयूएफ नेताओं की यह बहुत बड़ी गलती थी। अगर इस तरह का मंच अस्तित्व में आता है और चुनाव में हिस्सा लेता है तो स्थिति में बड़ा बदलाव आ सकता है।” इंकिलाबी ने कहा, “अलगाववादी दल यदि सच में चुनाव लड़ें तो मुझे लगता है कि भारत का समर्थन करने वाले दलों की जमीन खिसक जाएगी।”

राज्य में हुए ताजा विधानसभा चुनाव में लोगों के बढ़-चढ़कर मतदान में हिस्सा लेने इंकिलाब ने कहा, “राज्य की जनता हाल ही में आई बाढ़ से त्रस्त थी। सर्दियों का मौसम शुरू हो गया था और लोग अपने त्रस्त जीवन से छुटकारा चाह रहे थे..। लेकिन जिन लोगों ने मतदान में हिस्सा लिया उन्होंने ऐसा इसलिए नहीं किया, क्योंकि उन्होंने कश्मीर के भारत में विलय को स्वीकर कर लिया है।”

उल्लेखनीय है कि राज्य विधानसभा चुनाव में इस बार मतदान फीसदी में काफी बढ़त देखने को मिली और कुल 77 प्रतिशत मतदान हुआ। ‘मिशन 44+’ लेकर मैदान में उतरी भाजपा 25 सीटों तक सिमटी रही, घाटी के लोगों ने भाजपा के रंग-ढंग को पसंद नहीं किया।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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