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नेशनल

पुराने नोट रखने पर जुर्माना वाला कानून लागू हुआ

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नई दिल्ली । राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करते ही अब 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोट रखने पर जुर्माना लगने वाला कानून लागू हो गया है। इस कानून के तहत् अब 10 से ज्यादा पुराने नोट पाए जाने पर 5 गुना जुर्माना लगेगा। सरकार इस विधेयक को संसद में लाई थी, जिसके वहां से पास होने पर इसे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजा गया था। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब ये कानून बन गया है।

8 नवम्बर, 2016 को केंद्र सरकार ने कालेधन पर रोक लगाने के लिए 500 रुपये और 1000 रुपये के करेंसी नोटों की कानूनी वैधता खत्म कर दी थी। सरकार ने लोगों को 9 नवम्बर से 30 दिसम्बर, 2016 तक का वक्त दिया था, जिसमें लोग अपने पास रखे पुराने नोट बैंकों में जमा करवा सकते थे। एक अनुमान के मुताबिक 94 फीसदी पुराने नोट वापस बैंकों में जमा हुए।

6 फीसदी पुराने नोट वापस बैंकिंग सिस्टम में नहीं आए। सरकार का अनुमान है कि ये राशि कालाधन है, जिसे बैंकों में जमा करने से लोग डर रहे हैं, जिससे वो पकड़े ना जा सकें। लेकिन इस कानून के लागू होते ही अब सरकार की इन नोटों को लेकर देनदारी भी खत्म हो गई है। सरकार ने इस कानून के जरिए बड़े पैमाने पर टैक्स चोरों और कालेधन रखनेवालों पर शिकंजा कसा है।

 

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नेशनल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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