बिजनेस
कैग के आंकड़ों में तो औंधे मुंह जमीन पर गिरी एयर इंडिया
नई दिल्ली। देश के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) ने एयर इंडिया के दावों की धज्जियां उड़ाकर रख दी हैं। वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान एयर इंडिया को अकेले संचालन से 321.4 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है, जबकि कंपनी ने 105 करोड़ रुपये के संचालन लाभ का दावा किया है।
देश के सरकारी लेखा परीक्षक ने शुक्रवार को यह बात कही है। भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) ने राष्ट्रीय विमान कंपनी के वित्तीय विवरण में घाटा होने के कई महत्वपूर्ण आंकड़ों पर चुप्पी साधने की तरफ ध्यान दिलाया है।
कैग कार्यालय में महानिदेशक वी. कुरियन ने यहां संवाददाताओं से कहा, “एयर इंडिया वित्त वर्ष 2015-16 में 105 करोड़ रुपये के संचालन मुनाफे का दावा कर रही है। लेकिन वैधानिक लेखा परीक्षकों की रपट से भी यह पता चलता है कि विमानन कंपनी को पिछले साल 321.4 करोड़ रुपये का संचालन घाटा हुआ था, क्योंकि आवश्यक प्रावधान नहीं किए गए थे।”
कुरियन, शुक्रवार को संसद पटल पर रखी गई एयर इंडिया की वित्तीय पुर्नगठन योजना पर, कैग की ऑडिट रपट पेश कर रहे थे।
आधिकारिक लेखा परीक्षक ने कहा कि एयर इंडिया ने वित्त वर्ष 2012-13 के लिए 1,455.8 करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2013-14 के लिए 2,966.66 करोड़ रुपये तथा वित्त वर्ष 2014-15 के लिए 1,922.77 करोड़ रुपये के घाटे को छुपाया है।
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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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