प्रादेशिक
जाट आंदोलन से पहले हरियाणा में हाई अलर्ट
चंडीगढ़ | आरक्षण की मांग को लेकर जाट समुदाय द्वारा 20 मार्च को संसद के बाहर किए जाने वाले विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी से सटे हरियाणा के कई जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया। अधिकारियों ने दिल्ली की ओर बढ़ रहे जाट समुदाय के प्रदर्शनकारियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए शनिवार को अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी।
राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि झज्जर, हिसार और रोहतक में जिला प्रशासन ने शनिवार को निषेधाज्ञा लागू कर दी है।
झज्जर जिले में अधिकारियों ने इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। हरियाणा पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने जाट प्रदर्शनकारियों को ट्रैक्टर-ट्रालियों में दिल्ली जाने से रोकने के आदेश जारी किए हैं।
इसके अलावा पेट्रोल पंप मालिकों से 21 मार्च तक ट्रैक्टर/ट्रालियों को 10 लीटर से अधिक तेल न देने के लिए कहा गया है। विभिन्न जिलों में पुलिस अधिकारी और लोक प्रशासन अधिकारी अर्धसैनिक बलों के साथ बैठकें कर रहे हैं।
जाट समुदाय ने राज्य की भाजपा सरकार पर उनके विरोध-प्रदर्शन को ‘साजिशन’ कमजोर करने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को कहा था कि वे पूरे राज्य में अपना विरोध-प्रदर्शन जारी रखेंगे और 20 मार्च को राजधानी दिल्ली की घेरेबंदी भी करेंगे।
जाट नेताओं और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बीच शुक्रवार को दिल्ली में बैठक होनी थी, लेकिन हो नहीं सकी। जाट नेताओं ने खट्टर और उनकी सरकार पर जाट समुदाय से किए गए वादे से पीछे हटने का आरोप लगाया है।
वहीं मुख्यमंत्री खट्टर ने आरोप लगाया है कि जाट नेता बातचीत करने से भाग रहे हैं और वह जाट नेताओं से बातचीत के लिए तैयार हैं।
जाट नेता यशपाल मलिक ने रोहतक में पत्रकारों से शुक्रवार को कहा था कि भाजपा सरकार जाट नेताओं को गुमराह कर जाट आंदोलन को कमजोर करने की साजिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि खट्टर शुक्रवार को जाट नेताओं से बिना मिले ही दिल्ली से चंडीगढ़ चले आए। यह बैठक हरियाणा सरकार के वरिष्ठतम मंत्री राम बिलास शर्मा ने गुरुवार को पानीपत में इस बैठक की घोषणा की थी।
29 जनवरी से शुरू हुए जाट आंदोलन के शनिवार को 49 दिन हो गए। इससे पहले जाट नेताओं ने वरिष्ठ अधिकारियों की पांच सदस्यीय समिति से मुलाकात की थी, लेकिन इस मुलाकात का कोई नतीजा नहीं निकला।
ऑल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति (एआईजेएएसएस) ने इससे पहले घोषणा की थी कि जाट समुदाय अपने आंदोलन की तीव्रता बढ़ाते हुए 20 मार्च को दिल्ली में प्रदर्शन करेगा।
जाट नेताओं ने कहा था कि वे सात तरफ से दिल्ली में प्रवेश मार्गो का घेराव करेंगे और संसद परिसर में विरोध-प्रदर्शन करेंगे।
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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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