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कश्मीर समस्या सिर्फ 5 जिलों तक सीमित : वेंकैया
नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने कश्मीर में अलगाववादियों के साथ बातचीत की संभावना खारिज कर दी है और कहा है कि हिंसा सिर्फ दक्षिण कश्मीर के पांच जिलों तक सीमित है, और राज्य के बाकी हिस्सों में शांति कायम है।
केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू का कहना है कि सरकार कश्मीर के विकास पर अलगाववादियों को छोड़कर बाकी सभी अन्य घटकों के साथ बातचीत के लिए तैयार है। लेकिन उन्होंने रमजान के दौरान संघर्ष-विराम की मांग पर सवाल खड़े किया।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री, वेंकैया ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा कि राज्य और केंद्र की सरकारें कश्मीर घाटी के हालात से निपटने में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही हैं।
उल्लेखनीय है कि कश्मीर घाटी नौ अप्रैल से ही सुलग रही है, जब श्रीनगर लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव के दौरान मतदान केंद्रों पर सुरक्षाकर्मियों द्वारा की गई गोलीबारी में आठ प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष नायडू ने कहा, हम कश्मीर समस्या सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो हमें पिछली कांग्रेस सरकारों से विरासत में मिली हुई है।
नायडू ने उन आरोपों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृतव वाली पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी)-भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) गठबंधन सरकार हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के पिछले वर्ष आठ जुलाई को मारे जाने के बाद से अबतक घाटी में सामान्य स्थिति बहाल नहीं कर पाई है और राज्य में बढ़ रही हिंसा पर लगाम लगाने में विफल साबित हुई है।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष आतंकी कमांडर वानी के मारे जाने के बाद घाटी की सड़कों पर भड़की हिंसा का दौर लगभग पांच महीने तक चला था, जिसमें 100 लोग मारे गए थे। वर्ष 2017 की शुरुआत भी घाटी के लिए हिंसक रही और पत्थरबाज रह-रह कर हिंसा की आग में घी डालते रहे।
लेकिन नायडू ने आईएएनएस से कहा कि कश्मीर घाटी के हालात अब भी पूर्व की संप्रग सरकारों के कार्यकाल से बेहतर हैं।
उन्होंने कहा, कश्मीर की समस्या हमने नहीं पैदा की है, यह 69 साल पुरानी समस्या है। फिर विफलता का सवाल कहां उठता है? यह महान कांग्रेसी नेताओं द्वारा छोड़ी गई विरासत है।
उन्होंने कहा कि राज्य की समस्या उतने व्यापक क्षेत्र में नहीं फैली हुई है, जितना कि मीडिया में बताई जाती है।
उन्होंने कहा, पांच जिलों को छोड़कर राज्य के बाकी हिस्से हिंसा मुक्त हैं। हम इस बात को समझें। दक्षिण कश्मीर को छोड़कर राज्य के बाकी हिस्सों में शांति है। उत्तरी कश्मीर में कोई खास समस्या नहीं है। जम्मू क्षेत्र में कोई बड़ी समस्या नहीं है। लद्दाख क्षेत्र में कोई समस्या नहीं है।
उन्होंने कहा, दक्षिण कश्मीर के सिर्फ चार जिले ही कश्मीर नहीं कहलाते। वहां समस्या है। हमें इसे सुलझाना है। लेकिन हमें सीमा पार एक संदेश भी देना है कि हम आतंकवाद को स्वीकार नहीं करेंगे।
ईद के त्योहार के साथ संपन्न होने वाले मौजूदा रमजान महीने में संघर्ष-विराम की किसी संभावना के बारे में पूछे जाने पर नायडू ने कहा कि इस बारे में निर्णय गृह मंत्रालय को लेना है। लेकिन उन्होंने इस मांग पर सवाल भी खड़े किए।
उन्होंने सवाल किया, किसकी तरफ से संघर्ष-विराम? क्या पत्थरबाजी नहीं होगी? क्या कोई आतंकी घटना नहीं घटेगी? हमें क्या कोई इन सबका भरोसा देगा? मान लीजिए लोग रमजान मना रहे हैं और उस दौरान कोई हमला हो जाता है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा।
घाटी में अलगाववादी संगठनों के साथ बातचीत के बारे में पूछे जाने पर नायडू ने कहा कि कश्मीर मुद्दा सुलझाने के लिए संवाद के सभी पूर्व प्रयास विफल साबित हुए हैं।
उन्होंने कहा, हम कितने वर्षो से बातचीत कर रहे हैं? कुछ लोगों के लिए इस तरह की मांग कर खबरों में बने रहना फैशन बन गया है। अन्यथा क्या बात करनी है? हां, हमें उनसे दलगत भावना से ऊपर उठकर बातचीत करनी चाहिए।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह अलगाववादी समूह हुर्रियत कांफ्रेंस के साथ बातचीत की संभावना को स्पष्ट तौर पर खारिज कर रहे हैं? मंत्री ने कहा, मैं सिर्फ यह कह रहा हूं कि कश्मीर को अलग करने का सवाल नहीं पैदा होता। देश की एकता पर कोई सवाल पैदा नहीं होता।
नायडू ने आगे कहा, वहां विकास का मुद्दा है, एक खास क्षेत्र में विकास नहीं हुआ है। लेकिन किसी को जमीन का एक इंच हिस्सा भी देने का सवाल नहीं पैदा होता। विकास पर हम सभी से बात कर सकते हैं। हम अलगाववादियों का जिक्र क्यों कर रहे हैं? हम कश्मीरी लोगों से बातचीत करना चाहते हैं, जो भारत के हिस्सा हैं।
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में पीडीपी के साथ मतभेदों के बारे में पूछे जाने पर नायडू ने कहा कि यह मतभेद इसलिए है, क्योंकि हम अलग-अलग पार्टियां हैं।
उल्लेखनीय है कि महबूबा ने हुर्रियत नेताओं के साथ बातचीत करने की मांग उठाई है।
वेंकैया ने कहा, यह बात पीडीपी कह रही है, सरकार नहीं। यह उनका विचार हो सकता है, हमारा नहीं। असली मुद्दा यह है कि पहले सामान्य स्थिति बहाल हो। सार्वजनिक जीवन पटरी पर आए।
उन्होंने कहा कि पीडीपी-भाजपा के बीच आपस में एक राजनीतिक समझ है और हम इसके लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं कि निर्वाचित सरकार चलती रहे।
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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।
स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,
एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ
कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी
डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।
On the move again, embarking on an exciting 4 nation book tour! 🇮🇳Looking forward to connecting with the vibrant Indian diaspora, celebrating India’s immense potential, and engaging in meaningful conversations. This journey is not just about a book; it’s about storytelling,… pic.twitter.com/dovNotUtOf
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 20, 2024
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