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स्वास्थ्य, स्वच्छता के लिए हानिकारक हैं डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन (विश्व पर्यावरण दिवस विशेष)
नई दिल्ली, 4 जून (आईएएनएस)| जब भी कोई महिला डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन खरीदती है तो उसके दिमाग में लंबे समय तक चलने वाला, आरामदायक, दाग मुक्त और सस्ता होने की बात रहती है।
ज्यादातर महिलाएं यह नहीं जानतीं कि भारत में हर महीने एक अरब से ज्यादा सैनिटरी पैड गैर निष्पादित हुए सीवर, कचरे के गड्ढों, मैदानों और जल स्रोतों में जमा होते हैं, जो बड़े पैमाने पर पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं।
भारत में महिलाओं की मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतिया व अंधविश्वास के साथ इस्तेमाल होने वाले सैनिटरी पैड का सुरक्षित तरीके निपटारा होना बड़ी चुनौती बन चुकी है।
भारत सरकार जहां सभी महिलाओं व लड़कियों को, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराना सुनिश्चित कर रही है, वहीं आईएएनएस से बातचीत में विशेषज्ञों ने सैनिटरी पैड के निस्तारण के मुद्दे पर खास ध्यान दिया, जो हर साल करीब 113,000 टन निकलता है।
शायद इस समस्या को महसूस करने के बाद नरेंद्र मोदी की सरकार पिछले साल नए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्लयूएम) नियम को ले आई, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।
अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना में स्थित गैर-लाभकारी संगठन आरटीआई इंटरनेशनल के वरिष्ठ निदेशक माइल्स एलेज ने कहा, कुछ भारतीय राज्य और शहरों ने ठोस कचरा निस्तारण या प्रबंधन पर ध्यान दिया है और विद्यालयों तथा संस्थानों में इस तरह के कचरा निस्तारण के लिए भट्ठियां लगाई हैं, लेकिन ऐसा बड़े पैमाने पर नहीं है।
एलेज ने ईमेल साक्षात्कार के जरिए आईएएनएस को बताया, मासिक धर्म से संबंधित कचरे के निस्तारण के मुद्दे पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है..मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (एमएचएम) एक उपेक्षित मुद्दा है और डिस्पोजल इसके संदर्भ में शायद सबसे उपेक्षित विषय है।
केरल स्थित सस्टेनेबल मेन्स्ट्रएशन केरल कलेक्टिव एनजीओ की सक्रिय कार्यकर्ता श्रद्धा श्रीजया बायो-डिग्रेडेबल और टॉक्सिन फ्री सैनिटरी उत्पाद का प्रचार करती हैं। उनका (श्रीजया) मानना है कि भारत सैनिटरी कचरे के निपटारे में बहुत पीछे है और उन्होंने नए नियमों को बहुत कमजोर बताया।
जल क्षेत्रों में साफ-सफाई और स्वच्छता संबंधी काम करने वाली अंतर्राष्ट्रीय चैरिटी वाटरऐड इंडिया में नीति -प्रबंधक (स्वास्थ्य व पोषण में सफाई, विद्यालयों में सफाई) अरुंधती मुरलीधरन का कहना है कि भारत में बहुत बड़ी मात्रा में मासिक धर्म अपशिष्ट निकलता है और भारत सरकार इसके प्रबंधन के बारे में सोच रही है।
उन्होंने कहा, अगर हम इस मुद्दे से निपटना नहीं शुरू करते हैं तो हमारे पास बहुत सारा नॉन-बायोजीग्रेडेबल (नष्ट न होने योग्य) कचरा जमा हो जाएगा, जिसे नष्ट करने में सैकड़ों साल लग जाएंगे।
एक सर्वेक्षण के मुताबिक, भारत में करीब 33.6 करोड़ लड़कियां और महिलाएं मासिक धर्म से गुजरती हैं, जिसका मतलब है कि उनमें से करीब 12.1 करोड़ डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं।
पाथ कंपनी द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के अनुसार, एक अरब से ज्यादा नॉन-कमपोस्टेबल पैड कचरा वाले क्षेत्रों और सीवर में डाले जाते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े शहरों की अधिकांश महिलाएं कॉर्मशियल डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं, उन्हें यहा नहीं मालूम होता कि ये उत्पाद कुछ रासायनिक पदार्थो (डायोक्सिन, फ्यूरन, पेस्टिसाइड और अन्य विघटनकारी) की मौजूदगी के कारण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
इसके निस्तारण की जानकारी के अभाव में अधिकांश महिलाए इसे कचरे के डिब्बे में फेंक देती हैं, जो अन्य प्रकार के सूखे व गीले कचरे के साथ मिल जाता है।
इसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता और खुले में सैनिटरी नैपकिन कचरा उठाने वाले के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं।
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश महिलाएं व लड़कियां कपड़े का इस्तेमाल करती हैं, जो उचित प्रकार से धूप में नहीं सूखा होने के कारण उनके लिए कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्या पैदा कर सकता है।
पर्यावरण के समर्थक दोबारा इस्तेमाल में लाए जा सकने वाले कपड़े के पैड, बायोडिग्रेडेबल पैड और कप सहित पर्यावरण के अनुकूल सैनिटरी पैड के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं।
शी कप कंपनी के सह-संस्थापक मनीष मलानी के मुताबिक, उन्हें गरदन के कैंसर से ग्रस्त मरीजों के लिए नैदानिक किट की तलाश के दौरान मासिक धर्म संबंधी कप के बारे में पता चला।
उन्होंने कहा, अच्छा मासिक धर्म स्वच्छता पद्धति शरीर को स्वस्थ रखता है, जिससे संक्रमण या बीमारी होने की कम संभावना होती है।
एलेज ने बताया कि वह कचरा के निस्तारण संबंधी प्रणाली को डिजाइन करने पर काम कर रहे हैं।
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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।
स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,
एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ
कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी
डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।
On the move again, embarking on an exciting 4 nation book tour! 🇮🇳Looking forward to connecting with the vibrant Indian diaspora, celebrating India’s immense potential, and engaging in meaningful conversations. This journey is not just about a book; it’s about storytelling,… pic.twitter.com/dovNotUtOf
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 20, 2024
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