नेशनल
कर्जमाफी किसानों की समस्या का स्थाई समाधान नहीं : वीरेंद्र सिंह
नई दिल्ली, 18 जून (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की किसान इकाई के प्रमुख वीरेंद्र सिंह मस्त का कहना है कि कर्जमाफी किसानों की समस्या का स्थाई समाधान नहीं है।
उनका कहना है कि किसानों की उपज का उचित मूल्य ही इस समस्या को कम कर सकता है।
वह यह भी मानते हैं कि एम.एस.स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें व्यवहार्य नहीं हैं, क्योंकि उपज की लागत निर्धारित करने वाली सरकारी संस्था इसमें असफल रही है।
मस्त ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचतीत में कहा, कर्जमाफी स्थाई समाधान नहीं है, बल्कि इससे सिर्फ छोटी अवधि में राहत मिलेगी। केंद्र सरकार कर्जमाफी की स्थिति में नहीं है।
वह मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में किसानों की कर्जमाफी की मांग के सवाल का जवाब दे रहे थे।
उत्तर प्रदेश से तीसरी बार सांसद निर्वाचित हुए मस्त ने कहा कि किसानों और उनकी आय को प्रभावित करने वाले कारकों में पारिवारिक विवाद प्रमुख कारणों में से एक है।
उन्होंने कहा, उनकी समस्याओं का राजनीतिक ढंग से समाधान किया जाना चाहिए और जब तक किसानों को आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से सशक्त नहीं किया जाता, यह समस्या बरकरार रहेगी।
देश के कई हिस्सों में किसान आंदोलनों के बीच मस्त ने यह बात कही है।
उन्होंने कहा कि किसानों के जीवन को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारण यह है कि उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है।
उन्होंने कहा, सबसे बड़ी समस्या यह है कि किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य कैसे मिले। उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त कैसे किया जाएगा।
मस्त ने कहा, एक किसान के नाते मैंने पाया है कि परिवारों में विवाद किसानों की समस्या का एक प्रमुख कारण है। जब परिवार विभाजित होता है, तो जमीन का भी बंटवारा होता है, जिस वजह से खेती की लागत बढ़ती है, जिससे उपज प्रभावित होती है। निस्संदेह यह सामाजिक समस्या है, लेकिन हमें इसके लिए राजनीतिक समाधान खोज निकालने की जरूरत है।
मस्त ने कहा कि किसानों की आय एक-दो दिन में दोगुनी नहीं हो सकती, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार इस दिशा में आगे बढ़ रही है।
उन्होंने कहा, हमारा ध्यान सिंचाई की स्थिति सुधारकर, कम दर पर बिजली मुहैया कराकर और सड़कों को जोड़कर खेती की लागत कम करने पर है।
उन्होंने कहा कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें तभी लागू की जा सकती हैं, जब कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) सही तरीके से आगत लागत निधारित करे, जिसमें वह असफल रहा है।
मस्त ने विभिन्न भौगोलिक स्थितियों के आधार पर आगत लागत का हवाला देते हुए कहा कि सीएसीपी इसका जायजा लेने में असफल रही है।
उन्होंने कहा, तटीय क्षेत्रों में कृषि लागत गैरतटीय क्षेत्रों की तुलना में बहुत कम है।
एम.एस.स्वामीनाथन की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय किसान आयोग ने कृषि पर आने वाले कुल खर्च पर अतिरिक्त 50 फीसदी सहित न्यूनतम समर्थन मूल्य का सुझाव दिया है।
मध्य प्रदेश के मंदसौर में पुलिस गोलीबारी में छह किसानों की मौत के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि आंदोलन, विरोध और असहमतियां आदर्श लोकतंत्र का हिस्सा हैं, लेकिन इसमें हिंसा का कोई स्थान नहीं है।
मस्त ने कहा, मैं किसानों पर गोलीबारी का समर्थन नहीं करता। आंदोलन के समय गोलीबारी नहीं की जानी चाहिए और जो लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें दंडित करने की जरूरत है। इसकी भी जांच कराने की जरूरत है कि किन परिस्थितियों में पुलिस ने किसानों पर गोलीबारी की। जब किसी आंदोलन के दौरान हिंसा होती है तो उसमें लोग मरते हैं।
उन्होंने आंदोलन कर रहे किसान समुदाय से अपनी नकारात्मक छवि बनाने से दूर रहने की सलाह दी।
उन्होंने कहा, जो लोग कृषि संकट का समाधान चाहते हैं, उन्हें सुझाव देने चाहिए।
मस्त ने यह भी कहा कि कृषि संकट और किसानों की समस्याएं इस देश के लिए नई नहीं हैं और यह सच नहीं है कि 2014 में भाजपा के केंद्र में आने के बाद यह समस्या उत्पन्न हुई है।
मस्त ने कहा, वास्तव में, जिन लोगों ने आजादी के बाद देश पर शासन किया, उन्होंने इन समस्याओं के समाधान के लिए कुछ नहीं किया। नरेंद्र मोदी इस देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो किसानों की परवाह करते हैं। इस तरह की समस्याएं सिर्फ सरकार पर आश्रित रहकर सुलझाई नहीं जा सकतीं। सरकार, प्रशासन और समाज को मिलकर इसका समाधान निकालना चाहिए।
नेशनल
पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।
स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,
एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ
कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी
डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।
On the move again, embarking on an exciting 4 nation book tour! 🇮🇳Looking forward to connecting with the vibrant Indian diaspora, celebrating India’s immense potential, and engaging in meaningful conversations. This journey is not just about a book; it’s about storytelling,… pic.twitter.com/dovNotUtOf
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 20, 2024
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