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हेल्थ

आहार से लें कैल्शियम न कि सप्लीमेंट से : आईएमए

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नई दिल्ली, 17 जुलाई (आईएएनएस)| भारत के ग्रामीण व शहरी दोनों ही क्षेत्रों की महिलाओं में कैल्शियम की कमी एक आम समस्या बनती जा रही है। यह खानपान की बदलती आदतों के कारण हो रहा है। विशेष रूप से शहरी महिलाओं में पिछले कुछ दशकों में भोजन संबंधी आदतों में बड़ा बदलाव आया है। एक ताजा अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मुताबिक, लोग प्रसंस्कृत और पैक किए हुए खाद्य पदार्थो पर तेजी से निर्भर होते जा रहे हैं, जिस कारण शरीर को संपूर्ण आहार नहीं मिल पा रहा है। सलाह दी गई है कि कैल्शियम की मात्रा आहार से लेनी चाहिए न कि सप्लीमेंट से।

आंकड़ों के मुताबिक, 14 से 17 साल आयु वर्ग की लगभग 20 प्रतिशत किशोरियों में कैल्शियम की कमी पाई गई है। हमारी हड्डियों का 70 प्रतिशत हिस्सा कैल्शियम फॉस्फेट से बना होता है। यही कारण है कि कैल्शियम हमारी हड्डियों की अच्छी सेहत के लिए सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होता है। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक कैल्शियम की आवश्यकता होती है क्योंकि वे उम्र के साथ हड्डियों की समस्याओं से अधिक जूझती हैं।

आईएमए के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल कहा, कैल्शियम के अच्छे से अवशोषण के लिए हमारे शरीर को विटामिन डी की आवश्यकता होती है। विटामिन डी की कमी वाले लोगों में, कैल्शियम की कमी की संभावना अधिक होती है, भले ही वे कैल्शियम का भरपूर सेवन कर रहे हों। इसका कारण यह है कि शरीर आपके भोजन से कैल्शियम को अवशोषित करने में असमर्थ है।

उन्होंने कहा कि विटामिन-डी रक्त में कैल्शियम की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार है। विटामिन-डी का पर्याप्त सेवन कैल्शियम अवशोषण को बेहतर बनाने के साथ-साथ, हड्डियों की क्षति कम करता है। फ्रैक्चर का खतरा कम करता है और ऑस्टियोपोरोसिस रोग होने से रोकता है। कैल्शियम की कमी से कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे रक्त के थक्के बनना, रक्तचाप और हृदय की धड़कन बढ़ना, बच्चों में धीमा विकास, और कमजोरी व थकान।

वृद्ध महिलाओं की तुलना में युवतियों को कैल्शियम की ज्यादा जरूरत होती है। कैल्शियम की बात करें तो, 9 से 18 साल आयु वर्ग की लड़कियों को 1300 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है, जबकि 19 से 50 साल की महिलाओं को 1000 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है। पचास वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को 1200 मिलीग्राम की जरूरत होती है।

डॉ. अग्रवाल ने बताया, कई लोग डॉक्टर से सलाह के बिना कभी भी कैल्शियम की खुराक लेने लगते हैं। अगर बताई गई मात्रा में ली जाए तो यह अतिरिक्त कैल्शियम हृदय की सेहत के लिए ठीक है। हालांकि, आहार से मिलने वाले कैल्शियम पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए।

कैल्शियम की मात्रा बढ़ाने के टिप्स :

* हर दिन कैल्शियम से समृद्ध आहार लेना चाहिए।

* अपने शरीर का भार बढ़ाये बिना कैल्शियम की मात्रा सही रखने के लिए वसा-रहित दूध पीना चाहिए।

* अन्य डेयरी उत्पादों में भी कैल्शियम होता है, जैसे कि दही और पनीर, लेकिन कम वसा वाली चीजों का ही चयन करें।

* पत्तेदार साग-सब्जियों का अधिक सेवन करें।

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दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी

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नई दिल्ली। दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का क्रम लगातार जारी है. अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अकेले डेंगू के मरीजों में भारी संख्या में इजाफे की सूचना है. दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में डेंगू के अब तक 4533 मरीज सामने आए हैं. इनमें 472 मरीज नवंबर माह के भी शामिल हैं.

एमसीडी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में इस साल अब तक मलेरिया के 728 और चिकनगुनिया के 172 केस दर्ज हुए हैं.

डेंगू एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। इसके होने से मरीज को शरीर में कमजोरी लगने लगती है और प्लेटलेट्स डाउन होने लगते हैं। एक आम इंसान के शरीर में 3 से 4 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू से ये प्लेटलेट्स गिरते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि 10 हजार प्लेटलेट्स बचने पर मरीज बेचैन होने लगता है। ऐसे में लगातार मॉनीटरिंग जरूरी है।

डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीज को विटामिन सी से भरपूर फल खिलाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इस दौरान कीवी, नाशपाती और अन्य विटामिन सी से भरपूर फ्रूट्स खिलाने चाहिए। इसके अलावा मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट देना चाहिए। इस दौरान मरीज को नारियल पानी भी पिलाना चाहिए। मरीज को ताजा घर का बना सूप और जूस दे सकते हैं।

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