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कोविंद ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली, संविधान के पालन का संकल्प लिया
नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)| रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा कायम करने के लिए हमेशा संविधान के मूलमंत्र का पालन करने का संकल्प लिया। पिछले सप्ताह देश के सर्वोच्च पद के लिए निर्वाचित हुए कोविंद को प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. केहर ने संसद के केंद्रीय कक्ष में एक संक्षिप्त समारोह में पद की शपथ दिलाई।
कोविंद ने ईश्वर के नाम पर शपथ लेते हुए ‘संविधान और कानून की रक्षा और संरक्षा’ की शपथ ली और खुद को भारत के लोगों की सेवा और कल्याण में लगाने का संकल्प लिया।
समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित विपक्ष के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और एच.डी. देवेगौड़ा उपस्थित थे।
तीन घंटे से अधिक समय के प्रोटोकॉल और औपचारिकताओं की समाप्ति के बाद नए राष्ट्रपति अपने पूर्ववर्ती प्रणब मुखर्जी के साथ उनके नए आवास 10 राजाजी मार्ग गए।
कोविंद ने अपने भाषण में महात्मा गांधी और दीन दयाल उपाध्याय के दृष्टिकोण की सराहना की और कहा कि एक ऐसे भारत का निर्माण करने की जरूरत है, जो आर्थिक नेतृत्व देने के साथ ही नैतिक आदर्श भी प्रस्तुत करे।
उन्होंने कहा, हमारे लिए ये दोनों मापदंड कभी अलग नहीं हो सकते। ये दोनों जुड़े हुए हैं और इन्हें हमेशा जुड़े ही रहना होगा।
एक छोटे से गांव में मिट्टी के घर में अपनी परवरिश से शुरू हुई अपनी जीवन यात्रा को याद करते हुए कोविंद ने कहा कि उनकी यात्रा बहुत लंबी रही है।
उन्होंने कहा, लेकिन यह यात्रा अकेले सिर्फ मेरी नहीं रही है। हमारे देश और हमारे समाज की भी यही गाथा रही है। हर समस्याओं के बावजूद, हमारे देश में संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित-न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल मंत्र का पालन किया जाता है और मैं इस मूल मंत्र का सदैव पालन करता रहूंगा।
कोविंद ने अपने भाषण में कहा कि उन्हें इस बात का पूरा एहसास है कि वह डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और अपने पूर्ववर्ती श्री प्रणब मुखर्जी जैसी विभूतियों के पद चिन्हों पर चलने जा रहे हैं।
कोविंद ने कहा, भारत की सफलता का मंत्र उसकी विविधता है। विविधता ही हमारा वह आधार है, जो हमें अद्वितीय बनाता है। इस देश में हमें राज्यों और क्षेत्रों, पंथों, भाषाओं, संस्कृतियों, जीवन-शैलियों जैसी कई बातों का सम्मिश्रण देखने को मिलता है। हम बहुत अलग हैं, लेकिन फिर भी एक हैं और एकजुट हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि 21वीं सदी का भारत ऐसा होगा, जो हमारे पुरातन मूल्यों के अनुरूप होने के साथ ही चौथी औद्योगिक क्रांति को विस्तार देगा।
उन्होंने कहा, इसमें न कोई विरोधाभास है और न ही किसी तरह के विकल्प का प्रश्न उठता है। हमें अपनी परंपरा और प्रौद्योगिकी, प्राचीन भारत के ज्ञान और समकालीन भारत के विज्ञान को साथ लेकर चलना है।
उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत स्तर पर सामुदायिक भावना से विचार-विमर्श करके समस्याओं का निस्तारण होगा, वहीं दूसरी तरफ डिजिटल राष्ट्र हमें विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचने में सहायता करेगा। ये हमारे राष्ट्रीय प्रयासों के दो महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।
राष्ट्र निर्माण अकेले सरकारों द्वारा नहीं किया जाता।
सरकार सहायक हो सकती है और समाज की उद्यमी और रचनात्मक प्रवृत्तियों को दिशा दिखा सकती है, प्रेरक बन सकती है। राष्ट्र निर्माण के लिए राष्ट्रीय गौरव जरूरी है।
कोविंद ने कहा, हमें भारत की मिट्टी और पानी पर गर्व है। हमें भारत की विविधता, सर्वधर्म समभाव और समावेशी विचारधारा पर गर्व है। हमें भारत की संस्कृति, परंपरा एवं अध्यात्म पर गर्व है। हमें देश के प्रत्येक नागरिक पर गर्व है।
कोविंद ने कहा कि देश का हर नागरिक भारतीय परंपराओं और मूल्यों का संरक्षक है। उन्होंने कहा कि देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले और हमें सुरक्षित रखने वाले सशस्त्र बल राष्ट्र निर्माता हैं।
इसी तरह पुलिस और अर्धसैनिक बल, जो आतंकवाद और अपराधों से लड़ रहे हैं, वे राष्ट्र निर्माता हैं और इसी तरह किसान, वैज्ञानिक, नर्स, डॉक्टर, उद्यमी और शिल्पकार भी राष्ट्र निर्माता हैं।
कोविंद ने कहा कि भारत ने हमेशा से वसुधव कुटुंबकम के सिद्धांत पर भरोसा किया है।
उन्होंने कहा, यह उचित होगा कि अब भगवान बुद्ध की यह धरती, शांति की स्थापना और पर्यावरण का संतुलन बनाने में विश्व का नेतृत्व करे।
कोविंद ने कहा, आज विश्व समुदाय अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान के लिए हमारी तरफ देख रहा है। चाहे आतंकवाद हो, कालेधन का लेन-देन हो या फिर जलवायु परिवर्तन। वैश्विक परिदृश्य में हमारी जिम्मेदारियां भी वैश्विक हो गई हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक राष्ट्र के तौर पर हमने बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन इससे भी और अधिक करने का प्रयास और बेहतर करने का प्रयास और तेजी से करने का प्रयास, निरंतर होते रहना चाहिए।
उन्होंने कहा, हमें इस बात का लगातार ध्यान रखना होगा कि हमारे प्रयास से समाज की आखिरी कतार में खड़े उस व्यक्ति के लिए और गरीब परिवार की उस आखिरी बेटी के लिए भी नई संभावनाओं और नए अवसरों के द्वार खुलें। हमारे प्रयास आखिरी गांव के आखिरी घर तक पहुंचने चाहिए। इसमें न्याय प्रणाली के हर स्तर पर, तेजी के साथ, कम खर्च पर न्याय दिलाने वाली व्यवस्था को भी शामिल किया जाना चाहिए।
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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।
स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,
एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ
कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी
डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।
On the move again, embarking on an exciting 4 nation book tour! 🇮🇳Looking forward to connecting with the vibrant Indian diaspora, celebrating India’s immense potential, and engaging in meaningful conversations. This journey is not just about a book; it’s about storytelling,… pic.twitter.com/dovNotUtOf
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 20, 2024
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