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नीतीश का साथ, मोदी की राह आसान!

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पटना, 30 जुलाई (आईएएनएस)| बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और जनता दल (युनाइटेड) का महागठबंधन तोड़कर 26 जुलाई को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के महज 16 घंटों बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से एक बार फिर नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बन गए हैं। माना जा रहा है कि भाजपा के साथ दूसरी पारी में नीतीश भले ही अपना राजनीतिक कद नहीं बढ़ा पाए, परंतु नीतीश के राजग में आने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राह जरूर आसान हो गई है।

वैसे माना यह भी जा रहा है कि करीब चार दशक पूर्व राज्य और केंद्र में एक ही सरकार के होने से बिहार को भी फायदा मिलेगा।

नीतीश की भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में यह दूसरी पारी है। पहली पारी में उन्होंने 17 वर्षो के बाद 2013 में खुद ही गठबंधन तोड़ लिया था।

नीतीश की पहचान नरेंद्र मोदी के प्रतिद्वंद्वी के तौर पर मजबूत नेता के रूप में उभरी थी। विपक्ष में नीतीश की पहचान एक स्वच्छ छवि और अनुभवी नेता की थी। ऐसे में नीतीश का राजग में आना प्रधानमंत्री मोदी के लिए राह आसान बनाने वाली कही जा रही है।

बिहार की राजनीति को नजदीक से जानने वाले राजनीतिक विश्लेषक सुरेंद्र किशोर कहते हैं कि नीतीश और नरेंद्र मोदी दोनों के लिए यह स्थिति जरूरत और फायदेमंद की है। मोदी को जहां 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बिहार जैसे प्रमुख राज्य में जद (यू) का साथ मिल गया, वहीं जद (यू) भी फिर अपनी भूल सुधारते हुए अपने पुराने दोस्तों के साथ हो लिए।

उन्होंने कहा, मोदी के लिए क्षत्रपों को नाखुश कर 2019 में बहुमत पा लेना आसान नहीं है। इसे ऐसे देख सकते हैं कि नीतीश के राजग में आने से ही विपक्षी दलों की एकता की रणनीति की हवा निकल गई है। उत्तर प्रदेश और गुजरात में भी इसका असर दिखाई दे रहा है।

गोरक्षा के मामले में हिंसा और धर्मनिरपेक्षता को लेकर किशोर कहते हैं, इसमें भी दोनों दलों को परेशानी नहीं होगी। नरेंद्र मोदी भी गोरक्षा के नाम पर हिंसा को जायज नहीं ठहराते।

उनका कहना है, नीतीश भाजपा के सबसे पुराने धर्मनिरपेक्ष सहयोगी हैं। इसके पूर्व भी उन्होंने भाजपा के साथ रहते हुए सांप्रदायिक ताकतों पर नकेल कसी थी, जिसमें भाजपा का भी साथ मिला था।

भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बनते ही नीतीश ने धर्मनिरेक्षता को लेकर विधानसभा में कहा कि लोग अपने भ्रष्टाचार के पाप को धर्मनिरपेक्षता के चोले से छिपाना चाहते हैं।

इधर, पत्रकार संतोष सिंह भी कहते हैं, हाल के दिनों में इस गठबंधन को कोई दिक्कत नहीं है। नीतीश के राजग में आने से केंद्र सरकार को आगामी चुनाव के लिए ‘संजीवनी’ मिल गई है।

उन्होंने हालांकि यह जरूर कहा कि अब राजग बड़े गठबंधन में तब्दील हो चुकी है, जिसमें नीतीश को कम हिस्सेदारी में ही संतोष करना पड़ेगा। वैसे इसके अलावा उनके सामने कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है।

सिंह स्पष्ट कहते हैं, भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता को भी नीतीश ने समझ लिया था। बिहार के इस राजनीतिक उलटफेर में सबसे बड़ी जीत प्रधानमंत्री मोदी की हुई है, जिनके लिए भविष्य की राजनीति के रास्ते का सबसे बड़ा कांटा अब निकल चुका है।

जद (यू) के प्रवक्ता नीरज कुमार कहते हैं कि नीतीश कुमार ने कभी भी खुद को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बताया है। नीतीश ने तो कई मौकों पर कहा है, मुझमें प्रधानमंत्री बनने की योग्यता नहीं है।

बकौल नीरज, नीतीश की पहचान उनकी कार्यशैली रही है। उनका चेहरा विकास और सद्भाव का रहा है। सुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ की छवि है। भाजपा भी भ्रष्टाचार के खिलाफ है। इस गठबंधन का फायदा बिहार को होगा।

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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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