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मैसूर में दशहरा के दिन निकला विजय जुलूस
मैसूर, 30 सितम्बर (आईएएनएस)| बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हुए यहां शनिवार को लोगों ने दशहरा के दिन विजय जुलूस निकाला। ‘दशहरा’ के 10 दिवसीय त्योहार के अंतिम दिन विजयदशमी मनाई जाती है। देशभर के लगभग 10 लाख लोगों ने दक्षिणी राज्य की सांस्कृतिक राजधानी में सजे-धजे हाथी, घुड़सवार गाड़ियां, सांस्कृतिक मांडल, लोक कलाकार और शहर के बीच से होते हुए शाही महल से बन्निमंतप मैदान तक जाने वाली झांकियों को देखने पहुंचे।
17वीं शताब्दी के बाद से होरी परंपरा, सांस्कृतिक भावना और क्षेत्र के पूर्ववर्ती रियासतों के धार्मिक उत्साह के अनुरूप, हिंदू देवता, ‘चामुंडेश्वरी’ एक 750 किलोग्राम के स्वर्ण सिंहासन पर बैठकर परेड का नेतृत्व करेंगे।
राज्य सरकार इस मेले की मेजबानी कर रही है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया देवी मूर्ति को पुष्पांजलि अर्पित करेंगे और वोडेयार राजवंश के वंशज यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा, रानी मां प्रमोदा देवी, अन्य शाही परिवार के सदस्यों और गणमान्य लोगों के साथ अंबा विलास पैलेस के दरवाजों पर 407वीं जुलूस को हरी झंडी दिखाएंगे।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, देवी ने ‘मसासुर’ दानव को मारकर लोगों को उसके अत्याचारों से मुक्त कर दिया। शहर के बाहरी इलाके में चामुंडी पहाड़ी पर उनको समर्पित एक मंदिर है।
पिछले साल एक गंभीर सूखे के बाद राज्य में भारी बारिश हुई, जिसके कारण हजारों ग्रामीण निवासियों और किसानों ने इस धार्मिक आयोजन को मनाने और सांस्कृतिक उत्सव में भाग लेने के लिए शहर में प्रवेश किया।
तीन घंटे लंबी यह जुलूस रात में बर्नमिंटप मैदान में टॉर्चलाइट जुलूस और आतिशबाजी के साथ समाप्त होगी। इस मैदान पर कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला, मशहूर हस्तियों और आमंत्रित व्यक्तियों के साथ मौजूद होंगे।
शांतिपूर्ण उत्सव सुनिश्चित करने और किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए शहर में सुरक्षा-व्यवस्था के व्यापक बंदोबस्त किए गए हैं।
पुलिस के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, पैलेस पर जुलूस मार्ग के आसपास पांच किलोमीटर तक और मैदान में भीड़ पर काबू पाने के लिए 6000 सुरक्षाकर्मी और 1,600 होम गार्ड को तैनात किया गया है।
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मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस
नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।
गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।
शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।
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