प्रादेशिक
केजरीवाल को पेशी से छूट मिली, 17 मार्च को होगी सुनवाई
नई दिल्ली। दिल्ली की एक कोर्ट ने बुधवार को आम आदमी पार्टी के नेता व दिल्ली के भावी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक मानहानि मामले में अदालत में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे दी है। मानहानि की शिकायत एक अधिवक्ता ने दर्ज कराई है।
आप नेता केजरीवाल, मनीष सिसोदिया व योगेंद्र यादव ने एक आवेदन दाखिल कर राजनीतिक वचनबद्धताओं के कारण व्यक्तिगत पेशी से छूट मांगी थी और मामले की सुनवाई 17 मार्च को तय करने का आग्रह किया था, जिसे महानगर दंडाधिकारी मुनीश गर्ग ने स्वीकृति दे दी। न्यायालय ने पूर्व में अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार शर्मा की ओर से दाखिल मानहानि के मामले पर सुनवाई करते हुए केजरीवाल, सिसोदिया व यादव के खिलाफ आरोप तय करने के लिए 11 फरवरी का दिन तय किया था।
न्यायालय ने कहा था, “समाचार पत्रों में छपी प्रेस विज्ञप्ति के साथ ही प्रत्यक्षदर्शियों की गवाहियों से पता चलता है कि समाचार पत्र में प्रकाशित अपमानजनक टिप्पणी की वजह से समाज में शिकायतकर्ता की साख प्रभावित हुई है। यही नहीं समाज के अन्य सदस्यों की नजरों में उसकी प्रतिष्ठा घटी है।” तीनों आप नेता जमानत पर हैं।
सुरेंद्र कुमार का आरोप है कि वर्ष 2013 में आप ने उनसे संपर्क किया और उनसे यह कहते हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए कहा कि केजरीवाल उनके सामाजिक कार्यों से खुश हैं। आरोप है कि सिसोदिया व यादव ने उनसे कहा कि आप की राजनीतिक मामलों की समिति ने उन्हें टिकट देने का निर्णय लिया है, इसके बाद उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए अपना आवेदन भरा। हालांकि, बाद में उन्हें टिकट नहीं दिया गया।
14 अक्टूबर, 2013 को शिकायतकर्ता ने दावा किया कि अग्रणी समाचार पत्रों में आरोपी नेताओं के लेखों में अमर्यादित, गैरकानूनी व अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल की वजह से अधिवक्ता समुदाय व समाज में उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई।
उत्तर प्रदेश
50 साल पुरानी मस्जिद को हटाने का आदेश, मस्जिद के मुतवल्ली पर 4.12 लाख रुपये का जुर्माना
बागपत। बागपत के राजपुर खामपुर गांव में 50-60 साल पहले तालाब की जमीन पर बनी अवैध मस्जिद को हटाने का आदेश जारी हुआ है। तहसीलदार की अदालत में सुनवाई के बाद यह निर्णय लिया गया, जिसमें मस्जिद के मुतवल्ली पर 4.12 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
विवाद कैसे शुरू हुआ?
गांव के निवासी गुलशार ने जुलाई में हाईकोर्ट में विशेष याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने मुतवल्ली पर आरोप लगाया कि उन्होंने गांव के तालाब की जमीन पर अवैध रूप से मस्जिद का निर्माण किया है। गुलशार का कहना था कि तालाब की जमीन पर मस्जिद का निर्माण करके मुतवल्ली ने सरकारी संपत्ति का अतिक्रमण किया है, इसलिए इसे हटाया जाना चाहिए।
कोर्ट की सुनवाई और फैसला
हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्व संहिता के आधार पर कार्रवाई करने का आदेश दिया। आदेश में 90 दिन के अंदर मामले का निपटारा करने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद, डीएम के आदेश पर तहसीलदार ने मस्जिद की जमीन की माप कराई, जिसमें पाया गया कि मस्जिद वास्तव में तालाब की जमीन पर स्थित है।
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