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प्रादेशिक

कोर्ट की फटकार, आरुषि केस को CBI जज ने मूवी डायरेक्टर की तरह सुलझाया

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इलाहाबाद। इलाहबाद हाईकोर्ट ने आरुषि तलवार हत्या मामले में निचली अदालत के जज को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि न्यायाधीश ने इस मामले में सबूत और परिस्थिति को हल्के में लिया और इसे किसी गणित के शिक्षक या फिल्म निर्देशक की तरह सुलझाने की कोशिश की, और माता-पिता राजेश एवं नुपूर तलवार को दोषी ठहराने के लिए सबूत और तथ्यों का मूल्यांकन कर अपनी कल्पना को ठोस आकार देने की कोशिश की।

इस मामले में गुरुवार को आए फैसले में न्यायमूर्ति बी.के. नारायण की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा ने कहा, “निचली अदालत के न्यायाधीश (गाजियाबाद के विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश एस. एल यादव) ने अपने तरीके से अनुमान लगाया और स्पष्ट तथ्यों से किनारा करते हुए गलत तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष निकाल लिया।”

उन्होंने कहा, “यह देखने की परवाह किए बगैर दोषी ठहराना कि यह परिस्थितिजन्य सबूत पर आधारित एक मामला है, चीजों का अपनी धारणाओं से वशीभूत होकर इस तरह से अनुमान नहीं लगाया जा सकता।” उन्होंने कहा कि वह न्यायमूर्ति नारायण के निष्कर्ष के साथ पूरी तरह सहमत है, जो इस विचार से सहमत थे कि इस मामले के प्रत्येक महत्वपूर्ण पहलू पर गहन चर्चा की जाए और फिर इस पर सभी सहमत हों।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि निचली अदालत के न्यायाधीश ने सबूत और परिस्थितियों को हल्के में लिया और इसे गणित की प्रश्न की तरह सुलझाने की कोशिश की। यह कुछ इस तरह है कि किसी को कोई प्रश्न का हल करने के लिए दिया जाता है और वह इसे सुलझाने के क्रम में किसी चीज को हल्के में लेता है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने कहा कि लेकिन मुद्दा यह है कि निचली अदालत का न्यायाधीश किसी गणित शिक्षक की तरह काम नहीं कर सकता, जो कि खास आंकड़ों को हल्के में लेते हुए सादृश्यता के जरिए गणित का कोई सवाल हल कर रहा है।

उन्होंने कहा, “सभी आपराधिक सुनवाइयों में सादृश्यता(एनालोजी) को हरहाल में ऑन रिकार्ड मौजूद सबूतों, तथ्यों और परिस्थितियों की सीमा के अंदर होनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि निचली अदालत के न्यायाधीश ने भ्रामक सादृश्यता और तर्क के आधार पर घटना का आश्चर्यजनक रूप से मनमाना चित्र तैयार किया कि फ्लैट एल-32 जलवायु विहार के अंदर और बाहर क्या कुछ हुआ और जिस तरह से उन्होंने इस चित्र में रंग भरे, वह अपने आप में सवालों के घेरे में है।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, “घटना का पूरी शुरुआत इस तथ्य पर आधारित है कि राजेश तलवार ने अपनी बेटी आरुषि और नौकर हेमराज को आपत्तिजनक हालत में देखा और उसके बाद निचली अदालत के न्यायाधीश ने किसी फिल्म निर्देशक की तरह बिखरे तथ्यों को जुटा कर अपराध के तह तक पहुंचने का विचार बनाया, लेकिन उन्होंने इसके तर्क में कुछ भी नहीं बताया कि वास्तव में वहां किया हुआ था।”

उन्होंने कहा, “इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि निचली अदालत के न्यायाधीश ने शायद अतिरिक्त उत्साह तथा आवेश में और अपने भावनात्मक विश्वास पर इस मामले को एक मजबूत आकार देने की कोशिश की।” उन्होंने न्यायाधीश को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि न्यायाधीश को इस मामले में साफ-सुथरा और पारदर्शी होना चाहिए था और अपनी कल्पना को अनंत तक खींचने का प्रयास नहीं करना चाहिए था, जिससे पूरी न्याय व्यवस्था का मजाक बना। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि यह कहने की जरूरत नहीं है कि इस तरह के संवेदनशील मामले में न्यायाधीश को अत्यंत सावधानी बरतनी चाहिए थी।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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