प्रादेशिक
मेरठ में फल मंडी अध्यक्ष की हत्या, व्यापारियों ने किया हंगामा
मेरठ। उत्तर प्रदेश के मेरठ के टीपीनगर थाना क्षेत्र में बदमाशों ने सोमवार सुबह थोक फल मंडी के अध्यक्ष की गोली मारकर हत्या कर दी और फरार हो गए। हत्या के विरोध में व्यापारियों ने मंडी बंद कर दिल्ली रोड पर जाम लगाकर हंगामा किया, जिन्हें किसी तरह पुलिस ने समझाया और जाम खुलवाया।
टीपीनगर थाना क्षेत्र में दिल्ली रोड पर स्थित नवीन फल मंडी में सोमवार सुबह बाइक सवार दो बदमाशों ने मंडी के कारोबारी व अध्यक्ष रहीसुद्दीन की गोलीमार कर हत्या कर दी और फरार हो गए। घटना से नाराज व्यापारियों ने दिल्ली रोड पर जाम लगाकर हंगामा शुरू कर दिया और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए मंडी बंद कर दी।
मौके पर पहुंचे पुलिस के अधिकारियों ने व्यापारियों को समझाने का प्रयास किया। इस बीच कुछ गुस्साए लोगों ने दिल्ली-मेरठ रोड जाम कर दिया। दो घंटे की मशक्कत के बाद किसी तरह लोगों को समझाकर पुलिस ने जाम खुलवाया।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव पर समाजवादी पार्टी के मुखिया ने उठाया सवाल, जानें अब कैसे चुने जाएंगे डीजीपी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सवाल उठाया है। अखिलेश यादव ने कहा कि यह जो नियम बना है उससे साबित हो रहा है कि लखनऊ और दिल्ली में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कहीं ये दिल्ली के हाथ से लगाम अपने हाथ में लेने की कोशिश तो नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा नेता ने कहा कि सरकार के इस फैसले से कई सीनियर आईपीएस अधिकारी निराश हैं।
क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने डीजीपी पद पर तैनाती के लिए नई नियमावली बना दी है. इस प्रत्सव पर सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में मुहर भी लग गई. इसके लागू होते ही राज्य सरकार अपने स्तर से ही डीजीपी की तैनाती कर सकेगी. इससे पहले राज्य सरकार नामों का पैनल यूपीएससी को भेजती थी, जहां से मुहर लगती थी. हालांकि योगी सरकार के इस फैसले पर सियासत के साथ ही पुलिस महकमे में भी तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं.
क्या है नया नियम
नई नियमावली के तहत पे मैट्रिक्स 16 लेवल के सभी अधिकारी डीजीपी बनने के लिए अब क्वालीफाई कर सकेंगे, जिनकी छह महीने की नौकरी बची हो. आमतौर पर डीजी स्तर के सभी अधिकारी इस लेवल पर होते हैं. अभी तक यूपीएससी गाइडलाइंस के तहत डीजी स्तर के सभी अफसरों का नाम प्रदेश सरकार यूपीएससी को भेजती है, यूपीएससी इनमें से सीनियर मोस्ट तीन अफसरों के नाम प्रदेश सरकार को वापस भेजती थी. इनमें से ही किसी एक को ही विजिलेंस क्लियरेंस के बाद डीजीपी बनाना होता है. सितंबर 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को एक पुलिस एक्ट बनाने के लिए कहा था, जिससे डीजीपी के चयन की व्यवस्था को दबाव से मुक्त रखा जाए, लेकिन तब से अब तक चयन के लिए यूपी ने कोई अलग व्यवस्था नहीं की थी. अब यूपी में डीजीपी के चयन की अपनी नियमावली कैबिनेट से पास करके बना ली है.
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