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उप्र : अनिल दवे के निधन पर उठे सवाल, याचिका दायर
इंदौर, 16 नवंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के निवासी और मोदी सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे के निधन पर सवाल उठने लगे हैं। दवे के करीबी मित्र तपन भट्टाचार्य ने उनकी मौत की जांच एजेंसी से कराने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की है। भट्टाचार्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मोहन माथुर ने बुधवार को उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर कर दवे की मौत की निष्पक्ष जांच एजेंसी से कराए जाने की मांग की है। इस जनहित याचिका में कई मुद्दों को उठाया गया और मौत को संदिग्ध बताया गया है।
भट्टाचार्य ने गुरुवार को आईएएनएस को बताया कि दवे उनके बचपन के मित्र थे। उनकी मौत के बाद जो तथ्य सामने आए वह शंका पैदा करने वाले हैं। दिल्ली स्थित उनके निवास से राम मनोहर लोहिया अस्पताल नजदीक था। बावजूद इसके, उन्हें इलाज के लिए एम्स ले जाया गया।
भट्टाचार्य सवाल करते हैं, निधन के तुरंत बाद दवे की वसीयत सामने आ गई। इसे किसने सार्वजनिक किया या वह वसीयत किसे मिली, इसका भी किसी को पता नहीं है। वसीयत वो होती है, जिसमें नाम, उम्र, पिता का नाम अपनी संपत्ति का जिक्र होता है, जो कागज मिला उसमें यह कुछ नहीं है। जो वसीयतनामा प्रचारित किया गया, वह तो एक सादे कागज पर ठीक वैसे ही था, जैसे कोई देहदान आदि के लिए लिखता है।
भट्टाचार्य बताते हैं कि उन्होंने अपनी वसीयत में अंत्येष्टि गृहनगर में किए जाने की बात लिखी थी। राज्य सरकार ने ऐलान किया था कि अंत्येष्टि इंदौर में होगी। इसके बाद कहा गया कि अंत्येष्टि इंदौर में नहीं, होशंगाबाद में होगी। अंत्येष्टि का समय पहले 10 बजे का तय किया गया और समय व स्थान बदलते हुए अंत्येष्टि नौ बजे कर दी गई।
भट्टाचार्य का आरोप है कि दवे के शव पर कुछ नीले निशान थे, इतना ही नहीं उनके शव को पहले कांच के ताबूत (कॉफिन) में रखा गया। फिर बदलकर लकड़ी के ताबूत में रखा गया, जो सवाल खड़े करता है। इतना ही नहीं, शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। इसके लिए क्या परिवार वालों से राय ली गई।
भट्टाचार्य कहते हैं, दवे कोई ऐसे व्यक्ति तो थे नहीं, जिन्हें कोई जानता न हो। आखिर उनका अंत्येष्टि कराने में इतनी जल्दबाजी क्यों की गई। उनके निवास पर भी पार्थिव देह को कुछ समय के लिए रखा गया और फिर उसे होशंगाबाद के बांद्राभान ले गए।
भट्टाचार्य का कहना है कि दवे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के समर्थन में नहीं थे, वे किसानों की बात करने वाले नेता थे। उन पर कुछ आदेश जारी करने का दबाव था, मगर वे नहीं माने। यह बात उन्होंने कई लोगों से साझा भी की थी।
ज्ञात हो कि दवे की 17 मई, 2017 को दिल्ली के आवास में तबीयत बिगड़ी थी, जिसके बाद उन्हें एम्स ले जाया गया, जहां उनका का निधन हो गया। उनकी अंत्येष्टि होशंगाबाद के बांद्राभान में की गई थी। यह वह स्थान है, जहां दवे हर वर्ष नदी महोत्सव आयोजित करते थे।
नेशनल
पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।
स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,
एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ
कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी
डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।
On the move again, embarking on an exciting 4 nation book tour! 🇮🇳Looking forward to connecting with the vibrant Indian diaspora, celebrating India’s immense potential, and engaging in meaningful conversations. This journey is not just about a book; it’s about storytelling,… pic.twitter.com/dovNotUtOf
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 20, 2024
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