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प्रजनन संबंधी रोग में भी तुलसी गुणकारी

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नई दिल्ली, 25 नवंबर (आईएएनएस)| तुलसी श्वास की बीमारी, मुंह के रोगों, बुखार, दमा, फेफड़ों की बीमारी, हृदय रोग तथा तनाव से छुटकारा दिलाती है। इसके साथ ही प्रजनन संबंधी रोग में भी यह काफी गुणकारी है। यह नपुंसकता, स्तंभन एवं प्रसवोत्तर शूल में यह काफी लाभकारी है।

पंतजलि आयुर्वेद के आचार्य बालकृष्ण के अनुसार, तुलसी कई रोगों में रामबाण औषधि की तरह काम करती है। उन्होंने कहा कि प्रजनन, त्वचा, ज्वर और विष चिकित्सा में तुलसी का प्रयोग लाभप्रद है। तुलसी के प्रयोग से सस्ता व सुलभ तरीके से उपचार किया जा सकता है।

प्रजनन संबंधी रोग में औषधीय प्रयोग विधि :

* स्तंभन के लिए : 2 से 4 ग्राम तुलसी मूल चूर्ण और जमीकंद चूर्ण को मिलाकर 125-250 मिलीग्राम की मात्रा में पान में रखकर खाने से स्तंभन दोष मिटता है।

* प्रसवोत्तर शूल : तुलसी के पत्ते के रस में पुराना गुड़ तथा खांड मिलाकर प्रसव होने के बाद तुरंत पिलाने से प्रसव के बाद का शूल नष्ट होता है।

* नपुंसकता : समभाग तुलसी बीज चूर्ण या मूल चूर्ण में बराबर की मात्रा में गुड़ मिलाकर 1 से 3 ग्राम की मात्रा में, गाय के दूध के साथ लगातार लेते रहने से एक माह या छह सप्ताह में लाभ होता है।

त्वचा संबंधी रोग में उपयोग :

* कुष्ठ रोग : 10-20 तुलसी के पत्ते के रस को प्रतिदिन सुबह में पीने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।

* तुलसी के पत्तों को नींबू के रस में पीसकर, दाद, वातरक्त कुष्ठ आदि पर लेप करने से लाभ होता है।

* सफेद दाग, झाईं : तुलसी के पत्ते का रस, नींबू रस, कंसौदी पत्र तीनों को बराबर-बराबर लेकर उसे तांबे के बरतन में डालकर चौबीस घंटे के लिए धूप में रख दें। गाढ़ा हो जाने पर रोगी को लेप करने से दाग तथा अन्य चर्म विकार साफ होते हैं, इसे चेहरे पर भी लगााया जाता है।

* नाड़ीव्रण : तुलसी के बीजों को पीसकर लेप करने से दाह तथा नाड़ीव्रण का शमन होता है।

* शीतपित्त : शरीर पर तुलसी के रस का लेप करने से शीतपित्त तथा दर्द का शमन होता है।

* शक्तिवृद्वि के लिए : 20 ग्राम तुलसी बीजचूर्ण में 40 ग्राम मिश्री मिलाकर महीन-महीन पीस लें, इस मिश्रण को 1 ग्राम की मात्रा में शीत ऋतु में कुछ दिन सेवन करने से वात-कफ रोगों से बचाव होता है। दुर्बलता दूर होती है, शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

ज्वर रोग :

* मलेरिया ज्वर : तुलसी का पौध मलेरिया प्रतिरोधी है। मलेरिया में तुलसी पत्तों का क्वाथ तीन-तीन घंटे के अंतर से सेवन करें। तुलसी मूल क्वाथ को आधा औंस की मात्रा में दिन में दो बार देने से ज्वर तथा विषम ज्वर उतर जाता है।

* कफप्रधान ज्वर : 21 नग तुलसी दल, 5 नग लवंग तथा अदरक रस 500 मिली को पीस छानकर गर्म करें, फिर इसमें 10 ग्राम मधु मिलाकर सेवन करें।

* आंत्र ज्वर : 10 तुलसी पत्रा तथा 1 ग्राम जावित्री को पीसकर शहद के साथ चटाने से लाभ होता है।

* साधारण ज्वर : तुलसी पत्रा, श्वेत जीरा, छोटी पीपल तथा शक्कर, चारों को कूटकर सुबह-शाम देने से लाभ होता है।

विष चिकित्सा :

* सर्पविष : 5 से 10 मिलीग्राम तुलसी पत्ते के रस को पिलाने से और इसकी मंजरी और जड़ों को बार-बार दंशित स्थान पर लेप करने से सर्पदंश की पीड़ा में लाभ मिलता है। अगर रोगी बेहोश हो गया हो, तो इसके रस को नाक में टपकाते रहना चाहिए।

* शिरोगत विष : विष का प्रभाव यदि शिर: प्रदेश में प्रतीत हो तो बंधु, जीव, भारंगी तथा काली तुलसी मूल के स्वरस अथवा चूर्ण का नस्य देना चाहिए।

स्वामी रामदेव का आजमाया स्वानुभूत प्रयोग :

तुलसी के 7 पत्ते तथा 5 लौंग लेकर एक गिलास पानी में पकाएं। पानी पककर जब आधा शेष रह जाए, तब थोड़ा सा सेंधा नमक डालकर गर्म-गर्म पी जाएं यह काढ़ा पीकर कुछ समय के लिए वस्त्र ओढ़कर पसीना लें। इससे ज्वर तुरंत उतर जाता है तथा सर्दी, जुकाम व खांसी भी ठीक हो जाती है। इस काढ़े को दिन में दो बार 2-3 दिन तक ले सकते हैं।

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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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