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हिमाचल चुनाव परिणाम: सेना जीती पर हार गया सेनापति
शिमला। हिमाचल प्रदेश में मतदाताओं ने सत्ता परिवर्तन का जनादेश दिया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कांग्रेस से सत्ता हथियाने में कामयाब रही। पार्टी राज्य में दो-तिहाई बहुमत के साथ 68 सदस्यीय विधानसभा में 44 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है। लेकिन इसके मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल और प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती को हार का सामना करना पड़ा। कुल मिलाकर जनता में यह संदेश गया कि सेना तो जीत गई लेकिन सेनापति वीरगति को प्राप्त हुआ।
सत्तारूढ़ कांग्रेस अभी तक 20 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही है, जबकि एक सीट पर वह आगे चल रही है। कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और निवर्तमान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अर्की विधानसभा पर अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप 6,051 मतों से जीत दर्ज की है।
उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह ने भी शिमला (ग्रामीण) विधानसभा सीट पर आसानी से 4,880 मतों के साथ अपनी जीत दर्ज की है। इस सीट पर उनसे पहले उनके पिता का कब्जा था। भाजपा प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती को ऊना विधानसीट पर कांग्रेस के सतपाल सिंह रायजादा के हाथों शिकस्त मिली।
सांसद अनुराग ठाकुर के पिता धूमल सुजानपुर सीट पर कांग्रेस के राजिंदर राणा से हार गए। उन्होंने ही इस सीट पर चुनाव लडऩे में दिलचस्पी दिखाई थी। भाजपा को अब मुख्यमंत्री पद के लिए कोई दूसरा चेहरा तलाशना होगा।
राणा एक समय में धूमल के चुनाव प्रबंधक थे और वह उनके परिवार से भलीभांति परिचित हैं। राणा ने दो बार के मुख्यमंत्री धूमल को सीधे चुनाव में 2,933 मतों से शिकस्त दी है।
धूमल ने अपने गृहनगर हमीरपुर में संवाददाताओं से कहा, “राजनीति में किसी एक को हार, जबकि दूसरे को जीत का सामना करना होता है। हम सुजानपुर के लोगों को न्याय देने में सक्षम नहीं रहे और असफल साबित हुए। यह आत्ममंथन करने का समय है।”
धूमल ने अपनी हमीरपुर सीट पार्टी विधायक नरेंद्र ठाकुर के साथ बदल ली थी। ठाकुर ने हमीरपुर सीट पर जीत हासिल की है। हमीरपुर भाजपा का गढ़ रही है। राजनीतिक समीक्षकों ने कहा कि धूमल और राणा के बीच यह प्रतियोगिता दिलचस्प थी। राणा भाजपा से अलग हो गए थे। कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह ने विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार स्वीकार कर ली है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मैं अपनी पार्टी की हार स्वीकार करता हूं। किसी को विजयी बनाना लोगों का निर्णय है। यह उनका अधिकार है।”
उन्होंने कहा, “चुनाव मेरे नेतृत्व में लड़ा गया और मैं हमारी हार को स्वीकार करता हूं।” धूमल के करीबी विश्वासपात्र रवींद्र रवि, गुलाब सिंह ठाकुर, रणधीर शर्मा और तेजवंत नेगी सभी विधायकों को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, भाजपा के जयराम ठाकुर ने चुनाव जीता और लगातार पांच बार सेराज का प्रतिनिधित्व किया।
कांग्रेस के कैबिनेट मंत्री कौल सिंह, सुधीर शर्मा, ठाकुर सिंह और प्रकाश चौधरी को भाजपा के हाथों अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा।मंडी विधानसभा सीट पर चंपा ठाकुर की बेटी कौल सिंह को भाजपा के अनिल शर्मा के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा। अनिल शर्मा ने मंडी सीट बरकरार रखी है। शर्मा ने सरकार और सत्तारूढ़ कांग्रेस से इस्तीफा देकर अपने पिता और पूर्व दूरसंचार मंत्री सुखराम के साथ चुनाव से पहले विपक्षी भाजपा का दामन थामा था।
इसी तरह भाजपा के रवींद्र धीमान ने कांग्रेस के मौजूदा विधायक यदविंदर गोमा को जयसिंहपुर सीट से हराया। भाजपा के किशोरी लाल ने एनी सीट से कांग्रेस के बंसीलाल को हराया। भाजपा के मौजूदा विधायक सुरेश भारद्वाज ने शिमला सीट से कांग्रेस के हरभजन भज्जी को हराया। भाजपा और कांग्रेस के दिग्गजों रविंदर रवि और विप्लव ठाकुर को देहरा से निर्दलीय उम्मीदवार होशियार सिंह से हार का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस के मौजूदा विधायक अनिरुद्ध सिंह ने भाजपा के विजय ज्योति सेन को हराकर जीत दर्ज की। दोनों शाही परिवारों से ताल्लुक रखते हैं।भाकपा के राकेश सिंघा ने ठियोग से भाजपा के अपने निकट प्रतिद्वंद्वी राकेश वर्मा को हराया।
नौ नवंबर को हुए चुनाव में कुल 337 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। राज्य में हुए चुनाव में कुल 37,83,580 लोगों ने मतदान किया था। इस दौरान मतदान प्रतिशत 75.28 रहा। कांग्रेस और भाजपा ने सभी 68 सीटों पर चुनाव लड़ा था। ज्यादातर एग्जिट पोल से भाजपा के सत्ता में लौटने के संकेत मिले थे।
वर्ष 1985 से राज्य में निरंतर पांच साल के अंतराल पर सत्ता का फेरबदल होता है। वर्ष 2012 में अन्ना हजारे के कांग्रेस विरोधी आंदोलन के बाद यहां कांग्रेस ने 36 सीटें जीती थीं और भाजपा 26 पर सिमट गई थी, जबकि निर्दलियों ने छह सीटें अपने नाम की थी।
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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।
स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,
एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ
कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी
डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।
On the move again, embarking on an exciting 4 nation book tour! 🇮🇳Looking forward to connecting with the vibrant Indian diaspora, celebrating India’s immense potential, and engaging in meaningful conversations. This journey is not just about a book; it’s about storytelling,… pic.twitter.com/dovNotUtOf
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 20, 2024
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