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कश्मीर : सर्दियों में अब नहीं मिलते किस्सागो
श्रीनगर, 9 जनवरी (आईएएनएस)| कश्मीर के हाथ से जैसे उसकी एक विरासत फिसलती जा रही है। हड्डियों को जमा देने वाली ठंड में घाटी के बच्चों को खासकर यह गर्म रखा करती थी।
ये वे कहानियां थीं, जो बच्चों को सुनाई जाती थीं। सर्द रातें जितनी लंबी और स्याह होती जाती थीं, उतनी ही इन कहानियों का रहस्य पैना होता जाता था। लेकिन, अब यह गुजरे जमाने की बात होती जा रही है।
हाड़ को कंपा देने वाली ठंड में बड़े-बुजुर्ग, माएं सुनाती थीं बर्फीले आदमी की कहानी, उन चुड़ैलों की कहानियां जो बच्चों को उठा ले जाती हैं, शैतानों से लड़ते राजकुमारों की कहानियां और फिरदौसी की दसवीं सदी के ईरानी पहलवान रुस्तम और उसके बेटे सोहराब की कहानी..अब कश्मीरी इन सभी की कमी महसूस कर रहे हैं।
टेलीविजन और थिएटर से आज के समय में मिलने वाला मनोरंजन शायद कभी भी पूरी तरह से उस कला की जगह न ले सके, जो बिस्तर पर सुनाई जाने वाली कहानियों की शक्ल में कश्मीरियों को सदियों तक बहलाती रहीं।
बात छिड़ते ही हबीबुल्ला (78) को एकदम से अपना बचपन याद आ गया। उन्होंने आईएएनएस से कहा, नानी-दादी जब उन चुड़ैलों की कहानी सुनाती थीं, जो जाड़े के मौसम में बच्चों को उठा ले जाती हैं और पहाड़ों की गुफाओं में बंद कर देती हैं, तो फिर शायद ही कोई बच्चा ऐसा होता था जो अंधेरी रात में निकलने की हिम्मत जुटा सके।
हबीबुल्ला ने कहा कि तब जिंदगी में सहूलियतें आज के मुकाबले कम थीं, लेकिन सुकून ज्यादा था। उन्होंने कहा, जब मैं छोटा था, उस वक्त घाटी के किसी गांव में बिजली नहीं थी। मां लकड़ी से चूल्हा जलाती थी और हम उसकी गर्मी में अपनी मां के साथ बैठ जाते थे। कोई दिया, डिबरी या लालटेन ही रोशनी का सहारा हुआ करती थी। अधिकांश घरों में माएं और नानी-दादियां एक से बढ़कर एक किस्से सुनाती थीं कि कैसे राक्षसों से लड़कर किसी राजकुमार ने राजकुमारी को रिझाया था।
हबीबुल्ला ने कश्मीर की उस परंपरा को भी याद किया जब चिल्ला कलां (21 दिसंबर से शुरू होने वाले सबसे भीषण जाड़ों वाले 40 दिन) में कहानियां सुनाने वाले गांवों में आया करते थे।
उन्होंने कहा, इन कहानियों को सुनाने वालों का आना अपने आप में एक बड़ी बात हुआ करती थी। आमतौर से गांव का सबसे संपन्न परिवार इनकी मेजबानी करता था।
हबीबुल्ला ने बताया, रात के खाने के बाद, करीब-करीब पूरा गांव ही किस्सा सुनाने वाले के मेजबान के घर इकट्ठा हो जाता था। सभी लोगों को कहवा पिलाया जाता था। वह पहले एक छोटी कहानी से शुरू करता, कि कैसे एक राजकुमार लकड़ी के घोड़े पर बैठकर दूर राक्षस की गुफा से राजकुमारी को छुड़ाता है।
उन्होंने कहा, उसके बाद वह फिरदौसी के फारसी में लिखे महाकाव्य शाहनामा से रुस्तम और उसके बेटे सोहराब की दर्द भरी कहानी सुनाता था।
ये कहानियां हबीबुल्ला ने करीब सत्तर साल पहले सुनी थीं। उन्हें आज भी यह सब याद हैं। उन्होंने कहा कि बात सिर्फ मनोरंजन की नहीं होती थी, कहानियों से नैतिक सीख भी मिलती थी कि क्या सही है और क्या गलत।
उन्होंने बताया कि कहानियां सुनाने वाला अपने कटे-फटे थैले में कहानियों की किताबें रखे रहता था। अगर सुनने वालों में से कोई कहानी की प्रमाणिकता पर सवाल उठाता था, तो वह झट से इन किताबों को पेश कर देता था।
कश्मीर की पुरानी पीढ़ी के लोग अपने वक्त को नहीं भूल पाते। उनका कहना है कि आज का वक्त अपनी तमाम सुविधाओं के बावजूद अतीत की मासूमियत का मुकाबला नहीं कर सकता।
हबीबुल्ला ने बताया कि तब बर्फ भी ज्यादा पड़ती थी। सभी रास्ते बंद हो जाते थे। गांव कई महीनों तक अलग-थलग पड़ जाते थे। गांव ही दुनिया हो जाता था। लेकिन, हम पहले से इंतजाम रखते थे। इन हालात में हम आत्मनिर्भर रहते थे। आज कुछ भी कम पड़े, तो बाजार से ही मिलता है। तब जिंदगी में सुकून था। किसी को नींद नहीं आने या डिप्रेशन की बीमारी नहीं होती थी। हरी घास पर वो नींद आती थी, जो आज मखमल के बिस्तर पर नहीं आती।
हबीबुल्ला उन तमाम कश्मीरियों में से एक हैं जिनका मानना है कि अपने अतीत से ताल्लुक तोड़ने से एक खुशहाल जिंदगी नहीं मिला करती।
नेशनल
पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।
स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,
एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ
कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी
डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।
On the move again, embarking on an exciting 4 nation book tour! 🇮🇳Looking forward to connecting with the vibrant Indian diaspora, celebrating India’s immense potential, and engaging in meaningful conversations. This journey is not just about a book; it’s about storytelling,… pic.twitter.com/dovNotUtOf
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 20, 2024
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