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सर्च फाउंडेशन ने आयोजित किया स्पीक चिल्‍ड्रेन विषयक सेमिनार

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सर्च फाउंडेशन, आयोजित, स्पीक चिल्ड्रेन विषयक सेमिनार

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लखनऊ  । बच्चों को आजादी दे, बच्चों को अनुशासन सिखाएं, बच्चों की सुने, बच्चों को अपनी पुरानी पम्पराओं से जोड़े। ये कुछ बातें मंगलवार को स्पीक चिल्‍ड्रेन विषयक सेमिनार में उभर कर सामने आईं। सेमिनार का उद्ïदेश्य ऐसा वातावरण बनाना था, जिससे कि बच्चे अपनी बात खुल के बेझिझक कहे सकें। बड़ों ने बच्चों के  छिन रहे बचपने पर ङ्क्षचता भी जताई।

सेमिनार का आयोजन सर्च फाउंडेशन की ओर से जयशंकर प्रसाद सभागार में किया गया था। इसके संयोजक फाउंडेशन के संस्थापक सर्वेश अस्थाना थे। सेमिनार की मुख्य अतिथि उ. प्र राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष जूही सिंह थीं। इसके अलावा समाज सेविका मनोरमा लाल, महानगर गल्र्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या श्रुति सिंह विशिष्ट अतिथि व बुद्धा ग्रुप के अध्यक्ष अनिल टेकरीवाल थे। सत्यपथ  संस्था ने इसमें सहयोग दिया।

प्रदेश में नवगठित बाल  सरंक्षण आयोग की अध्यक्ष जूही सिंह ने बताया कि 1929 में पहली बार बाल सुरक्षा पर बात की गई और 1952 में यूएनओ में इसे मान्यता मिली। वर्ष 2003 में देश में बाल सुरक्षा अधिकार  कानून  पारित  हुआ था। प्रदेश में पहली बार इसी 22 फरवरी को बाल संरक्षण आयोग बना। जिसकी पहली अध्यक्ष हूं। उन्होंने कहा कि अभी शुरुआत है। लोगों से इस सम्बंध में फीड बैक लेंगे। स्कूलों में जाएंगे। किसी बच्चे से ही आयोग का लोगों भी बनवाएंगे।

उन्होंने लोगों से सुझाव देने की बात कही। अध्यक्ष बनने के बाद वह पहली बार बाल सुरक्षा पर आयोजित किसी कार्यक्रम में शामिल हुई थीं।  भिखारी बच्चों को  जिंदगी संवारने में अपना योगदान देने वाली मनोरमा लाल ने बताया कि बच्चे पर अनुशासन तो होना चाहिए। उसे सही-गलत की  सम्रझ नहीं होती है। उन्होंने बताया कि निचले तबके में बच्चा घर की आजीविका का सहारा बनता है। अमीर परिवारों में बच्चे को देने के लिए समय नहीं होता है।

विशिष्ट अतिथि  श्रुति सिंह ने बताया कि बच्चों को आजादी देनी चाहिए, हम बच्चों को अपनी प्रापर्टी समझते हैं। बच्चे को दूर से देखना चाहिए लेकिन उसे आजादी मिलनी चाहिए। राष्टïपति पुरस्कार प्राप्त बच्ची विभू बाजपेई ने कहा कि बच्चे को समझने का प्रया करना चाहिए। मां-बाप को बच्चे को उत्साहित करना चाहिए न कि उसकी कमी निकालना चाहिए।

शिक्षिका वत्सला पांडेय ने कहा कि बच्चे के लिए  समय निकाले, उसे प्रेरक प्रसंग सुनाना चाहिए। आजकल हम बच्चे को समय नहीं दे पाते हैं। चबूतरा पाठशाला के निदेशक महेश चंद्र देवा ने कहा कि बच्चों को आजादी मिलनी चाहिए। सबसे पहले अपने ही घरों में बच्चे को आजाद करें। कवि एवं ऐशबाग रामलीला समिति के मंत्री आदित्य द्विवेदी ने कहा कि बच्चों पर अपनी इच्छाओं को न थोपें। उनमें हीन भावना न आने दे और अपनी परम्पराओं से जोड़े।

सेमिनार के संयोजक सर्वेश अस्थाना ने बताया कि स्पीक चिन्डेन का पहला कदम है। इस  सेमिनार से जो बातें सामने आएंगी, उन बातों को घ्यान में रखकर काम किया जाएगा। यह एक अभियान है। इसका उद्देश्य ऐसा वातावरण बनाना है जिससे बच्चे मुक्त वातावरण में जी सके और अपनी बात कह सके , उनका बचपना बचा रहे सके। इसके अलावा उन्होंने सर्च फांउडेशन की गतिविधियों पर भी  प्रकाश डाला। इसका संचालन युवा रंगकर्मी मुकेश वर्मा ने किया। सेमिनार में पंकज श्रीवास्तव, जीशान, फारिया बेग, रितेश सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

 

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IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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