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नहीं रहीं बॉलीवुड की ‘शम्मी आंटी’, अमिताभ हुए इमोशनल
बॉलीवुड से एक के बाद एक दुखद समाचार मिलने का सिलसिला जारी है। वेटरन बॉलीवुड एक्ट्रेस शम्मी आंटी ने लंबी बीमारी के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया है। शम्मी को उनके कॉमिक किरदारों के लिए जाना जाता था। उन्होंने कुली नं.-1 हम, गोपी-किशन, हम साथ-साथ हैं समेत 200 फिल्मों में काम किया है। उन्होंने कई टेलीविजन शोज में भी काम किया है।
1931 में मुंबई में जन्मी शम्मी आंटी का असली नाम नरगिस रबाड़ी था। फैंस और बॉलीवुड में लोग उन्हें शम्मी आंटी कह कर ही बुलाते थे। खबर है कि वह लंबे समय से बीमार चल रही थीं और सोमवार रात एक बजे उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। शम्मी आंटी ने कई फिल्मों में मां का किरदार निभाया।
दिग्गज एक्टर अमिताभ बच्चन ने भी ट्विटर पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा है कि- “बेहतरीन अदाकारा और परफॉर्मर अब हमारे बीच नहीं हैं। उनकी तबियत लंबे समय से खराब चल रही थी। धीरे-धीरे सभी जा रहे हैं।”
शम्मी आंटी ने कई टेलीविजन शोज में भी काम किया। उनके चर्चित शो ‘देख भाई देख’ को कौन भूल सकता है? ‘जबान संभाल के’, ‘फिल्मी चक्कर’ जैसे शो में भी उन्होंने अभिनय किया। वह बीते 64 साल से इंडस्ट्री में सक्रिय रूप से काम कर रही थीं। फिल्मों की फेहरिस्त में उनके नाम लगभग 200 फिल्में दर्ज हैं। उनकी पहली फिल्म उस्ताद पेद्रो थी। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 18 साल थी, हालांकि बतौर हीरोइन उनकी पहली फिल्म मल्हार थी।
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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात
कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान
मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’
4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।
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