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आस्था में दखल न दें अदालतें : शिवसेना

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मुंबई| शिवसेना ने सोमवार को अदालतों से कहा कि ये सार्वजनिक हितों को ध्यान में रखते हुए आस्था और धर्म के मामलों में दखल न दें। पार्टी की ओर से यह बयान बम्बई उच्च न्यायालय के हाल के उस आदेश के बाद आया है, जिसमें संकरे या अत्यधिक यातायात वाले इलाकों में मंडप अथवा शामियाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा है, “न्यायालय के इस आदेश से गणेशोत्सव, दही-हांडी, गुडी पर्व, शिव जयंती तथा अन्य राष्ट्रीय अथवा धार्मिक उत्सवों पर असर पड़ेगा।”

पार्टी ने इस पर भी आपत्ति जताई कि हाल के वर्षो में पर्यावरण अथवा प्रदूषण के नाम पर कई हिन्दू और राष्ट्रीय त्योहारों के मनाने के तौर-तरीके पर रोक लगाई गई।

पार्टी ने संपादकीय में लिखा है, “कोई भी ‘अंदू-पंदू’ गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ऐसे मामलों को लेकर अदालत में उपस्थित हो जाते हैं और इस तरह मामले को पेश करते हैं, जैसे वे बहुमत का प्रतिनिधित्व कर रहे हों और इस पर अदालतें आदेश भी दे देती हैं.. यहां तक कि पुलिस भी ऐसे मामलों में कई बार आक्रमक तरीके से पेश आती है। कुछ गिने-चुने लोगों या एनजीओ के विचारों को बहुमत का प्रतिनिधित्व नहीं माना जा सकता।”

मुंबई में अत्यधिक भीड़भाड़ का जिक्र करते हुए शिवसेना ने लिखा है कि यहां त्योहार नहीं होने पर भी वर्ष भर सड़कों पर जाम रहता है और सड़कें कई जगह संकरी हैं।

पार्टी ने देश के अन्य हिस्से से मुंबई आने वालों की भीड़ पर एक बार फिर नाखुशी जाहिर करते हुए लिखा है, “क्या अदालतें मुंबई आने वाली भीड़ पर नियंत्रण के लिए ‘परमिट सिस्टम’ का आदेश देंगी? देश के अन्य हिस्सों से लोग यहां आते हैं। इस संबंध में ‘जाओ या आओ- यह तुम्हारा अपना घर है’ जैसी बात स्वीकार्य है।”

पार्टी के मुताबिक, कुछ गिनेचुने लोग समाज या राष्ट्र के विचार का प्रतिनिधित्व नहीं करते। राष्ट्रीय अथवा धार्मिक त्योहारों को मनाने पर किसी भी तरह के प्रतिबंध से बहुसंख्यक लोगों का उत्साह कमजोर पड़ता है।

शिवसेना ने माना कि अदालतों का काम सभी को न्याय प्रदान करना है, लेकिन पार्टी का यह भी कहना है कि उन्हें धार्मिक या आस्था के मामलों से दूर रहना चाहिए, खासकर जब इसकी आवश्यकता नहीं हो।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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