Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

जन तक नायक के पहुंचने की अच्‍छी पहल

Published

on

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आकाशवाणी, विभिन्नी मुद्दों पर संवाद स्थासपित करना, लैंड बिल पर फैली गलतफहमी, लोकतंत्र में संवादहीनता, पीएमओ की वेबसाइट, संसद में बहस

Loading

नई दिल्‍ली। गलतफहमी दूरी को जन्‍म देती है जोकि बाद में कई समस्‍याओं का कारण बनती है। लोकतंत्र में संवाद गलतफहमी दूर करने का सबसे अच्‍छा साधन है। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आकाशवाणी के माध्‍यम से मन की बात कार्यक्रम के जरिए देश की जनता से विभिन्‍न मुद्दों पर संवाद स्‍थापित करना एक अच्‍छी पहल है।

इसी क्रम में में प्रधानमंत्री ने आज लैंड बिल पर फैली गलतफहमी को दूर करने का प्रयास किया। उन्‍होंने अपने ढंग से किसानों तक पंहुचने का जो माध्‍यम अपनाया, वह वास्‍तव में सराहनीय है। गलतफहमी कितनी दूर हुई? यह तो बाद में देखने वाली बात होगी लेकिन रेडियो जैसे संवाद स्‍थापित करने के सशक्‍त माध्‍यम का उपयोग कर मोदी ने एक अच्‍छी परंपरा की शुरूआत की है।

लोकतंत्र में संवादहीनता जननायक को जन से दूर कर देती है और जन से दूर हुआ नायक बहुत समय तक नायक नहीं बना रह पाता। देश के विभिन्‍न राज्‍यों को भी इस तरह के मॉडल अपनाने चाहिए ताकि जनता की समस्‍याएं सीधे उनके नेता तक पंहुच सकें। प्रधानमंत्री मोदी ने इस हाईटेक युग में तकनीक का प्रयोग कर जिस तरह से चुनावी सफलता प्राप्‍त की है, उससे हर कोई वाकिफ है। अब उसी तकनीक का उपयोग कर वह लोगों के बीच अपनी पंहुच बरकारार रखने के लिए कर रहे हैं।

पीएमओ की वेबसाइट के माध्‍यम से जनता द्वारा समस्‍याओं के निदान के लिए मांगे गए सुझाव भी इसी क्रम की एक कड़ी हैं। अच्‍छा हो यदि सुझावों पर लगातार अमल भी होता रहे।

लैंड बिल को लेकर जो गलतफहमियां फैलीं या यूं कहिए फैलाई गईं, उससे एक बात तो साफ है कि कुछ लोग आज भी हैं जो देश का चहुमंखी विकास न चाहकर सिर्फ अपने नि‍हित स्‍वार्थों की चिंता करते हैं। जनता को ऐसे लोगों की पहचान करनी चाहिए और वास्‍तविकता से अवगत होकर उन्‍हें कड़ा सबक सिखाना चाहिए।

कहते हैं कोई भी व्‍यक्ति पूर्ण नहीं होता क्‍योंकि मान्‍यताओं के मुताबिक पूर्ण तो सिर्फ ईश्‍वर है, इंसान है तो उसमें कोई न कोई कमी जरूर होगी लेकिन कुछ कमियां ऐसी होती हैं जिन्‍हें नजरअंदाज करना मुश्किल होता है और कुछ को नजरअंदाज किया जा सकता है। देश की जनता को आज इसी पैमाने की जरूरत है।

लैंड बिल पर विपक्ष द्वारा संसद में बहस न कर सड़क पर उतरने की रणनीति कहीं से भी सही नहीं ठहरायी जा सकती। ऐसे मसलों का समाधान सड़क पर नहीं संसद में होता है और वो भी जब संसद चल रही हो तो सड़क पर उतरना किसी भी लिहाज से सही नहीं ठहराया जा सकता। सिर्फ अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन प्राप्‍त करने के लिए जनता को किसी मुद्दे पर गुमराह करना विपक्षी दलों के लिए घातक हो सकता है।

वैसे सरकार को भी विपक्ष को विश्‍वास में लेने का पूरा प्रयास करना चाहिए क्‍योंकि लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका भी कम नहीं आंकी जा सकती। जनता सिर्फ पांच सालों के लिए सत्‍ता सौंपती है। उम्‍मीद की जा सकती है कि लैंड बिल पर जनता की आपत्तियों को सरकार समझेगी और उचित बदलाव के साथ लैंड बिल पारित होकर कानून की शक्‍ल ले सकेगा।

नेशनल

मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

Published

on

Loading

नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।

गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।

शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।

 

Continue Reading

Trending