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बिजनेस

आरबीआई की नीति समीक्षा में दर कटौती की उम्मीद नहीं

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मुंबई| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मंगलवार सात अप्रैल को होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा घोषणा में रेपो दर को 7.50 फीसदी पर जस का तस छोड़ दिए जाने की उम्मीद है। जनवरी से लेकर अब तक आरबीआई ने नियत समय से हट कर दो बार रेपो दर में कटौती की है, जिससे कुल 50 आधार अंकों की कटौती के साथ यह वर्तमान स्तर पर आई है।

रेपो दर वह दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक आरबीआई से छोटी अवधि के लिए कर्ज लेते हैं।

आगामी नीति समीक्षा में नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) को भी चार फीसदी पर जस का तस छोड़ दिए जाने का अनुमान है। सीआरआर वाणिज्यिक बैंकों की जमा पूंजी का वह अनुपात है, जो निश्चित रूप से आरबीआई में जमा रखना पड़ता है।

जनवरी में दर कटौती की घोषणा के दौरान आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था, “आगे की कटौती उन आंकड़ों पर निर्भर करेगी, जिससे महंगाई के दबाव में गिरावट और वित्तीय घाटा कम करने के रास्ते पर होने वाली प्रगति की जानकारी मिलेगी।”

उपभोक्ता महंगाई दर दिसंबर के 4.28 फीसदी से बढ़कर जनवरी 2015 में 5.11 फीसदी दर्ज की गई है।

इसके साथ ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्तीय घाटा को कम करते हुए तीन फीसदी लाने की समय सीमा को आगे बढ़ा दिया है और कहा है कि (पुरानी) समय सीमा पर टिके रहने से विकास की संभावना पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

18+

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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