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बिजनेस

एनएसई में सूचीबद्ध 180 कंपनियों के बोर्ड में महिलाएं नहीं

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चेन्नई| नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में सूचीबद्ध 180 कंपनियों के बोर्ड में अब तक महिला सदस्य की नियुक्ति नहीं की गई है, जैसा कि कंपनी कानून में व्यवस्था की गई है। बोर्ड में महिला सदस्यों की नियुक्ति की आखिरी तिथि 31 मार्च थी।

प्राइम डाटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणब हल्दिया ने नई दिल्ली से आईएएनएस को फोन पर बताया, “एनएसई में सूचीबद्ध कम से कम 180 कंपनियों ने नियमों का पालन नहीं किया है।”

उन्होंने कहा, “संभव है कि अगले सप्ताह भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) कोई आदेश जारी करे।”

सर्वोच्च न्यायालय के वकील और बीमा, कंपनी, प्रतिस्पर्धा कानून विशेषज्ञ डी. वरदराजन ने आईएएनएस से कहा, “हरेक सूचीबद्ध कंपनी, जिसकी चुकता पूंजी 100 करोड़ रुपये या अधिक या जिनकी सालाना आय 300 करोड़ रुपये या अधिक हो, के बोर्ड में एक महिला निदेशक होनी चाहिए।”

वरदराजन ने कहा, “नियम का पालन नहीं करने वाली कंपनी और कंपनी के हर अधिकारी को दंड दिया जा सकता है। कंपनी कानून के तहत यह दंड 50 हजार रुपये से कम नहीं होना चाहिए और यह पांच लाख रुपये तक हो सकता है।”

भारतीय उद्योग परिसंघ-दक्षिणी क्षेत्र के अध्यक्ष राजश्री पाथी ने आईएएनएस से कहा, “कॉरपोरेट प्रशासन की मुख्यधारा में महिलाओं को शामिल करने का यह कदम सराहनीय है।”

पाथी कोयंबटूर की कंपनी राजश्री सुगर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड की भी अध्यक्ष हैं।

उन्होंने कहा कि महिलाओं में कई बार कारोबार की वह समझ होती है, जो कई पुरुषों में नहीं होती है। इस लिहाज से वह कंपनी में अतिरिक्त मूल्य जोड़ती है।

हल्दिया ने उनसे सहमति जताते हुए कहा, “एक महिला निदेशक कंपनी में एक अलग सोच लाती है, जिन पर कई पुरुषों का ध्यान नहीं जाता है।”

उन्होंने हालांकि कहा कि नियम पालन करने के लिए कई प्रमोटर अपनी निकट संबंधियों को ही बोर्ड में शामिल कर रहे हैं।

पाथी ने कहा, “बोर्ड सदस्य चाहे महिला हो या पुरुष, उनका चयन प्रतिभा, उपलब्धि के आधार पर होना चाहिए। चयन प्रक्रिया महत्वपूर्ण है।”

मद्रास चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा महिला निदेशकों को प्रशिक्षित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में इंडियन बैंक की पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रंजना कुमार ने कहा, “अपने ऊपर भरोसा रखिए और कंपनी के आकार से आतंकित न होइए।”

उन्होंने कहा कि महिला निदेशकों को डरना नहीं चाहिए और आंकड़ों तथा तथ्यों के आधार पर अपने विचार रखने चाहिए।

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18+

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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