मुख्य समाचार
‘म्यूजियम’ में ईमानदारी
नितिन गोपाल
देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कितनी खोखली है, इसकी पुष्टि एक बार फिर हो गई है। हरियाणा में आईएएस अधिकारी अशोक खेमका फिर ‘म्यूजियम’ में पहुंच गए हैं यानी खेमका को डीजी ट्रांसपोर्ट के पद से हटाकर वापस पुरातत्व विभाग में भेज दिया गया है। ये वही ‘म्यूजियम’ है जहां से उन्हें हटाकर मुख्यधारा में लाया गया था। खेमका के यहां सुशोभित होने के पीछे वहीं मजबूत राजनीतिक शक्ति जिम्मेदार है जो अब तक भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में उनका साथ देने का दम भरा करती थी। लेकिन ऐसा करते समय शायद उन्होंने इस बात को भुला दिया कि ये वही खेमका हैं जिन्होंने संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की करोड़ों रुपयों के भूमि सौदे का खुलासा किया था। इसे लेकर हरियाणा की तत्कालीन हुड्डा सरकार पर चौतरफा उंगली उठी थी और तब भाजपा ने ही खेमका का खुलकर समर्थन किया था। वैसे इसके लिए किसी पार्टी विशेष को दोष देना ठीक नहीं है। सत्ता है ही ऐसा नशा, जिसपर सवार हुआ, हर सुधबुध भुला देता है। अब ऐसा वर्तमान खट्टर सरकार ने किया तो क्या आश्चर्य।
ये जरूर है, इस तबादले ने देश की नौकरशाही के इतिहास में एक रिकॉर्ड जरूर बना दिया है। 24 साल की नौकरी में 46 ट्रांसफर गिनती के ही लोगों को नसीब हो पाता है। हालांकि ये निर्णय कुछ दिन पहले ही इंडियन ऑयल के एक ईमानदार अधिकारी एस. मंजूनाथ को न्याय मिलने पर खुशी जताने वाले लोगों को जरूर अखर सकता है। वे अब तक समझ रहे थे कि शायद भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई परवान चढ़ सकेगी लेकिन उनकी उम्मीदें एक बार फिर धराशायी होती नजर आ रही हैं। खेमका के तबादले के खिलाफ देशभर में आवाज उठने के बाद भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने सफाई देने में देर नहीं लगाई। उन्होंने इसे अच्छी नीयत से किया गया फैसला बताया। उन्होंने साफ कहा कि ‘सर्विस, सर्विस होती है। आप यह नहीं कह सकते कि यह पोजीशन बड़ी है और यह छोटी। इस देश में पुरातत्व एक बड़ा मंत्रालय है। इसके साथ एक बड़ी जिम्मेदारी जुड़ी है। इससे हरियाणा को फायदा होगा।’ इससे हरियाणा को कितना फायदा होगा, ये तो बाद में पता चलेगा लेकिन इससे उन खनन लॉबी की जरूर बल्ले-बल्ले हो गई है जो ओवरलोड वाहनों पर खेमका की सख्ती से बेहद परेशान थी। खेमका ने ओवरसाइज वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट देने से इन्कार कर ट्रांसपोर्ट लॉबी के खिलाफ भी मोर्चा खोल रखा था। खेमका के करीबियों की माने तो उन्होंने दिसंबर में ही आदेश जारी कर तय मानकों से ज्यादा भार वाले वाहनों पर सख्ती के अधिकार जिलों के अफसरों को दिए थे।
नौकरी की सेवाशर्तों से बंधे खेमका तबादले की इस पीड़ा को केवल ट्वीट कर ही व्यक्त कर सके। उन्होंने कहा कि मैंने तमाम कमियों के बावजूद परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार को रोकने और बदलाव लाने की कोशिश की। ये क्षण तकलीफ देने वाला है। एक ईमानदार व्यक्ति के ये शब्द ही उसकी व्यथा बताने के लिए काफी हैं। हरियाणा की खट्टर सरकार में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ही खुलेआम अपनी ही सरकार के सामने खेमका का साथ देने की हिम्मत जुटा सके। सूत्रों की मानें तो विज सीएम खट्टर से इस बात की वकालत कर सकते हैं कि खेमका को उनके विभाग में भेज दिया जाए। यह वही विज हैं जिन्होंने हुड्डा सरकार के कार्यकाल में खेमका के तबादले पर राज्यपाल के आवास पर धरना देकर फैसले का विरोध किया था। अब खुद भाजपा सत्ता में है तो उनको चोट लगना स्वाभाविक है।
देश में इस घटनाक्रम को व्यापक रूप से देखने की जरूरत है, क्योंकि खेमका किसी राज्य के ऐसे अकेले अधिकारी नहीं हैं, जिन्हें ईमानदारी की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। इस कड़ी में दिल्ली में संजीव चतुर्वेदी जैसे अधिकारियों के नाम भी याद किए जा सकते हैं, जिन्हें सरकारें बोझ की तरह मानती हैं। मूल सवाल प्रशासनिक मशीनरी को राजनीतिक नियंत्रण से मुक्त करने से जुड़ा है। इस सवाल का हल ढूंढें वरना ईमानदारी केवल ‘म्यूजियम’ में ही सुशोभित होगी।
मुख्य समाचार
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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