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प्रादेशिक

मप्र : निर्वाचन मामले में भाजपा विधायक मेश्राम को राहत

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भाजपा, राजेंद्र प्रसाद मेश्राम, जबलपुर उच्च न्यायालय, निर्वाचन अधिकारी, कांग्रेस, सर्वोच्च न्यायालय

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जबलपुर| मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले के देवसर विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक राजेंद्र प्रसाद मेश्राम को अदालत से बड़ी राहत मिल गई है। जबलपुर उच्च न्यायालय ने मेश्राम के निर्वाचन को चुनौती दिए जाने के मामले में स्थगनादेश जारी किया है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जी.एस. सोलंकी की एकलपीठ ने सोमवार को मेश्राम के निर्वाचन को ‘शून्य’ घोषित किए जाने के आदेश के पालन पर 30 दिनों का सशर्त स्थगनादेश जारी किया। विधायक मेश्राम के निर्वाचन को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर की गई थीं। एक याचिका में कहा गया था कि उन्होंने अपने पूर्व पद से इस्तीफे की सत्यप्रति पेश नहीं की है, जबकि एक अन्य याचिका कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी व पूर्व मंत्री वंशमणि वर्मा की ओर से दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि निर्वाचन अधिकारी ने समयावधि का हवाला देकर उनका फार्म निरस्त कर दिया था, जिसके बाद वह निदर्लीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े।

वर्मा का कहना है कि भाजपा विधायक मेश्राम ने अपने नामांकन फार्म के साथ मतदाता सूची की सत्यप्रति जमा नहीं की थी, इसके बावजूद उनका नामांकन फार्म स्वीकार कर लिया गया। यह जनप्रतिनिधि अधिनियम 1956 का उल्लंघन है और इसलिए उनका निर्वाचन अवैध है। याचिका में यह भी कहा गया कि मेश्राम ने गलत तथ्य देकर और जानकारी छिपाकर चुनाव जीता है। नामांकन के साथ सत्यापित मतदाना सूची पेश नहीं किए जाने को उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन मानते हुए 31 मार्च को मेश्राम के निर्वाचन को शून्य घोषित कर दिया था। इस आदेश पर स्थगन के लिए जनप्रतिनिधि अधिनियम 116बी के तहत मेश्राम द्वारा न्यायालय में आवेदन पेश किया गया था। आवेदन में कहा गया था कि निर्वाचन शून्य होने के आदेश के खिलाफ वे सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करना चाहते हैं, लिहाजा समय प्रदान किया जाए।

न्यायाधीश सोलंकी की एकलपीठ ने निर्वाचन शून्य होने के आदेश के क्रियान्वयन पर 30 दिनों का स्थगन जारी करते हुए यह निर्देश दिया है कि वह 25 हजार रुपये का व्यक्तिगत बांड न्यायालय की संतुष्टि के लिए पेश करें और सात दिनों में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करें।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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