प्रादेशिक
अन्न देवता बहा रहे आंसू
सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश)। किसानों के प्रति शासन की ढुलमुल नीति के चलते अन्न देवता (किसान) अपनी तकदीर पर आंसू बहा रहे हैं। बिन मौसम बरसात, बफीर्ली हवाओं ने गेहूं, मटर, चना, अरहर, आलू, सरसों, मसूर आदि फसलों की पैदावार 35 से 50 प्रतिशत प्रभावित कर दिया। किसानों की मूलभूत समस्याओं बिजली, पानी, उर्वरक अन्न की पैदावार को लेकर उनसे बातचीत की गई तो किसान मायूस दिखें, उनका दर्द जुबां पर आ गया।
अपना दर्द बयां करते हुए किसान हरिशंकर उपाध्याय ने कहा, “सपा सरकार आने पर हम लोगों में उम्मीद की किरण जगी थी कि किसानों की हितैषी कही जाने वाली पार्टी किसानों के हित में कोई नया कार्य करेगी। मगर वही ढक के तीन पात।”
उन्होंने कहा, “जब माननीयों को अपने वेतन भत्ते बढ़ाने होते हैं तो विधानसभा, राज्यसभा, संसद में मेजे थपथपाकर सभी राजनैतिक पार्टियां एकजुट होकर विधेयक पास करवा लेते हैं। जब किसानों के हित की बारी आती है तो राजनैतिक पार्टियां आपस में लड़ने लगती हैं।”
किसान के.डी. तिवारी और जोखूलाल कहते हैं, “हम लोगों की मूल समस्याएं खाद, बिजली, पानी को लेकर प्रशासनिक अमला इस कदर उदासीन रहता है कि समय पर हमें खाद नहीं मिल पाता, गन्ना उत्पादन के बाद पर्ची समय से नहीं मिल पाती, पर्ची मिली भी किसी तरह तो भुगतान के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है।”
किसान मो. जलालुद्दीन व राम मिलन मौर्य कहते हैं, “लेखपाल, पुलिस का होमगार्ड, बैंक का अदना कर्मचारी, ग्राम विकास अधिकारी हम किसानों के साहब है, किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए खसरा बनवाने के लिए ब्लॉक मुख्यालय से फाइल तैयार करवाने के लिए हमें बैंक से लेकर तहसील मुख्यालय, ब्लाक मुख्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। तब जाकर हमारे साहबान हमारे काम करते हैं।”
उन्होंने कहा कि बैंक में जब कोई बड़ा आदमी पहुंचता है तो उन्हें शाखा प्रबंधक अपने चेम्बर में बैठाकर उनका स्वागत सत्कार करते हैं और बैठे-बिठाए उनके भुगतान भी वहीं पर हो जाते हैं।
राम मिलन ने कहा, “हम किसानों को शाखा प्रबंधक के पास पहुंचने के लिए कई सीढ़ियों का सहारा लेना पड़ता है। किसानों की मूलभूत सुविधा बिजली पानी समय से नहीं मिल पाता है। पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि समय-समय पर होती रहती है, वहीं किसानों के द्वारा तैयार अनाज का समर्थन मूल्य लागत के हिसाब से नहीं मिल रहा है।”
उन्होंने कहा कि इस वर्ष 35 से 50 प्रतिशत उपज कम हुई है। किसान की लागत भी नहीं निकल पा रही है। वे अपने बच्चों को क्या खिलाएं, कैसे पढ़ाएं और बेटी की शादी कैसे कराएं, यही सब सोचकर नींद हराम हो गई है।
किसान नेता बाबा संदीप श्रीवास्तव ने कहा कि किसानों के हित की बात करने वाले माननीय लोग अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं। किसानों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। जब किसान खुशहाल रहेगा, तभी देश का विकास संभव है।
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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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