Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

हेल्थ

गर्भवती के खून में ग्लूकोज बढ़े तो सावधान!

Published

on

pregnanat-women

Loading

नई दिल्ली। कुछ महिलाओं को गर्भधारण के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या होती है। ऐसी मां के नवजात बच्चे में कुछ जन्मजात बीमारियां होने का खतरा 40 से 50 फीसदी तक बढ़ जाता है। ध्यान रहे, मां के रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने पर नवजात शिशु मानसिक रोगी भी हो सकता है। अंकिता कपूर 32 साल की हैं। उनका वजन वजन 89 किलो है। गर्भावस्था के दौरान उन्हें जेस्टेशनल डायबिटीज की शिकायत थी। उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया, जिस कारण उनका बच्चा असामान्य आकर के लीवर, हार्ट और एड्रिनल ग्रैंड्स के साथ पैदा हुआ।

दिल्ली के एक निजी अस्पताल में सेवारत ऑब्स्टेट्रिशन गायनिकोलॉजिस्ट डॉ. अर्चना धवन बजाज बताती हैं कि जीवन शैली से संबंधित एक सामान्य बीमारी माने जाने वाली डायबिटीज जब एक गर्भवती महिला में होती है तो उसके परिणाम जानलेवा भी हो सकते हैं। जिन महिलाओं में गर्भधारण के दौरान डायबिटीज की शिकायत होती है, उन्हें मासिक धर्म में अनियमितता होती है और गर्भ धारण करने में भी काफी परेशानी होती है।

उन्होंने कहा कि डायबिटिक मां के गर्भ में पल रहे बच्चे को जन्मजात रोग या अन्य कई बड़ी शारीरिक कमियां हो सकती हैं। जैसे, नर्वस सिस्टम में खराबी, स्पाइना बिफिडिया, वातरोग, मूत्राशय तथा हृदय संबंधी रोग भी हो सकते हैं। डॉ. अर्चना ने बताया कि जेस्टेशनल डायबिटीज के कोई सांकेतिक लक्षण नहीं होते, लेकिन कभी-कभी हाई ब्लडप्रेशर, अधिक प्यास, बार-बार पेशाब और थकावट जैसे लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि मां के रक्त में बढ़े ग्लूकोज का बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। यदि मां के रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है तो वह गर्भनाल से गुजर कर बच्चे के रक्त में पहुंच जाता है। इस कारण बच्चे का भी ब्लड शुगर बढ़ जाता है। ऐसे में गर्भपात होने का खतरा रहता है या जन्म के बाद बच्चा मानसिक रोगी भी हो सकता है। यदि गर्भवती महिला के ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखा जाए तो इन सब परेशानियों से बचा जा सकता है।

जेस्टेशनल डायबिटीज का कैसे करें उपचार :

* गर्भवती हर दिन कम से कम चार दफा अपना ब्लड शुगर चेक करें। एक बार नाश्ते से पहले और फिर खाने के बाद।
* पेशाब में कीटोन नामक एसिड की नियमित जांच करवाते रहें।
* डॉ. की सलाह के मुताबिक खान-पान का पूरा ख्याल रखें।
* डॉक्टरी परामर्श से नियमित व्यायाम करें।
* वजन को नियंत्रण में रखें।
* अगर आवश्यकता हो तो चिकित्सक की सलाह से इन्सुलिन लें।

डॉ. अर्चना का कहना है कि सही खान-पान, व्यायाम, जीवन शैली में बदलाव, ग्लूकोज स्तर की नियमित जांच, कोलेस्ट्रोल नियंत्रण तथा धूम्रपान छोड़ने पर जेस्टेशनल डायबिटीज को प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है।

Continue Reading

हेल्थ

दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी

Published

on

Loading

नई दिल्ली। दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का क्रम लगातार जारी है. अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अकेले डेंगू के मरीजों में भारी संख्या में इजाफे की सूचना है. दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में डेंगू के अब तक 4533 मरीज सामने आए हैं. इनमें 472 मरीज नवंबर माह के भी शामिल हैं.

एमसीडी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में इस साल अब तक मलेरिया के 728 और चिकनगुनिया के 172 केस दर्ज हुए हैं.

डेंगू एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। इसके होने से मरीज को शरीर में कमजोरी लगने लगती है और प्लेटलेट्स डाउन होने लगते हैं। एक आम इंसान के शरीर में 3 से 4 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू से ये प्लेटलेट्स गिरते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि 10 हजार प्लेटलेट्स बचने पर मरीज बेचैन होने लगता है। ऐसे में लगातार मॉनीटरिंग जरूरी है।

डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीज को विटामिन सी से भरपूर फल खिलाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इस दौरान कीवी, नाशपाती और अन्य विटामिन सी से भरपूर फ्रूट्स खिलाने चाहिए। इसके अलावा मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट देना चाहिए। इस दौरान मरीज को नारियल पानी भी पिलाना चाहिए। मरीज को ताजा घर का बना सूप और जूस दे सकते हैं।

Continue Reading

Trending