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आध्यात्म

15 सितंबर को अस्त हो रहे हैं शुक्र, इन राशि वालों को रहना होगा सावधान

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नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर ग्रह के अस्त व उदय एवं राशि परिवर्तन का प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ता है। सितंबर महीने में सूर्य समेत कई ग्रह राशि परिवर्तन करेंगे। वहीं 15 सितंबर को शुक्र सिंह राशि में अस्त होंगे। शुक्र 15 सितंबर, गुरुवार को सुबह 02 बजकर 29 मिनट पर अस्त होंगे।

जानें शुक्र अस्त का फल व किन राशि वालों को रहना होगा सावधान-

शुक्र अस्त का फल

किसी ग्रह के सूर्य के नजदीक आना उसे अस्त कर सकता है। ठीक उसी तरह से शुक्र के सूर्य के पास आने पर शुक्र ग्रह अस्त हो जाता है। ऐसी स्थिति में शुक्र के कारक तत्वों में कमी आ जाती है और वह अपने शुभ फल देने में कमी कर सकते हैं। शुक्र अस्त की अवधि में जातक कई प्रकार के सुखों से वंजित रह सकते हैं।

इस समयावधि में विवाह जैसे शुभ मांगलिक कार्यों की मनाही होती है। शुक्र के उदय होने पर इस प्रकार के कार्य शुरू होते हैं। इस अवधि में शुक्र के बीज मंत्र ‘ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः’ का जाप करना चाहिए।

इन राशियों के लोग रहें सावधान

शुक्र के अस्त होने से मिथुन, कन्या, मकर और कुंभ राशि वालों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। इन राशि वालों के कामों में बाधाएं आ सकती हैं। धन हानि की आशंका है।

इनके अलावा मेष, वृषभ, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, धनु और मीन राशि वाले लोगों पर शुक्र अस्त होने का अशुभ असर नहीं होगा।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों के पूर्णतया सत्य एवं सटीक होने का हमारा दावा नहीं है। अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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आध्यात्म

पारंपरिक गीतों के बिना अधूरा है सूर्य उपासना का महापर्व छठ

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पटना| सूर्योपासना और लोकआस्था के महापर्व छठ की कल्पना कर्णप्रिय और सुमधुर गीत के बिना नहीं की जा सकती। इन पारंपरिक गीतों के जरिए न केवल भगवान की अराधना की जाती है, बल्कि इन गीतों के जरिए कई संदेश भी देने की कोशिश की जाती है।

चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को लेकर ऐसे तो कई गायक और गायिकाओं ने गीत गाए और लिखे हैं, परंतु चर्चित गायिका शारदा सिन्हा और अनुराधा पौडवाल के गीत आज भी घरों से लेकर छठ घाठों तक लोगों द्वारा सुने और गाए जाते हैं।

भगवान भास्कर की अराधना के छठ पर्व पर ‘पद्मश्री’ और ‘बिहार कोकिला’ के नाम से प्रसिद्घ शारदा सिन्हा द्वारा गाया गीत ‘हो दीनानाथ’ आज भी काफी चर्चित गीत है। इस गीत के जरिए इस व्यस्त शहरी जिंदगी से समय निकालकर लोगों को भी छठ को अपनाने की बात कही गई है।

इसके अलावा गायिका अनुराधा पौडवाल की आवाज में ‘मारबै रे सुगवा’ भी काफी चर्चित गीत है। इस गीत के जरिए सुग्गा (तोते) को चेतावनी दी गई है कि वह भगवान के प्रसाद चढ़ाने के पहले फल को चोंच न मारे, वरना उसे मारा जा सकता है। इस गीत में भगवान को सर्वश्रेष्ठ मानकर उनकी अराधना की गई है।

इसी तर्ज पर शरादा सिन्हा द्वारा गाया गीत, ‘केलवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेंडराय’ भी काफी चर्चित रहा है। इस गीत के जरिए भी तोते को हिदायत दी जाती है कि अगर पवित्रता भंग की तो इसका बुरा फल मिलेगा।

वैसे, छठ के गीतों में संदेश भी छिपा हुआ है। छठ पर्व के गीतों में बेटियों को विशेष महत्व दिया गया है। छठ पूजा के गीतों में बेटियों का स्वागत करते हुए ईश्वर से उनके मंगल की गुहार लगाई गई है। ‘रूनकी धुनकी बेटी मांगी ला, पढ़ल पंडितवा दामाद हे छठी मईया’ के जरिए छठी मईया से सुंदर, सुशील बेटी और विद्वान दामाद की कामना की जाती है।

इसी तरह ‘पांच पुतुर अन्न, धन, लक्ष्मी धियवा मांगबो जरूर’ में छठी मईया से यह प्रार्थना की गई है कि पांच पुत्र, अन्न, धन, लक्ष्मी और वैभव के साथ एक धियवा (बेटी) जरूर दें।

इसी तरह कर्णप्रिय गीत ‘हे छठी मईया’ न केवल व्रतियों (परबैतिनों) में ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि ये भी बताता है कि इस पर्व में जात पात का फर्क मिट जाता है। इस गीत में यह भी बताया गया है कि कैसे छोटी मोटी गलतियों को छठी मईया नजरअंदाज कर देती हैं।

लोक गायिका देवी के गाए छठ गीतों के अलबम ‘कोसी के दीवाना’, बहंगी छूट जाई’ की काफी मांग है। गायक पवन सिंह, कल्लू, आकांक्षा राय के गाने भी लोग पसंद कर रहे हैं।

 

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