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बिजनेस

01% अमीरों के पास देश की कुल संपत्ति का 40% से अधिक: रिपोर्ट

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oxfam international

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नई दिल्ली। भारत में अमीर-गरीब के बीच आय का अंतर बढ़ता जा रहा है। आज सोमवार को एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि भारत में एक प्रतिशत सबसे अमीर के पास अब देश की कुल संपत्ति का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है, जबकि नीचे की आधी आबादी के पास केवल कुल धन का तीन प्रतिशत है।

ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के पहले दिन वार्षिक असमानता रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि भारत के शीर्ष 10 अमीरों पर केवल पांच प्रतिशत टैक्स लगाने से बच्चों को स्कूल भेजा जा सकता है।

‘Survival of the Richest’ शीषर्क वाली रिपोर्ट में आगे कहा गया कि भारत के अरबपतियों की पूरी संपत्ति पर दो प्रतिशत टैक्स लगाने से सरकार को 40,423 करोड़ रुपये मिल सकते हैं, जोकि अगले तीन सालों के लिए कुपोषित लोगों को पोषण देने के लिए काफी है।

कोरोना के बाद दोगुनी हुई भारतीय अरबपतियों की दौलत

रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से नवंबर 2022 तक देश के अरबपतियों की संपत्ति में 121 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है और उनकी संपत्ति में प्रतिदिन 3,608 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इस दौरान देश में अरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर 166 हो गई है। देश के 100 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति 660 अरब डॉलर (54.12 लाख करोड़) है।

जीएसटी संग्रह में आम लोगों का बड़ा योगदान

रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान कुल एकत्रित हुए 14.83 लाख करोड़ रुपये के गुड्स और सर्विसेज टैक्स (GST) का 64 प्रतिशत हिस्सा देश के नीचे के 50 प्रतिशत लोगों से आया था, जबकि इस दौरान शीर्ष 10 प्रतिशत लोगों ने कुल तीन प्रतिशत ही योगदान दिया था।

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नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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