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प्रादेशिक

कश्मीर : 150 साल पुरानी है डोगरा परंपरा

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जम्मू| जम्मू एवं कश्मीर में 150 साल से अधिक पुरानी डोगरा परंपरा को बरकरार रखते हए जम्मू एवं कश्मीर सरकार के शीर्ष कार्यालय शुक्रवार से जम्मू में अपना कामकाज बंद कर श्रीनगर में कामकाज शुरू करने के लिए कमर कस चुके हैं। अब अगले छह महीनों तक राज्य का कामकाज श्रीनगर से ही संचालित होगा।

राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उनके मंत्रिमंडल, शीर्ष नौकरशाहों और पुलिसकर्मियों सहित राज्य के शीर्ष कार्यालयों को बंद करने की यह प्रक्रिया डोगरा महाराज द्वारा शुरू की गई थी। जम्मू की अत्यधिक गर्मी और कश्मीर की कड़कड़ाती ठंड से बचने के लिए यह कदम उठाया गया था।

वर्ष 1947 में भारत में राज्य के सम्मिलन के बाद डोगरा राज समाप्त हो गया। लेकिन जम्मू एवं कश्मीर के बीच शीर्ष कार्यालयों के स्थानांतरण की यह प्रक्रिया अभी भी अनवरत बनी हुई है।

प्रतिवर्ष रिकॉर्डो को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया में लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं। इन रिकॉर्डो को स्टील के ट्रंकों और अलमारियों में भरकर हर छह महीने के अंतराल के बाद दोनों राजधानियों में लाया ले जाया जाता है।

यहां तक कि मंत्रियों और शीर्ष नौकरशाहों को सुख-सुविधाएं और अन्य सहूलियतें दिए जाने के लिए भारी धनराशि खर्च की जाती है।

हालांकि, कार्यालयों को स्थानांतरित करने की इस प्रक्रिया को डोगरा परंपरा के नाम से जाना जाता है, लेकिन यह आज भी ‘दरबार मूव’ के नाम से प्रचलित है।

राज्य द्वारा जम्मू को तकनीकी रूप से अकेला छोड़ने के बाद जम्मू के निवासियों के लिए अत्यधिक गर्मी, बार-बार बिजली में व्यवधान, पीने के पानी की किल्लत और अन्य गर्मी से जुड़ी हुई समस्याएं शुरू हो गई।

हर साल अप्रैल के अंत में राज्य का कामकाज कश्मीर में स्थानांतरित किया जाता है और यह वापस अक्टूबर के अंत तक वापस जम्मू लौट आता है।

सर्दी के महीनों में भारी बर्फबारी, अत्यधिक ठंड और जीवन की मूलभूत जरूरतों की कमी से घाटी जीवन प्रभावित होता है।

अधिकारियों, आधिकारिक रिकॉर्डो आदि के स्थानांतरण में सुविधा प्रदान कराने के लिए यातायात विभाग ने घोषणा की है कि जम्मू से श्रीनगर में 25 और 26 व तीन और चार मई को ही ट्रैफिक रहेगा।

इन दिनों, किसी भी वाहन को श्रीनगर से जम्मू जाने की मंजूरी नहीं दी जाएगी।

एक वरिष्ठ यातायात अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, “यहां तक कि सेना के काफिले को भी राजमार्ग पर विपरीत दिशा में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”

 

18+

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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