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बिजनेस

कमजोर तिमाही नतीजों से शेयर बाजार पर रहा दबाव

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मुंबई | विदेशी पूंजी पर पिछली तारीख से लागू पूंजीगत लाभ कर के दावों और आगे भी इस तरह की संभावनाओं से जुड़ी चिंताओं की वजह से शुक्रवार को समाप्त सप्ताह में बाजार पर दबाव रहा। इस वजह से सेंसेक्स अपने पिछले साढ़े तीन महीने के निचले स्तर तक चला गया। कंपनियों के पिछले वित्त वर्ष में जनवरी-मार्च तिमाही के मिले-जुले नतीजे रहे। हालांकि कुछ बड़ी कंपनियों जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज के तिमाही नतीजे उम्मीद से बेहतर रहे, लेकिन विप्रो, एचसीएल और इन्फोसिस जैसी अन्य कंपनियों के नतीजे कमजोर रहे, जिससे बाजार पर दबाव पड़ा।

इस साल मानसून के सामान्य से कम रहने के अनुमान से भी बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 13 जनवरी के बाद अपने निचले स्तर पर चला गया। सेंसेक्स न सिर्फ 28,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे फिसल गया, बल्कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान इसके पांच कारोबारी सत्रों में से चार सत्र में गिरावट दर्ज हुई। सेंसेक्स में 3.53 प्रतिशत की गिरावट रही, जबकि नेशननल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के 50 शेयरों वाले सूचकांक निफ्टी में 3.49 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई। बीएसई के मिडकैप सूचकांक में 3.12 प्रतिशत और स्मॉलकैप में 5.27 प्रतिशत की तेज गिरावट रही।

ब्रोकिंग फर्म शेरखान के मुताबिक, “विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा न्यूनतम वैकल्पिक कर के भुगतान से बाजार भावनाओं पर दबाव जारी है। यहां तक कि वित्त मंत्री ने भी कहा है कि भारत में दोहरे कराधान से बचाव समझौते की वजह से देश में मौजूद इकाइयों पर न्यूनतम वैकिल्पक कर लागू नहीं होगा।” विदेशी निवेशकों की घबराहट स्पष्ट है। छह कारोबारी सत्रों में से चार दिन सेंसेक्स में गिरावट रही। सोमवार को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 10.711 करोड़ डॉलर और मंगलवार को 23.142 करोड़ डॉलर की शुद्ध बिकवाली की, जबकि गुरुवार को इन्होंने 13.403 करोड़ डॉलर और शुक्रवार को 4.458 करोड़ डॉलर की बिकवाली की।

सेंसेक्स में सोमवार को 1.95 प्रतिशत और मंगलवार को 0.75 प्रतिशत की गिरावट रही, जबकि गुरुवार को सेंसेक्स में 0.56 प्रतिशत और शुक्रवार को 1.07 प्रतिशत की गिरावट रही। सेंसेक्स में सिर्फ एक दिन बुधवार को मजबूती रही। बुधवार को सेंसेक्स में 0.77 प्रतिशत की मजबूती रही। इस दौरान विदेशी निवेशकों ने 2.59 अरब डॉलर की शुद्ध खरीदारी की। इस सप्ताह टाटा स्टील में 9.71 प्रतिशत की मजबूती रही, जबकि सरकारी स्वामित्व वाली भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स (भेल) में 0.86 प्रतिशत की मजबूती रही, जबकि विप्रो में 13.08 प्रतिशत और सन फार्मास्युटिकल्स में 12.92 प्रतिशत की गिरावट रही।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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