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तबाही का मंजर या भविष्य के लिए सीख

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Bihar earthquake editorial

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हिमालय की गोद में बसे नेपाल में भूकम्प ने त्रासदी की नई दास्तान लिख दी है। देश में हर जगह तबाही का मंजर और दहशत फैली हुई है। मौत का आंकड़ा हर बीतते पल के साथ बढ़ता जा रहा है और 3000 से ज्यादा मौतों की पुष्टि हो चुकी है। पड़ोसी देश में आए इस विनाशकारी और भीषण भूकंप ने पूरी दुनिया को थर्रा दिया है। क्या मकान और क्या इमारतें, ऐतिहासिक धार्मिक स्थल भी जमींदोज हो गए हैं। भूकंप से सबसे अधिक तबाही काठमांडू में हुई है और देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी गई है।

भारत भी इस तबाही से अछूता नहीं है। देश में भूकंप से 82 लोगों के मारे जाने और सैकड़ों लोगों के घायल होने की खबर है। झटकों से कई इमारतें क्षतिग्रस्त या धराशायी हो गईं। भारत के सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं, जिनकी सीमाएं नेपाल से लगी हुई हैं। खबरों के मुताबिक बिहार में 52, यूपी में 23 और पश्चिम बंगाल में छह और झारखंड में 1 व्यक्ति की मौत हो गई।

इस त्रासदी के बीच सबसे बेहतर बात यह रही कि भारत ने बिना समय गंवाये न केवल खुद को संभाला बल्कि बचाव और राहत में तत्परता का बेहद सराहनीय प्रदर्शन किया। देश की मोदी सरकार ने अत्यन्त तेजी से भारत से राहत दलों को नेपाल रवाना किया और हरसंभव मदद का आश्वासन भी दिया। देश की सरकार ऐसा करने में सक्षम हो सकी, इसके पीछे वजह यह है कि पिछले कुछ सालों में आपदा प्रबंधन के ढांचे को मजबूत करने के लिए खासे कदम उठाए गए हैं। इस बेहतर प्रबंधन का फायदा उत्तराखंड त्रासदी के वक्त भी मिला था और कश्मीर में बाढ़ के हालात से निपटने में भी इससे खासी मदद मिली। नेपाल में भूकंप से जन-धन का जैसा नुकसान हुआ, उसे देखते हुए भारत समेत चीन, पाकिस्तान जैसे कई देश मदद के लिए आगे आए हैं। पहले से तमाम समस्याओं के साथ आर्थिक संकट से जूझ रहे नेपाल के लिए इस भयावह संकट से उबरना आसान नहीं होगा और वहां पुनर्निर्माण के लिए अथाह धनराशि की जरूरत होगी। इन हालात में भारत सरकार का ये मित्रवत रुख एशियाई देशों में उसे एक अलग स्थान दिलाएगा।

इस त्रासदी का एक पक्ष यह भी है कि हम इस दहला देने वाले भूकंप को एक बड़ी खतरे की घंटी माने और भविष्य की संभावित त्रासदी से निपटने के लिए खुद को अभी से तैयार करें। शहरों में ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाए जहां भूकंप की आशंकाओं लोगों को डरा न सकें। भूकंप से पूरी तरह सुरक्षित इमारतों की निर्माण की ठोस पहल की जरूरत है। शहरों में ऊंची इमारतों का निर्माण जरूर हो लेकिन उनमें भूकंप का प्रकोप सहने की क्षमता हो। एक निश्चित अवधि के बाद जर्जर हो चुकी इमारतों को खुद ही गिराकर नई इमारतें बनाने की दिशा में आगे बढ़ा जाए। नई इमारतों के निर्माण से पहले ही मानकों का पूरी तरह पालन कराया जाए। जिलों में डिस्ट्रक्ट डिजास्टर मैनेजमेंट एजेंसी का कार्यक्षेत्र बढ़ाने की भी सख्त जरूरत है। अभी तक ये एजेंसी केवल बाढ़ व सूखे जैसे हालात में सक्रिय होती है। भूकंप जैसी आपदाओं के वक्त क्या किया जाए, इसके लिए तंत्र को और विकसित करने की जरूरत है। लोगों में भी इसके प्रति जागरुकता फैलाना बेहद आवश्यक है। कुल मिलाकर अभी तक हमारा तंत्र केवल आपदा आने के बाद ही सक्रिय होने पर जोर देता है लेकिन इस रुख को बदलकर भूकंप से बचाव की तैयारियों को पुख्ता करने की जरूरत है।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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