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उत्तर प्रदेश

प्रदेश में आयुष पद्धति के जरिए हेल्थ टूरिज्म के सेक्टर में सबसे अधिक संभावनाएं हैं : सीएम योगी

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लखनऊ। प्रदेश में आयुष पद्धति के जरिए हेल्थ टूरिज्म के सेक्टर में सबसे अधिक संभावनाएं हैं। आयुष से जुड़ी सभी पद्धतियों को प्रोफेशनल तरीके से लागू कर दें तो पूरी दुनिया हमारे पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का अनुसरण करेगी। इससे न केवल संपूर्ण आरोग्यता के लक्ष्य को प्राप्त करने में, बल्कि बड़े स्तर पर नौकरी ओर रोजगार के अवसरों के सृजन में भी मदद मिलेगी। इतना ही नहीं आयुष चिकित्सा पद्धति के जरिए अन्नदाताओं की आमदनी को भी कई गुना तक बढ़ाया जा सकेगा। ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकभवन सभागार में आयोजित आयुष विभाग के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।

₹238 करोड़ की 271 परियोजनाओं का हुआ लोकार्पण

इस अवसर पर उन्होंने ₹238 करोड़ से बस्ती, बलिया, जालौन और रायबरेली में 50 शैय्या वाले एकीकृत आयुष चिकित्सालय, 226 आयुष्मान आरोग्य मंदिर, प्रयागराज और झांसी में छात्राओं के लिए छात्रावासों का निर्माण, पांच ई-लाइब्रेरी, प्रदेश के अलग-अलग 19 होम्योपैथिक एवं 14 आयुर्वेदिक विभागों में हुए निर्माण कार्य सहित 271 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण भी किया।

जनविश्वास का प्रतीक बन रहा है आयुष

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से यूपी में आयुष मिशन तेजी के साथ जनविश्वास का प्रतीक बनता जा रहा है। आज लोकार्पित हुई परियोजनाएं इसका लघु उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं। जिस आयुष मिशन के बारे में भारतीय मनीषा की धारणा रही हो कि ‘नास्ति मूलं अनौषधं’ यानी कोई जड़ी नहीं जो औषधीय गुणों से युक्त ना हो, मगर अज्ञानता और उपेक्षा के कारण हमारी ये पारंपरिक विधा कालांतर में लुप्तप्राय हो गयी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने जब आयुष मंत्रालय का गठन किया और पारम्परिक चिकित्सा को प्राथमिकता देकर प्रोत्साहित किया, तो देखते ही देखते देश ही नहीं पूरी दुनिया ने इसके महत्व को समझना शुरू कर दिया। हमने पिछले चार साल में इस सदी की सबसे बड़ी महामारी का सामना किया। इस दौरान दुनिया ने पारंपरिक मेडिकल के महत्व को समझा। पीएम मोदी के अभियान के फलस्वरूप प्रतिवर्ष 21 जून को पूरी दुनिया योग करती दिख रही है। कोरोना काल में पूरा विश्व आयुष का काढ़ा पीते दिखा। दुनिया आज पारम्परिक चिकित्सा पद्धति को अपना रही है।

जल्द होगा निदेशालय का गठन

मुख्यमंत्री ने बताया कि आयुष विभाग की ओर से नई पहल की जा रही है। विभाग जल्द एक निदेशालय के गठन की कार्रवाई को मूर्तरूप देने जा रहा है। इसके तहत आयुष की सभी विधाओं के लिए अबतक अलग अलग निदेशक होते थे, अब इन सब के बीच परस्पर समन्वय बनाने के लिए महा निदेशक भी होंगे। उन्होंने बताया कि यूपी आयुर्वेद की धरती रही है। भगवान धनवंतरी और सुश्रुत जिन्होंने शल्य चकित्सा के ज्ञान को इसी प्रदेश की धरती से आगे बढ़ाया, ऐसे में अब हमारा दायित्व है कि हम भी आयुष चिकित्सा पद्धति को और आगे लेकर जाएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि अन्नदाता किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ाने में आयुष पद्धति पर आधारित कृषि बहुत उपयोगी हो सकती है। हमें इसके लिए अपने रिसर्च को बढ़ाना होगा साथ ही साथ किसानों को प्रोत्साहित करना होगा।

इस अवसर पर आयुष विभाग के राज्यमंत्री डॉ दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, आयुष विभाग की प्रमुख सचिव लीना जोहरी, विधायक नीरज वोहरा, योगेश शुक्ल, जय देवी कौशल, एमएलसी मोहसिन रजा, लाल जी निर्मल, रामचंद्र प्रधान, आयुष विभाग के डायरेक्टर महेन्द्र वर्मा, शिक्षकगण, डॉक्टर आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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IANS News

वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।

‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।

‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।

‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।

सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।

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