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प्रादेशिक

पानी पर भी कब्जा कर लेंगे पूंजीपति : राजेंद्र सिंह

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भोपाल| देश में ‘जलपुरुष’ के नाम से चर्चित राजेंद्र सिंह ने कहा है कि किसानों की जमीन पूंजीपतियों के हवाले करने की चल रही सुनियोजित साजिश को अगर रोका नहीं गया तो पानी पर भी कब्जा कर लिया जाएगा। सरकार संरक्षित कंपनियां हमारा ही पानी बोतलों में भरकर हमें बेचेंगे।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एकता परिषद के संस्थापक पी. वी. राजगोपाल द्वारा राज्य में जमीन संबंधी समस्याओं को लेकर किए जा रहे उपवास को समर्थन देने आए राजेंद्र सिंह ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि मौजूद केंद्र सरकार नया भूमि अधिग्रहण कानून लाकर किसानों को जमीन से बेदखल और उद्योगपतियों को जमीन का मालिक बनाने की चाल चल रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार लगातार यह कह रही है कि इस कानून से किसानों को लाभ होगा और उन्हें पर्याप्त मुआवजे के तौर पर चार गुना दाम मिलेगा, वह सवाल करते हैं कि जमीन की कीमत कौन तय करेगा, पर्याप्त से आशय क्या है। दाम सरकार तय करेगी, जो बाजार दाम से 10 से 20 गुना कम होगा। ऐसे में तो किसान को बाजार के बराबर ही दाम नहीं मिलेगा, अगर दाम अच्छा मिलेगा तो किसान खुद अपनी इच्छा से ही जमीन बेच देगा, फिर अधिग्रहण कानून लाने की क्या जरूरत है।

वह आगे कहते हैं कि सरकार दावा कर रही है कि उद्योग स्थापित होने से रोजगार मिलेगा, मगर ऐसा नहीं है। उद्योग शोषण और प्रदूषण की सस्कृति को बढ़ावा देते हैं। सरकार दूसरों पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाती है, जबकि हकीकत यह है कि सरकार ही भ्रम फैलाने में लग गई है। वहीं जो लेाग काले कानून के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, उन्हें सरकार द्वारा किसान विरोधी करार दिया जा रहा है।

राजेंद्र सिंह का आरोप है कि किसानों को भूमिहीन बनाकर सरकार कुछ लोगों को ताकतवर व जमीन का मालिक बनाना चाह रही है, वह ठेकेदारों और कार्पोरेट का राज कायम करना चाहती है। इसलिए नया भूमि अधिग्रहण कानून बनाया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि अगर सरकार नया भूमि अधिग्रहण कानून पारित कराने में सफल रही तो अगला कदम पानी पर कब्जे का होगा। इस दिशा में प्रयास पहले ही शुरू हो गए हैं। हावर्ड से पढ़े लोगों ने वाटर ग्रुप बनाया है, वे भारत में पानी का बाजार देख रहे हैं, लिहाजा भारत के तालाब और नदियों के पानी पर कब्जा करना चाहते हैं।

राजेंद्र सिंह ने आगे कहा कि आम आदमी के पानी के अधिकार को खत्म कर उन्हें कंपनियों के सुपुर्द करने की तैयारी चल रही है। आने वाले दिनों में तालाब गांव, शहर के नहंीं बल्कि कंपनियों के होंगे, जिसके चलते लोगों को बोतल बंद पानी पीना होगा।

उन्होंने आगे कहा कि हमारे यहां सामुदायिक प्रयास से पानी की रक्षा और सुरक्षा होती रही है, नदियों को लोगों ने अपने प्रयास से जीवित किया है। राजस्थान में सात नदियां और 1200 गांव में जलस्रोतों को जनता ने संरक्षित किया है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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